हमारे पाठकों से : स्वास्थ्य सेवा का निजीकरण नहीं!

संपादक महोदय

करोना की इस महामारी के दौरान मौजूदा स्वास्थ्य सेवा की पोल खुल गयी है। समाचार माध्यम के ज़रिए पता चलता है कि देष के अधिकांश अस्पतालों  में डाक्टरों, नर्सों और स्वाथ्यकर्मियों के पास सुरक्षा के उपकरण पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं। इन अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में न तो डाक्टर और नर्स हैं और न स्वाथ्यकर्मी। इसके बावजूद, डाक्टर, नर्स और कर्मचारी अपनी जान पर खेल कर लोगों का इलाज कर रहे हैं।

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मुंबई के धारावी से पत्र

मैं मुंबई के बीचों-बीच धारावी में रहता हूं जो एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी-बस्ती है। यहां पर तकरीबन 7 लाख लोग रहते हैं जिनमें से अधिकांश मज़दूर या स्वरोज़गार प्राप्त लोग हैं। यहां रहने वालों में, बड़ी संख्या में दिहाड़ी मज़दूर हैं और उनकी आजीविका रोज़ाना काम मिलने से ही चलती है। उनके परिवार उनके पैतृक स्थानों में रहते हैं और ये परिवार इन मज़दूरों द्वारा हर महीने भेजे गये पैसे पर निर्भर हैं। धारावी में मज़दूर बहुत ही छोटे कमरों में रहते हैं और एक ही कमरे में कई मज़दूर रहते हैं। यहां 10 बाई 10 फुट के बिना हवा के प्रवाह वाले बहुत से कमरों में 10-10 लोग रहते हैं।…

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संपादक को पत्र – जंग और दमन से न तो कश्मीर की समस्या हल होगी, न ही आतंकवाद ख़त्म होगा

संपादक महोदय, मैं यह पत्र मज़दूर एकता लहर के प्रकाशित लेख “जंग और दमन से न तो कश्मीर की समस्या हल होगी, न ही आतंकवाद ख़त्म होगा” के संदर्भ में लिख रहा हूं। इस लेख में आपने कश्मीर समस्या का गहरा विश्लेषण पेश किया है और जो कि इस विषय पर कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के असूलों पर आधारित भूमिका को

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संपादक को पत्र – नए समाज के संघर्ष में महिलाएं सबसे आगे!

प्रिय संपादक महोदय, महिला दिवस के अवसर पर लेख “नए समाज के संघर्ष में महिलाएं सबसे आगे!” को पढ़कर समझ में आया कि महिलाओं का असली दुश्मन पुरुष नहीं है बल्कि यह अर्थव्यवस्था है – जिसकी दिशा अमानवीय और पूंजी-केंद्रित है। यह व्यवस्था महिला समेत सभी मेहनतकश श्रमजीवियों का दुश्मन है क्योंकि इसका सार ही जन-विरोधी है। इस लेख ने

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संपादक को पत्र – सभी को सुख और सुरक्षा की सुनिश्चिति

प्रिय संपादक, मज़दूर एकता लहर के 1-15 फरवरी के अंक में “मज़दूरों और किसानों की हुकूमत ही सभी को सुख और सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है” लेख छापने के लिये मैं आपको बधाई देता हूं। इस विस्तारपूर्वक लेख में आपने इजारेदार पूंजीपति शासक वर्ग की पार्टियों द्वारा गुमराह करने वाले नारों का पर्दाफाश किया है और पाठकों को अच्छे से

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संपादक को पत्र : पांच राज्यों के चुनाव

प्रिय संपादक हाल में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बारे में आपके विश्लेषण को मैंने बहुत रुचि के साथ पढ़ा। मैं समझता हूं कि मतदान कुछ हद तक लोगों के गुस्से को दिखाता है। पर साथ ही, यह भी सच है कि शासक पूंजीपति वर्ग अपनी पसंदीदा सरकार को स्थापित करने के लिये चुनावों का इस्तेमाल करता है।

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