MayDay-24_Bengaluru


देशभर में अंतर्राष्ट्रीय मई दिवस मनाया गया

मज़दूर एकता लहर के संवाददाताओं की रिपोर्ट

1 मई, 2024 को पूरे देश में अतर्राष्ट्रीय मई दिवस जोशपूर्ण तरीक़े से मनाया गया। इस अवसर पर देश के अलग-अलग शहरों, और ग्रामीण इलाकों में भी जुलूसों, रैलियों और सभाओं का आयोजन किया गया। नीचे हम कुछ जगहों से हमें इन प्रदर्शनों की रिपोर्ट मिली है, उन रिपोर्टों को छाप रहे हैं।

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तमिलनाडु के कपड़ा मज़दूर छंटनी के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं

तमिलनाडु के कपड़ा मज़दूर द्वारा लगातार चलाये जा रहे संघर्ष के कारण राज्य सरकार कपड़ा मज़दूरों के लिए न्यूनतम मज़दूरी को संशोधित करने का प्रस्ताव कर रही है। इस क्षेत्र में पूंजीपतियों ने अपने मुनाफे़ को बचाने के लिए मज़दूरों पर हमले तेज़ कर दिए हैं। वे अनुभवी कर्मचारियों की जबरन छंटनी कर रहे हैं। गारमेंट्स एंड फैशन वर्कर्स यूनियन (जी.ए. एफ.डब्ल्यू.यू.) इन हमलों के ख़िलाफ़ लड़ रही है।

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May Day_2024_Delhi_Size


मई दिवस 2024 पर दिल्ली में कार्यक्रम

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट  पार्टी के कार्यालय पर मई दिवस कार्यक्रम 1 मई, 2024 को प्रातः 7 बजे दिल्ली में हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के कार्यालय पर मई दिवस मनाया गया। लाल झंडा फहराकर, शिकागो के शहीदों को श्रद्धाजंलि दी गयी। मज़दूर एकता कमेटी के कार्यकर्ता तथा अनेक स्थानीय निवासी पार्टी के कार्यालय के सामने आयोजित

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Loco_Pilot

कठोर 14/II नियम के तहत सेवा से हटाने के 6 साल बाद :
भारतीय रेलवे के लोको पायलटों की जीत

कामगार एकता कमिटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट

न्याय के लिए 6 साल के संघर्ष के बाद, कोलकाता  उच्च न्यायालय ने 5 लोको पायलटों (एलपी) और सहायक लोको पायलटों (एएलपी) की बहाली का आदेश दिया, जिन्हें कठोर 14/II नियम के तहत सेवा से हटा दिया गया था।

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हमारे पाठकों से
सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी हो

संपादक महोदय, किसानों और मज़दूरों की सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देना सरकार की ज़िम्मेदारी होनी चाहिए। न्यूनतम समर्थन मूल्य की क़ानूनी गारंटी के लिए किसानों ने लम्बा संघर्ष किया है। कृषि उत्पादों को एम.एस.पी. पर ख़रीदने के लिये बनाये गये तंत्रों को सरकार को पूरी तरह से पारदर्शी बनाना होगा। केवल 23 फ़सलों पर ही

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गूगल के मज़दूरों ने इज़रायली सेना के साथ कंपनी के सहयोग का विरोध किया

पूरे अमरीका के गूगल कार्यलय परिसरों में, साथ ही अमरीकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कार्यालयों में, लोग गाज़ा में इज़रायल द्वारा किए गए जनसंहार को किसी भी प्रकार के समर्थन के ख़िलाफ़ जुझारू विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं।

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इज़रायल से ”संयम“ रखने का अमरीका का आह्वान एक दिखावा है

इज़रायल को ईरान और पश्चिम एशिया के अन्य देशों पर हमले करने से रोकना तो दूर, अमरीका पश्चिम एशिया में इज़रायल को अपनी गोली-भरी हुई पिस्तौल के रूप में इस्तेमाल कर रहा है, जिसका निशाना फ़िलिस्तीनी, ईरानी और मध्य-पूर्व इलाके के अन्य लोग हैं।

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संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद ने सभी देशों से इज़रायल को हथियारों की बिक्री रोकने को कहा

5 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद ने ”पूर्वी येरुशलम सहित कब्ज़ा किये गये फ़िलिस्तीनी क्षेत्र में मानव अधिकार की स्थिति और जवाबदेही और न्याय सुनिश्चित करने का दायित्व“ शीर्षक वाले एक प्रस्ताव पर मतदान किया।

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Iran_Israel


पश्चिम एशिया में जंग के बढ़ने के लिए ईरान नहीं, बल्कि इज़रायल ज़िम्मेदार है

1 अप्रैल को इज़रायल ने सीरिया के दमिश्क में ईरानी दूतावास पर मिसाइल से हमला किया। दूतावास पूरी तरह नष्ट हो गया। ईरानी सेना के जनरलों सहित कई अधिकारी मारे गए। अंतरराष्ट्रीय संबंधों का यह जाना-माना असूल है कि किसी देश के दूतावास पर हमला उस देश पर हमले से कम नहीं है।

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निजीकरण और उदारीकरण के कार्यक्रम के ख़िलाफ़ एकजुट हों!

मज़दूरों और किसानों की हुकूमत स्थापित करने के लिए संघर्ष करें!

मई दिवस 2024 पर हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का आह्वान

मज़दूर साथियों !

मई दिवस ऐसे समय पर आ रहा है जब मज़दूर और किसान पूंजीपति वर्ग के निजीकरण और उदारीकरण कार्यक्रम के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बेरोज़गारी अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गई है। जो नौकरियां मिल रही हैं, उनमें से अधिकतम बहुत ही घटिया स्तर की नौकरियां हैं। रोज़गार-शुदा मज़दूरों के वेतन खाद्य और ईंधन की तेज़ी से बढ़ती क़ीमतों से पीछे चल रहे हैं। किसानों को घटती आमदनी और असहनीय क़र्ज़-बोझ का सामना करना पड़ रहा है।

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