हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का बयान, 21 जनवरी 2025
इस वर्ष 26 जनवरी को हिन्दोस्तान को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किये जाने की 75वीं सालगिरह है। हमारे देश के हुक्मरानों का दावा है कि इस गणराज्य ने सभी हिन्दोस्तानी लोगों की बहुत अच्छी सेवा की है। लेकिन, पूरे देश में मज़दूरों, किसानों, महिलाओं और युवाओं के बड़े-बड़े विरोध प्रदर्शनों से पता चलता है कि हिन्दोस्तानी गणराज्य अपने सभी नागरिकों को सुख और सुरक्षा नहीं प्रदान कर रहा है। यह केवल एक धनी अल्पसंख्यक वर्ग के हितों की सेवा कर रहा है – यानि पूंजीपति वर्ग, जिसकी अगुवाई इजारेदार पूंजीवादी घरानों द्वारा किया जाता है।
Author: hindi_cgpiadmin
कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी में मेरा अनुभव
संपादक महोदय, हिन्दोस्तान कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की 44वीं वर्षगांठ पर मुझे भी शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मैं जब से इस पार्टी में आई हूं, मेरा यह अनुभव रहा है कि यह पार्टी हमेशा मेहतनकश लोगों की आवाज़ को बुलंद करने का काम करती आई है। यह सरमायदारी व्यवस्था के खि़लाफ़ लोगों की आवाज़ को बुलंद करने का काम
आगे पढ़ें
एकजुट संघर्ष ही हमें इंसाफ दिला सकता है
संपादक महोदय, हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की 44वीं सालगिरह पर आयोजित कार्यक्रम में पेश किए गए पार्टी महासचिव के भाषण पर अपने कुछ विचार देना चाहती हूं। मेरे विचार विशेषकर महिलाओं की स्थिति पर हैं। आज हर एक स्तर पर चाहे वह कार्यस्थल पर हो या सार्वजनिक स्थल पर हों या कहीं पर भी हों, महिलाओं को दोहरे शोषण
आगे पढ़ें
कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के अंदर सबको समान अधिकार
संपादक महोदय, मैंने हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की 44वीं सालगिरह के कार्यक्रम में भाग लिया। इसमें मुझे बहुत-सी चीज़ों की जानकारी मिली। इसमें पार्टी के महासचिव का भाषण पढ़ा गया। उसमें देश-विदेश की सारी जानकारियां निहित हैं। हमारे देश में लोगों की हालत बद से बदतर क्यों होती जा रही है, इसके बारे में बहुत ही अच्छे से जानकारी
आगे पढ़ें
कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की 44वीं वर्षगांठ
संपादक महोदय, मुझे हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की 44वीं वर्षगांठ में हिस्सा लेने का मौका मिला। मुझे नौजवानों की संख्या को देखकर आपार प्रसन्नता हुई, जिसमें लड़के-लड़कियां पूरी आजादी के साथ अपने दिल की बातों को सभा में रख रहे थे। वे नौजवान बखूबी तौर पर पार्टी के लाईन को समझ रहे हैं। मार्क्सवाद-लेनिनवाद के आधार पर विचार भी
आगे पढ़ें
छत्तीसगढ़ में बर्ख़ास्त सहायक शिक्षकों का आंदोलन
मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ में 2900 सहायक शिक्षक अपनी नौकरियों को बचाने के लिये संघर्षरत हैं। 12 जनवरी, 2024 को शिक्षकों ने करीब 5 किलोमीटर दंडवत होकर यात्रा निकाली। इससे पहले 10 जनवरी को एन.सी.ई.टी. (नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन) की शव यात्रा निकाली और पुतला दहन किया। 3 जनवरी से शिक्षक सामूहिक अनशन पर थे। शिक्षक अपनी बर्ख़ास्तगी को समाप्त करने की मांग को लेकर सरकार के खि़लाफ़ विरोध प्रकट करने के लिये अनेक तरीके़ अपनाये हैं।
आगे पढ़ें
पंजाब रोडवेज़ के मज़दूरों की हड़ताल
मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
पंजाब में बस सेवा के 8000 कांट्रेक्ट और आउटसोर्स के मज़दूरों ने 6 जनवरी, 2025 से तीन दिवसीय हड़ताल की थी। इस हड़ताल में पंजाब रोडवेज, पीआरटीसी और पनबस के चालक, कंडेक्टर और अन्य कर्मचारी शामिल थे। परिवहन सेवा के स्थाई कर्मचारियों ने भी इन्हें समर्थन दिया।
आगे पढ़ें
शिमला में सरकारी अस्पताल में ठेका मज़दूरों की हड़ताल
मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
3 जनवरी, 2025 से हिमाचल के शिमला में स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवम अस्पताल (आई.जी.एस.सी.) के 500 से ज्यादा ठेका मज़दूरों ने अनिश्चित कालीन हड़ताल शुरू की। मज़दूरों ने अपनी यह हड़ताल तब शुरू की थी जब अस्पताल प्रशासन ने कोराना काल के दौरान रखे गये 132 ठेका मज़दूरों को बर्ख़ास्त कर दिया था।
आगे पढ़ें
भारतीय रेल के सिग्नलिंग और टेलिकॉम मज़दूरों की दयनीय स्थिति
भारतीय रेल को देश की जीवन रेखा कहा जाता है। यह देश के एक कोने से दूसरे कोने तक लोगों और वस्तुओं को ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। दुर्भाग्य से, इस आवश्यक सेवा को लगातार धन की कमी का सामना करना पड़ा है और विभिन्न सरकारों द्वारा इसकी उपेक्षा की गई है। नतीजतन, भारतीय रेल अपने बहुत से मज़दूरों और यात्रियों के लिए मौत का जाल बन गया है।
आगे पढ़ें
किसान अपनी जायज़ मांग पर डटे हुए हैं
सभी कृषि उत्पादों के लिए क़ानूनी तौर पर गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) उन प्रमुख मांगों में से एक है जिसके लिए किसान यूनियनें पिछले कई सालों से आंदोलन कर रही हैं। वे कई तरह से आंदोलन कर रहे हैं, जिसमें उनके एक नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन अनशन भी शामिल है।
आगे पढ़ें