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फ्रांस में सेवानिवृत्ति की आयु को बढ़ाने की सरकार की योजना का मज़दूरों ने विरोध किया

पूरे फ्रांस में लाखों मज़दूरों ने एक ही महीने में दूसरी बार, 31 जनवरी को विरोध प्रदर्शन और रैलियां आयोजित कीं। मज़दूरों का यह विरोध सरकार के नए विधेयक खि़लाफ़ था जिसमें सेवानिवृत्ति की आयु को 62 वर्ष से बढ़ाकर 64 वर्ष करने का प्रस्ताव है। इससे पहले 19 जनवरी को दस लाख से अधिक मज़दूरों ने एक दिन की हड़ताल में भाग लिया था।

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निजीकरण पर सार्वजनिक चर्चा :
पूंजीवादी लालच बनाम समाज की ज़रूरतें

मज़दूर एकता कमेटी (एम.ई.सी.) ने 5 फरवरी को नई दिल्ली में निजीकरण पर एक सार्वजनिक चर्चा का आयोजन किया। चर्चा का विषय था “पूंजीवादी लालच बनाम समाज की ज़रूरतें”।

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राज्य को सभी मज़दूरों के लिए सुरक्षित और स्वस्थ काम करने की हालतें सुनिश्चित करनी चाहिए

कार्यस्थल पर स्वास्थ्य, सुरक्षा और काम की हालतों पर श्रम संहिता (ओ.एच.एस.डब्ल्यू. कोड) उन चार श्रम संहिताओं में से एक है, जिसे सरकार ने श्रम क़ानूनों को सरल बनाने के नाम पर संसद में पारित किया था। लेकिन उसका असली मक़सद है पूंजीपतियों के लिए अपने धंधे को चलाना और आसान बनाने की गारंटी देना। संसद द्वारा, इसे बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया गया और 28 सितंबर, 2020 को एक क़ानून के रूप में लागू कर दिया गया था।

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सर्वव्यापी पेंशन के अधिकार की गारंटी होनी चाहिए

एन.पी.एस. का विरोध अब बढ़ रहा है क्योंकि हजारों सरकारी कर्मचारी जो 2004 में या उसके तुरंत बाद नौकरी में शामिल हुए थे, अभी सेवानिवृत्त हो रहे हैं और उन्हें अपनी मासिक पेंशन मिलनी शुरू हो गई है। एन.पी.एस. के तहत मिलने वाली अल्प मासिक पेंशन को लेकर वे काफी नाराज़ हैं।

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केंद्रीय बजट 2023-24 :
पूंजीपतियों को मालामाल करने के लिए मेहनतकश जनता की लूट को बढ़ाने की कवायद

हर साल की तरह, अब भी केंद्रीय बजट की प्रस्तुति के समय हिन्दोस्तानी और विदेशी इजारेदार पूंजीपतियों की विभिन्न लॉबियां (दबाव गुट) कॉरपोरेट टैक्स में और ज्यादा कटौती तथा सरकार से और ज्यादा रियायतों की मांग उठा रही हैं। इसके लिए वे यह तर्क पेश कर रहे हैं कि जब वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो रही है, तो हिन्दोस्तानी अर्थव्यवस्था के तेज़ गति से बढ़ते रहने के लिए पूंजीपतियों को अधिक “प्रोत्साहन“ की आवश्यकता है।

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फ़सल बीमा भुगतान के मुद्दे पर नोहर के किसानों का जबरदस्त संघर्ष

किसानों का अनुभव रहा है कि जब उनकी फ़सलों को नुक़सान हो जाता है तो उनके बीमा क्लेम का पूरा भुगतान नहीं किया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बीमा कंपनियां सरकार से मिलीभगत करके किसानों के बीमा क्लेम में कटौती करती हैं। इसीलिये उन्होंने मांग की है कि क्रॉप कटिंग के आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाये और इसके आधार पर किसानों को पूरा बीमा क्लेम दिया जाये।

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राजस्थान के राज्य कर्मचारियों ने सरकार को दी चेतावनी

राजस्थान के लगभग आठ लाख सरकारी कर्मचारियों का आंदोलन कई महीनों से जोर पकड़ रहा है। इसे सफल बनाने के लिये राजस्थान के विभिन्न जिलों में अनेक सरकारी कर्मचारी संगठन तैयारी करते आये हैं। जैसे कि हनुमानगढ़ में 18 जनवरी को संयुक्त कर्मचारी महासंघ की ओर से विभिन्न मांगों को लेकर कलक्ट्रेट के सामने विरोध प्रदर्शन किया गया था जहां पर अपनी मांगों के संबंध में मुख्यमंत्री के नाम कलक्टर को ज्ञापन दिया गया था।

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राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन :
सरकार अपने नापाक लक्ष्य को हासिल करने में नाकाम

राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन, पूंजीपतियों के निजीकरण के कार्यक्रम का एक प्रमुख हिस्सा है। इसका उद्देश्य है पूरे समाज की खनिज सम्पदा को, भूमि व बुनियादी ढांचे की संपत्ति को, इजारेदार पूंजीपतियों को सौंपना। इन बुनियादी ढांचे की संपत्तियों का निर्माण, मज़दूरों की अनेक पीढ़ियों के श्रम द्वारा किया गया है।

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फ्रांस में दस लाख से अधिक कर्मचारियों ने हड़ताल की

19 जनवरी, 2023 को पूरे फ्रांस में एक दिन की हड़ताल हुई। दस लाख से अधिक की संख्या में मज़दूरों ने अपनी ट्रेड यूनियन संबद्धताओं को दरकिनार करते हुये एकजुट होकर भाग लिया। वे फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन की सेवानिवृत्ति की क़ानूनी उम्र को 62 से बढ़ाकर 64 करने की योजना का विरोध कर रहे थे। जिससे उन्हें अगले दो वर्षों के लिए उनकी देय पेंशन से वंचित कर दिया गया।

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अपनी मातृभूमि के लिए फिलिस्तीनी लोगों का बहादुर संघर्ष जारी है

वर्ष 2022 ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि किसी भी प्रकार का दमन फिलिस्तीनी लोगों की अदम्य भावना और अपनी मातृभूमि के लिए चले आ रहे उनके लंबे समय के संघर्ष को कुचल नहीं सकता।

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