मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर, 29 नवम्बर, 2024 को हजारों की संख्या में, देशभर के अलग-अलग राज्यों से आये आशा मज़दूरों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन किया।
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नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर, 29 नवम्बर, 2024 को हजारों की संख्या में, देशभर के अलग-अलग राज्यों से आये आशा मज़दूरों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन किया।
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3 दिसम्बर, 2024 को उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित राष्ट्रीय दलित स्मारक के अंदर किसान अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे। किसानों को उत्तर प्रदेश की पुलिस ने दोपहर को जबरन गिरफ़्तार कर लिया। धरना में शामिल बुजुर्ग महिलाओं को भी पुलिस ने गिरफ़्तार किया।
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9 दिसम्बर, 2024 को राजस्थान में बिजली के निजीकरण के खि़लाफ़ राजस्थान विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति (कर्मचारी, अधिकारी एवं अभियन्ता मंच) ने बैठक की। संघर्ष की आगे की रणनीति तैयार की। इस संयुक्त संघर्ष समिति में राजस्थान के बिजली क्षेत्र की 17 यूनियनें शामिल हैं।
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उत्तर प्रदेश में 7 दिसंबर, 2024 को बिजली के निजीकरण के विरोध में राज्यभर में ज़बरदस्त प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की अगुवाई में हुआ। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के सभी निगम मुख्यालयों, उपकेंद्रों, उत्पादन इकाइयों पर विरोध सभाएं, प्रदर्शन व जुलूस आयोजित किये गये।
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17 नवम्बर, 2024 को मज़दूर एकता कमेटी ने ‘कनाडा में हिन्दोस्तानी छात्रों का अनिश्चित भविष्य’ – इस विषय पर एक सभा का आयोजन किया। इस सभा में देश के अलग-अलग हिस्सों से छात्रों, शिक्षकों, अधिवक्ताओं, मज़दूरों, किसानों, ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं, महिला संगठनों के कार्यकर्ताओं, आदि ने हिस्सा लिया। इसके अलावा, सभा में कनाडा, इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया, आदि कई देशों से लोग शामिल हुये।
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स्कूल टीचर्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया की अगुवाई में सैकड़ों अध्यापकों ने नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर 29 नवंबर, 2024 को प्रदर्शन किया। उनकी मुख्य मांग है कि सभी को गुणवत्तापूर्ण और अनिवार्य मुफ़्त समान शिक्षा मिले।
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6 दिसम्बर, 2024 को शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर कूच कर रहे किसानों के एक जत्थे पर हरियाणा पुलिस ने हमला किया। उन पर आंसू गैस छोड़ी। इस हमले में सात किसान घायल हो गए। इसके बाद किसानों ने अपना मार्च स्थगित कर दिया।
आगे पढ़ेंहालांकि, अमरीका ने यूएनएससी का स्थायी सदस्य होने के नाते, अपनी वीटो शक्ति का प्रयोग करते हुए, प्रस्ताव को पारित होने से रोक दिया। यह बिना किसी संदेह के, इस हक़ीक़त को दर्शाता है कि इज़रायल, पूरी तरह से अमरीकी साम्राज्यवाद द्वारा प्रदान किए गए बिना शर्त समर्थन के बलबूते पर ही, फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ अपने क़त्लेआमकारी हमले को जारी रखने में सक्षम है।
आगे पढ़ेंहिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का आह्वान, 29 नवंबर, 2024
सैकड़ों साल पहले, कथित तौर पर मंदिरों को ध्वस्त करके बनाई गई मस्जिदों के विनाश के आह्वान का समर्थन करके हिन्दोस्तान के लोगों को कुछ भी नहीं हासिल होने वाला है, बल्कि खोने के लिए बहुत कुछ है। बदले की भावना से की गयी ऐसी कार्रवाइयां सिर्फ़ अलग-अलग धार्मिक आस्थाओं के लोगों के बीच नफ़रत और दुश्मनी फ़ैलाने का काम करती हैं। वे सरमायदार वर्ग की शोषणकारी और दमनकारी हुकूमत के ख़िलाफ़ मज़दूरों और किसानों की एकता को नष्ट करने का काम करती हैं।
मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
26 नवम्बर, 2024 को देशभर में मज़दूरों-किसानों ने अपनी मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा व संयुक्त केन्द्रीय ट्रेड यूनियन मंच की अगुवाई में जुलूस, विरोध प्रदर्शन और धरने व रैलियां आयोजित कीं। 2020 में हुये किसानों के ऐतिहासिक संसद मार्च और मज़दूरों की आम हड़ताल की चैथी वर्षगांठ के अवसर पर, यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
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