प्रिय संपादक,
मज़दूर एकता लहर में प्रकाशित लेख “शोषण, उत्पीड़न और भेदभाव से मुक्ति के बिना आज़ादी अधूरी है“ से स्पष्ट होता है कि आज़ादी के बाद बहुत कम बदलाव आया है। हम, मज़दूर वर्ग और हमारे सहयोगी – लिंग, धर्म और जाति के आधार पर शोषण और उत्पीड़न का शिकार होते रहते हैं। संपूर्ण राज्य मशीनरी वैसी ही बनी हुई है।
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