संपादक महोदय, मज़दूर एकता लहर के अंक सितंबर 1-15, 2023 में प्रकाशित लेख ‘फ़सल बीमा के ज़रिए किसानों की पूंजीवादी लूट’ को पढ़ा। यह लेख काफ़ी जानकारी भरा है। यह केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा फ़सल बीमा के ज़रिए पूंजीपतियों द्वारा किसानों की लूट की सच्चाई को सामने लाता है। जब मैं इस लेख को पढ़ रहा था, तब यह
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आज़ादी अधूरी है!
प्रिय संपादक,
मज़दूर एकता लहर में प्रकाशित लेख “शोषण, उत्पीड़न और भेदभाव से मुक्ति के बिना आज़ादी अधूरी है“ से स्पष्ट होता है कि आज़ादी के बाद बहुत कम बदलाव आया है। हम, मज़दूर वर्ग और हमारे सहयोगी – लिंग, धर्म और जाति के आधार पर शोषण और उत्पीड़न का शिकार होते रहते हैं। संपूर्ण राज्य मशीनरी वैसी ही बनी हुई है।
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लोगों को हमारे असली दुश्मनों के ख़िलाफ़ उठ खड़े होने के लिए लामबंध करें
संपादक महोदय, मज़दूर एकता लहर में आज़ादी की 76वीं वर्षगांठ पर प्रकाशित लेख ‘शोषण, उत्पीड़न और भेदभाव से मुक्ति के बिना आज़ादी अधूरी हैं’ को मैंने पढ़ा। लेख को पढ़ने के बाद मेरे मन में पहला सवाल आता है कि क्या, हमें सच में आज़ादी मिली हैं? तो इसका जवाब है कि ‘नहीं’। हम आज भी गुलामी की ज़िन्दगी जी
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आज़ादी की 76वीं वर्षगांठ के अवसर पर सोचने लायक कुछ अहम बातें
संपादक महोदय,
हिन्दोस्तान की आज़ादी की 76वीं वर्षगांठ के अवसर पर मज़दूर एकता लहर में प्रकाशित लेख – शोषण, उत्पीड़न और भेदभाव से मुक्ति के बिना आज़ादी अधूरी है – को पढ़ा। लेख काफ़ी अच्छा है। यह लेख देश की मौजूदा हालत के बारे में बयान करता है।
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अमरीका की दादागिरी
संपादक महोदय, नाटो शिखर सम्मेलन पर आपके लेख से यह स्पष्ट हो जाता है कि अमरीकी साम्राज्यवाद का नाटो के विस्तार का क्या मक़सद था और है। यह झूठा प्रचार फैलाया जाता रहा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ से हमले के ख़तरे का मुक़ाबला करने के लिए एक नाटो सैन्य गठबंधन बनाया गया। सच्चाई यह है
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हिंद-अमरीकी सांझेदारी हिन्दोस्तान के लिये ख़तरनाक
संपादक महोदय,
मज़दूर एकता लहर में प्रकाशित ’हिंद-अमरीकी सांझेदारी हिन्दोस्तानी लोगों के हित में नहीं है’ – लेख का यह शीर्षक साफ़ तौर पर दर्शाता है कि हिन्दोस्तान का शासक वर्ग पूरे विश्व में अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहता है
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गिग मज़दूरों का शोषण
इस लेख को पढ़ने के बाद यह बात स्पष्ट हो गई है कि पूंजीपतियों का समूह आखिरकार एक नये व्यवसाय को कैसे अपने एकाधिकार ताक़त से सिर्फ अपने भविष्य के लिए इस नये क्षेत्र (गेट इट गोइंग) का उपयोग करके अपने व्यक्तिगत मुनाफे़ बनाने और फलने-फूलने के लिए पूरी तरह से इस्तेमाल करता है।
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मणिपुर में क्या समस्या है और इसे कौन पैदा कर रहा है?
‘‘मणिपुर में क्या समस्या है और इसे कौन पैदा कर रहा है?‘‘ शीर्षक वाले शानदार लेख को प्रकाशित करने के लिए बधाई। इस लेख ने मीडिया के साथ-साथ कई सोशल मीडिया चैनलों पर दिखाये जाने वाले झूठ के कोहरे के पीछे की सच्चाई को उजागर करने के लिए बहुत कुछ किया है।
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गिग मजदूरों की समस्याओं पर
मज़दूर एकता लहर में प्रकाशित गिग मज़दूरों की समस्याओं पर लेख से हमें साफ तौर पर यह दिखाई दे रहा है कि देश का युवा वर्ग किस प्रकार से बेरोज़गारी की समस्या से जूझ रहा है। सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में रोज़गार की कमी के कारण करोड़ों की तादात में युवा ऑनलाइन फूड प्लेटफार्मों, ई कॉमर्स कंपनियों, सामान की डिलीवरी तथा ओला व उबर ड्राइवरों, इत्यादि जैसे काम करने के लिए मजबूर है।
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1857 से कुछ सबक
संपादक महोदय,
मजदूर एकता लहर द्वारा प्रकाशित “हम हैं इसके मालिक हिन्दोस्तान हमारा! 1857 के महान ग़दर की यह पुकार अभी तक साकार नहीं हुई है” लेख आज के नज़रिए से प्रासंगिक है। यह लेख हिंदोस्तानी मज़दूर वर्ग के लगभग 300 वर्षों का कालखंड दिखाता है जिसमें 1857 के पूर्व और पश्चात के दृश्य समाहित किए गए हैं। लेख में उल्लेखित कुछ विषयों पर बात करना जरूरी समझती हूँ।
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