Dresden_protest


पूरे यूरोप में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन जारी हैं

यूरोप के कई देशों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन एक बार फिर शुरू हो गए हैं। लोग बैनर लेकर बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे रहे हैं और महंगाई के ख़िलाफ़, रूस पर लगाये गये प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ और नाटो के विरोध में नारे लगा रहे हैं। इन देशों के लोग यह मांग कर रहे हैं कि उनकी सरकारें नाटो से बाहर निकल जाएं।

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किसानों का संघर्ष जारी है

पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और देश के अन्य भागों के किसान अपनी फ़सलों के लिये लाभकारी दामों पर सुनिश्चित सरकारी ख़रीदी के लिए अपने संघर्ष को जारी रखे हुए हैं। सभी फ़सलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, सभी कृषि की लागतों के लिए राज्य की सब्सिडी, बेहतर सिंचाई सुविधाओं, किसानों की कर्ज़माफ़ी, आदि के लिए और बिजली संशोधन विधेयक के खि़लाफ़, वे निरंतर संघर्ष में लगे हैं।

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नोटबंदी की छठी वर्षगांठ पर :
नोटबंदी का वास्तविक उद्देश्य स्पष्ट हुआ

प्रधानमंत्री ने दावा किया था कि नोटबंदी से काले धन का पता चलेगा, भ्रष्टाचार ख़त्म होगा और आतंकवाद के लिए मिलने वाले धन पर रोक लगेगी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि इससे अमीर और ग़रीब के बीच की असमानता कम हो जायेगी। उन्होंने लोगों से “दीर्घकालिक फ़ायदे” के लिए “कुछ थोड़े समय के” दर्द को बर्दाश्त करने के लिए कहा था।

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नौकरियों के बड़े पैमाने पर नष्ट होने का कारण पूंजीवादी लालच है

वर्तमान गहरे आर्थिक संकट की स्थिति में, अपने मुनाफ़ों को और भी बढ़ाने के पूंजीपतियों के प्रयासों की वजह से, दुनियाभर में बड़े पैमाने पर नौकरियों का नाश हो रहा है।

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पेट्रोलियम निर्यातक देशों द्वारा तेल उत्पादन में कटौती करने के फ़ैसले से अमरीका बौखलाया

पेट्रोलियम निर्यातक राज्यों का 23 सदस्यीय समूह, जिसे ओपेक के नाम से जाना जाता है, इसने तेल के उत्पादन में प्रतिदिन 20 लाख बैरल की कटौती करने के लिए अक्टूबर के शुरुआत में अपनी आपसी सहमति व्यक्त कर दी। यह कटौती वर्तमान में दैनिक तेल उत्पादन का लगभग 2 प्रतिशत है।

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मोटरगाड़ी उद्योग में मज़दूरों का संघर्ष

मोटरगाड़ी और मोटरगाड़ी के पुर्जे बनाने वाले की पूरे उद्योग में पूंजीपतियों ने यह सुनिश्चित किया है कि मज़दूरों को स्थाई मज़दूर और ठेके पर काम करने वाले मज़दूर के आधार पर बांट कर रखा जाए।

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वर्तमान स्थिति और आगे का रास्ता

हिन्दोस्तान में वर्तमान में गहराते आर्थिक संकट की स्थितिहै। इसकी वजह से बेरोज़गारी अप्रत्याशित स्तर पर पहुंच चुकी है। वेतन से प्राप्त होनी वाली आमदनी में भारी गिरावट आई है। भोजन, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। लेकिन, उत्पादक गतिविधियों में गतिहीनता और गिरावट के बावजूद, पूंजीवादी अरबपतियों के मुनाफ़े तेज़ी से बढ़ रहे हैं।

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महान अक्तूबर समाजवादी क्रांति

105 साल पहले, 7 नवंबर 1917 को, बोल्शेविक पार्टी के नेतृत्व में रूस के मज़दूरों ने क्रांति में जीत हासिल की थी और पूंजीपतियों व जमींदारों के शासन के स्थान पर अपना शासन स्थापित किया था । उस क्रांति ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था ।

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गुजरात में पुल गिरने से सैकड़ों लोगों की मौत
राज्य की आपराधिक लापरवाही

सस्पेंशन पुल का गिरना उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों की आपराधिक लापरवाही और पुल के रखरखाव और संचालन के लिए जिम्मेदार निजी पूंजीपतियों के साथ उनकी मिलीभगत की ओर इशारा करता है।

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एक पैशाचिक अपराध की 38वीं बरसी पर :
1984 के जनसंहार के सबक


राज्य द्वारा आयोजित सांप्रदायिक हिंसा और राजकीय आतंक को हमेशा के लिए तभी समाप्त किया जा सकता है, जब सरमायदारों की हुकूमत को मज़दूरों और किसानों की हुकूमत में बदल दिया जाएगा। वर्तमान राज्य की जगह पर एक ऐसे नए राज्य की स्थापना करनी होगी, जो सभी नागरिकों को जीने का अधिकार, ज़मीर का अधिकार और अन्य सभी मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक अधिकारों की गारंटी देगा।

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