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सुरक्षा संबंधित श्रम संहिता

संपादक महोदय,

कार्यस्थल पर स्वास्थ्य, सुरक्षा और काम की हालतों पर श्रम संहिता (ओ.एच.एस.डब्ल्यू. कोड) के आर्टिकल के बारे में कुछ विचार रखना चाहती हूं। कार्यस्थल पर स्वास्थ्य, सुरक्षा और काम की हालतों पर श्रम संहिता (ओ.एच.एस.डब्ल्यू. कोड) उन चार श्रम संहिताओं में से एक है, जिसे सरकार ने श्रम क़ानूनों को सरल बनाने के नाम पर संसद में पारित किया था।

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बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 30वी बरसी पर ज्ञानवर्धक लेख

संपादक महोदय, मज़दूर एकता लहर

मैं आपका आभारी हूं कि आपने पिछले अंक में बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 30वीं बरसी पर एक बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख छापा। इस लेख में, जिसका शीर्षक था, ”सांप्रदायिक हिंसा के खि़लाफ़ और ज़मीर के अधिकार की हिफ़ाज़त के लिये अपनी राजनीतिक एकता को और मजबूत करें“, एक अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदू है जिस पर मैं प्रकाश डालना चाहता हूं।

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1984 में हुये सिखों के जनसंहार का जीता जागता प्रमाण

मज़दूर एकता लहर के नवंबर, 1-15 के अंक में प्रकाशित 1984 के जनसंहार के सबक लेख को पढ़कर, मुझे महसूस हुआ कि इसके बारे में और जानकारी लेनी चाहिए।

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के अपराध

प्रिय संपादक,

सितंबर 11 के आतंकवादी हमले की 21वीं बरसी के अवसर पर प्रकाशित लेख सटीकता से दर्शाता है कि ”संयुक्त राज्य अमरीका वही राज्य है जिसने दूसरे विश्व युद्ध के बाद से, सर्व-सम्मति से स्थापित किये गए, राज्यों के आपसी संबंधों के हर नियम और मानदंड का बार-बार उल्लंघन किया है।”

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महिलाओं के  ख़िलाफ़ बढ़ते अपराध

संपादक महोदय, मज़दूर एकता लहर में प्रकाशित लेख – हिन्दोस्तानी राज्य पूरी तरह से सांप्रदायिक है, आइए हम सब मिलकर इंसाफ करने के अपने संघर्ष को आगे बढ़ाएं – को पढ़कर मैं इस पर अपने विचार रखना चाहती हूं। हिन्दोस्तान में और दुनिया में महिलाओं पर हिंसा, अपराध व शोषण खूब तेजी़ से बढ़ रहा है। बिलकीस बानो आज का

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आज़ादी एक छलावा

संपादक महोदय,

मज़दूर एकता लहर में प्रकाषित “हिन्दोस्तान को उपनिवेषावादी विरासत से आज़ादी की सख़्त जरूरत है” विषयर पर जो लेख अगस्त के अंक में प्रकाषित किया गया है उसके बारे में मैं अपने विचार सांझा करना चाहती हूं।

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आज़ादी के 75 वर्ष पत्र-1

प्रिय संपादक

हिन्दोस्तान में हर साल की तरह इस साल भी स्वतंत्रता दिवस की तैयारियां ज़ोर-षोर की गयीं। आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने पर आज़ादी के अमृत महोत्सव को मनाया गया और हर घर तिरंगा लहराने की अभियान किया गया।

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आज़ादी के 75 वर्ष पत्र-2

संपादक महोदय,

आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ, लेख को पढ़ने के बाद अगर पीछे मुड़कर देखें तो मन थोड़ा उदास हो जाता है कि शायद 75 वर्ष पहले और उसके बाद भी कई बार देश में ऐसे हालात बने जब देश में कम्युनिस्टों के द्वारा मज़दूरों और किसानों का राज स्थापित किया जा सकता था।

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बिजली एक आवश्यक सामाजिक ज़रूरत

संपादक महोदय,

मज़दूर एकता लहर को धन्यवाद करता हूं कि आपने बिजली के विषण पर छः भागों में जो लेखों की श्रृंखला प्रस्तुत की है इसमें बहुत की तर्कपूर्ण तरीके से समझाया गया है कि बिजली एक आवश्यक सामाजिक ज़रूरत है।

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1857 के ग़दर की 165वीं सालगिरह

संपादक महोदय,

1857 के ग़दर की 165वीं सालगिरह के अवसर पर जो लेख मई के अंक में प्रकाशित किया गया है, मैं उसके बारे में लिख रहा हूं। आज के वर्तमान दौर की हालतों को देखते हुए यह पूरी तरह से सच है कि अब भी वही अंग्रजों द्वारा बनाई गई नीतियों के तहत लोगों में जाति और धर्म के नाम पर फूट डालो, बांटो और राज करो के हथकंडों को ही अपनाया जा रहा है। इनके खि़लाफ़ आज भी संघर्ष चल रहा है।

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