काम की जगह पर सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की हालतों पर संहिता (ओ.एस.एच.) उन चार श्रम संहिताओं में से एक है, जिसे हिन्दोस्तानी राज्य ने सितंबर 2020 में लागू किया था। इस संहिता ने इन्हीं मुद्दों से संबंधित, मौजूदा श्रम क़ानूनों को बदल दिया। हमारे देश के मज़दूरों के कई दशकों के संघर्ष और बलिदान के बाद राज्य ऐसे क़ानूनों को पारित करने के लिए मजबूर हुआ, जो क़ानून मज़दूरों के कुछ हिस्सों को कुछ हद तक सामाजिक सुरक्षा देने का वादा करते हैं। मज़दूरों का कहना है कि ओ.एस.एच. संहिता इन सभी उपलब्धियों पर हमला है।
आगे पढ़ेंAuthor: hindi_cgpiadmin
मज़दूर एकता कमेटी द्वारा आयोजित मीटिंग :
हमारे पाठकों से
बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 30वी बरसी पर ज्ञानवर्धक लेख
संपादक महोदय, मज़दूर एकता लहर
मैं आपका आभारी हूं कि आपने पिछले अंक में बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 30वीं बरसी पर एक बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख छापा। इस लेख में, जिसका शीर्षक था, ”सांप्रदायिक हिंसा के खि़लाफ़ और ज़मीर के अधिकार की हिफ़ाज़त के लिये अपनी राजनीतिक एकता को और मजबूत करें“, एक अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदू है जिस पर मैं प्रकाश डालना चाहता हूं।
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सोवियत संघ के गठन की शताब्दी पर :
एक बहुराष्ट्रीय श्रमजीवी लोकतांत्रिक राज्य जिसने सभी लोगों के राष्ट्रीय अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की
इस साल 30 दिसंबर को सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ (यू.एस.एस.आर.) के गठन के 100 साल पूरे हो गए। उसे रूसी, यूक्रेनी, बेलारूसी और ट्रांसकाकेशियाई सोवियत गणराज्यों द्वारा, स्वेच्छा के आधार पर एक साथ आने के परिणामस्वरूप, गठित किया गया था। वे गणराज्य राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय राज्य थे जिनके राष्ट्रों और लोगों को 1917 की महान अक्तूबर क्रांति के कारण सरमायदारों के शासन से मुक्ति मिली थी।
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2022 में देशभर में मज़दूरों और किसानों का संघर्ष :
अधिकारों पर हो रहे हमलों के ख़िलाफ़ संघर्ष में मज़दूरों और किसानों की बढ़ती एकता
पिछले साल 2022 में, पूरे साल निजीकरण के समाज-विरोधी और मज़दूर-विरोधी कार्यक्रम के ख़िलाफ़, अनेक क्षेत्रों के मज़दूर सड़कों पर संघर्ष में दिखाई दिए। सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न उद्यमों के मज़दूरों का प्रतिनिधित्व करने वाली ट्रेड यूनियनें एक सांझे मंच पर एक साथ आ रही हैं और निजीकरण के ख़िलाफ़ संघर्ष में एक-दूसरे को समर्थन दे रही हैं।
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साल 2022 में दुनियाभर के मज़दूर वर्ग और लोगों के संघर्ष
सभी पूंजीवादी देश एक ऐसे आर्थिक संकट में घिरे हुए हैं जो लगातार गहरा होता जा रहा है। साम्राज्यवादी पूंजीपति वर्ग संकट का बोझ मज़दूर वर्ग और जनता की पीठ पर लाद रहा है। अमरीका और कनाडा, ब्रिटेन और यूरोप के अन्य देशों में पिछले दो वर्षों में कोविड महामारी के नाम पर मज़दूरों की आजीविका और अधिकारों पर किए गए हमले, अब यूक्रेन में युद्ध के नाम पर 2022 में और तेज हो गए हैं।
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हिन्दोस्तान के नव-निर्माण के कार्यक्रम के इर्द-गिर्द एकजुट हों!
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की 42वीं सालगिरह के अवसर पर, केंद्रीय समिति की ओर से पार्टी के महासचिव कॉमरेड लाल सिंह का भाषण
“हम कम्युनिस्टों का काम है करोड़ों शोषितों और उत्पीड़ितों को एकजुट करना और लाखों शोषकों को हराना।”
“मज़दूरों और किसानों की हुकूमत को स्थापित करने और समाज को संकट से बाहर निकालने के कार्यक्रम के इर्द-गिर्द लोगों की क्रांतिकारी राजनीतिक एकता बनाते हुए, हमें कम्युनिस्ट आंदोलन की एकता को पुनः स्थापित करने की ज़रूरत है।”
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हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की 42वीं सालगिरह पर उत्साहपूर्ण समारोह
25 दिसंबर को हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की स्थापना की 42वीं सालगिरह थी। इस खुशी के अवसर पर आयोजित सभाओं में पार्टी के सैकड़ों सदस्यों और समर्थकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
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आई.डी.बी.आई. बैंक के मज़दूरों ने निजीकरण के ख़िलाफ़ धरना दिया
निजी और विदेशी पूंजीपतियों को आई.डी.बी.आई. बैंक को बेचे जाने के ख़िलाफ़ आई.डी.बी.आई. बैंक के मज़दूर एकजुट होकर लड़ रहे हैं। 9 दिसंबर, 2022 को यूनाइटेड फोरम ऑफ आई.डी.बी.आई. ऑफिसर्स एंड इंप्लॉईज़ ने आई.डी.बी.आई. के निजीकरण का विरोध करने के लिए आई.डी.बी.आई. बैंक के मुख्य कार्यालय, मुंबई में कफ परेड के बाहर धरना आयोजित किया। धरना शुरू होने के तुरंत बाद, पुलिस अधिकारियों ने धरने पर बैठे पर मज़दूरों को प्रधान कार्यालय के परिसर से आज़ाद मैदान में स्थानांतरित कर दिया, जहां यह धरना प्रदर्शन जारी रहा।
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बिजली क्षेत्र के निजीकरण के ख़िलाफ़ जन अभियान
कामगार एकता कमेटी, भारतीय महिला फेडरेशन, महाराष्ट्र स्टेट बैंक एम्प्लाइज़ फेडरेशन और महाराष्ट्र राज्य वीज कर्मचारी, अभियन्ता, अधिकारी संघर्ष समिति ने ठाणे जिले में बिजली वितरण और उत्पादन के निजीकरण के महाराष्ट्र सरकार के प्रस्तावों के ख़िलाफ़ और बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 (ई.ए.बी.-2022) के ख़िलाफ़ 10 दिसंबर, 2022 को एक सार्वजनिक अभियान शुरू किया।
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बिजली के निजीकरण के खिलाफ अभियान में शामिल हों
महाराष्ट्र राज्य वीज कर्मचारी, अभियंता, अधिकारी संघर्ष समिती, महाराष्ट्र स्टेट बँक एम्प्लोयीज फेडरेशन, भारतीय महिला फेडरेशन (ठाणे समिती) तथा कामगार एकता कमिटी द्वारा जरी अपील
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