इज़रायल को ईरान और पश्चिम एशिया के अन्य देशों पर हमले करने से रोकना तो दूर, अमरीका पश्चिम एशिया में इज़रायल को अपनी गोली-भरी हुई पिस्तौल के रूप में इस्तेमाल कर रहा है, जिसका निशाना फ़िलिस्तीनी, ईरानी और मध्य-पूर्व इलाके के अन्य लोग हैं।
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संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद ने सभी देशों से इज़रायल को हथियारों की बिक्री रोकने को कहा
5 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद ने ”पूर्वी येरुशलम सहित कब्ज़ा किये गये फ़िलिस्तीनी क्षेत्र में मानव अधिकार की स्थिति और जवाबदेही और न्याय सुनिश्चित करने का दायित्व“ शीर्षक वाले एक प्रस्ताव पर मतदान किया।
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पश्चिम एशिया में जंग के बढ़ने के लिए ईरान नहीं, बल्कि इज़रायल ज़िम्मेदार है
1 अप्रैल को इज़रायल ने सीरिया के दमिश्क में ईरानी दूतावास पर मिसाइल से हमला किया। दूतावास पूरी तरह नष्ट हो गया। ईरानी सेना के जनरलों सहित कई अधिकारी मारे गए। अंतरराष्ट्रीय संबंधों का यह जाना-माना असूल है कि किसी देश के दूतावास पर हमला उस देश पर हमले से कम नहीं है।
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निजीकरण और उदारीकरण के कार्यक्रम के ख़िलाफ़ एकजुट हों!
मज़दूरों और किसानों की हुकूमत स्थापित करने के लिए संघर्ष करें!
मई दिवस 2024 पर हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का आह्वान
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न्यूनतम समर्थन मूल्य देना संभव है
संपादक महोदय, मैंने मज़दूर एकता लहर में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर छपे पार्टी के लेख को पढ़ा। लेख बहुत ही अच्छा लगा। मैं इस पर कहना चाहता हूं कि पूंजीपतियों के शुभचिंतकों का कहना है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दिया जा सकता है। उनका मानना है कि अगर ऐसा किया गया तो सरकार को 10 लाख करोड़
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फ़सलों के लिये एम.एस.पी. की मांग
संपादक महोदय, मज़दूर एकता लहर के अंक मार्च 16-31 में छपा लेख – कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी आवश्यक है – को पढ़ने के बाद एक बात समझ में आयी कि दो साल पहले किसानों ने सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन क्यों चलाया था, जिसमें अपनी फ़सलों के लिये एम.एस.पी. की मांग की थी और तीन कृषि
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इज़रायल के जनसंहारक युद्ध का ब्रिटेन में विशाल विरोध
13 अप्रैल को जाउनवादी इज़रायली सरकार द्वारा किए जा रहे जनसंहार के ख़िलाफ़, ब्रिटेन के लाखों लोगों ने लंदन में एक विशाल विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन रसेल स्क्वायर से शुरू होकर ब्रिटिश संसद के सामने पार्लियामेंट स्क्वायर पर ख़त्म हुआ।
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