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‌बिजली क्षेत्र के मज़दूरों का राष्ट्रीय सम्मेलन:
निजीकरण का विरोध करने के लिए एक साहसिक कार्य योजना

कामगार एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

23 फरवरी, 2025 को नागपुर में आयोजित बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों और इंजीनियरों की सभी यूनियनों और एसोसिएशनों के राष्ट्रीय अधिवेशन में, पूरे हिन्दोस्तान से उनके 250 से अधिक प्रतिनिधियों ने संयुक्त रूप से बिजली के निजीकरण के खि़लाफ़ लड़ने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। यह अधिवेशन राष्ट्रीय विद्युत कर्मचारी और इंजीनियर समन्वय समिति (एनसीसीओईईई) की पहल पर आयोजित किया गया था, जो हिन्दोस्तान के बिजली क्षेत्र के अधिकांश मज़दूरों को एकजुट करने वाली एक छत्र संस्था है।

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गुजरात जनसंहार के 23 साल बाद:
हुक्मरानों के अपराधों को कभी भुलाया या माफ़ नहीं किया जाएगा!
गुनहगारों को सज़ा दिलाने का संघर्ष जारी रहेगा!

सभी ज़मीर वाले महिलाओं और पुरुषों को एक ऐसी नई व्यवस्था स्थापित करने के नज़रिए से इस संघर्ष में आगे आना होगा, जिस व्यवस्था में सभी के ज़मीर के अधिकार सहित सभी मानवाधिकारों की गारंटी सुनिश्चित की जा सके और इन अधिकारों का उल्लंघन करने वालों को कड़ी से कड़ी सज़ा दिलाने के लिए उपयुक्त तंत्र बनाए जाएं।

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लंदन में गाज़ा के फ़िलिस्तीनी लोगों के समर्थन में विशाल प्रदर्शन

15 फरवरी को लंदन में व्हाइट हॉल से अमरीकी दूतावास तक ‘नेशनल मार्च फॉर फ़िलिस्तीन’ के बैनर तले 1,50,000 से अधिक लोगों ने फ़िलिस्तीनी लोगों के समर्थन में एक शक्तिशाली प्रदर्शन और मार्च किया।

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मारुति सुज़ुकी :
मज़दूर घोर अन्यायपूर्ण काम की हालतों के खि़लाफ़ एकजुट हैं

गुड़गांव के मानेसर में मारुति सुज़ुकी के मज़दूर 2012 में उन पर हुए बड़े हमले के बाद से, कंपनी के खि़लाफ़ अपना संघर्ष करते आ रहे हैं। उस हमले में 546 स्थाई मज़दूरों को और 1,800 ठेका-मज़दूरों को बखऱ्ास्त कर दिया गया था, जबकि लगभग 147 मज़दूरों पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाकर उन्हें जेल में बंद कर दिया गया

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 :
महिलाएं मांग रही हैं सभी शोषण और उत्पीड़न से मुक्ति!

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का बयान, 3 मार्च, 2025

आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता यह है कि महिलाएं अपने लड़ाकू संगठनों का निर्माण करें तथा उन्हें मजबूत करें, और मज़दूर वर्ग व अन्य सभी शोषित और उत्पीड़ित लोगों के साथ अपनी एकता को मजबूत करें। हम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए राज्य या उसके किसी भी संस्थान पर निर्भर नहीं रह सकते। संगठित आत्मरक्षा के लिए सभी मेहनतकश व उत्पीड़ित लोगों के साथ एकता बनाना ही एकमात्र रास्ता है!

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एक देश, एक चुनाव :
ताक़त का ख़तरनाक संकेन्द्रण

असली सवाल यह नहीं है कि चुनाव एक साथ होने चाहिए या अलग-अलग समय पर, बल्कि असली सवाल यह है कि क्या लोगों को राजनीतिक सत्ता से बाहर रखा जाना चाहिए। चुनाव एक साथ हो या अलग-अलग समय पर – इस तरह की तकनीकी बातों पर बहस करने से, वर्तमान व्यवस्था में आम लोगों को पूरी तरह से दरकिनार करने की हालतें नहीं बदलेंगी। पूरी राजनीतिक प्रक्रिया में मूलभूत परिवर्तन की सख़्त ज़रूरत है।

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केंद्रीय बजट 2025-26 :
इजारेदार पूंजीपतियों की सेवा में

बजट, वास्तव में, धन को उसके सृजनकर्ताओं, अर्थात मज़दूरों और किसानों से लेकर, उसे हड़पने वालों, अर्थात पूंजीपतियों के बीच पुनर्वितरित करने के लिए एक सुव्यवस्थित तंत्र के रूप में कार्य करता है।

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‌राष्ट्रीय कृषि बाज़ार सुधार नीति :
किसान-विरोधी और जन-विरोधी नीति

किसानों और मज़दूरों, दोनों के संगठनों को प्रस्तावित नीति का कड़ा विरोध करना चाहिए और इसे वापस लेने की मांग करनी चाहिए। किसानों को एम.एस.पी. पर गारंटीकृत ख़रीद के लिए संघर्ष जारी रखना चाहिए। यह कृषि को पूंजीवादी लालच को पूरा करने की दिशा में चलाने के खि़लाफ़ संघर्ष का हिस्सा है। यह खाद्य का उत्पादन करने वालों को सुरक्षित रोज़ी-रोटी दिलाने और सभी के लिए सस्ती क़ीमतों पर पर्याप्त खाद्य मुहैया कराने की सेवा में है।

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हिन्दोस्तान में विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) की भूमिका

उन्होंने देश को पूंजीवादी रास्ते पर ले जाने के लिए हिन्दोस्तानी सरमायदार वर्ग की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने हमारे देश की भूमि और श्रम के लगातार बढ़ते शोषण और लूट में योगदान दिया है, जिसके माध्यम से हिन्दोस्तानी और विदेशी पूंजीपतियों ने पिछले 77 वर्षों और उससे भी अधिक समय में बेशुमार धन अर्जित किया है। उन्होंने हमारे देश में अति अमीर पूंजीपतियों और ग़रीब मेहनतकश जनता के बीच की खाई को लगातार बढ़ाने में योगदान दिया है।

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पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के पांच साल बाद :
दंगा नहीं बल्कि राजकीय आतंकवाद का एक कांड

मज़दूरों, किसानों और अन्य सभी मेहनतकश लोगों को अपने धार्मिक विश्वासों को एक तरफ़ रखकर, शासक सरमायदार वर्ग के ख़िलाफ़ एकजुट होने की सख़्त ज़रूरत है। हमें राजकीय आतंकवाद के ख़िलाफ़ एकजुट होना चाहिए। हमें मांग करनी चाहिए कि लोगों के किसी भी हिस्से पर हमला करने वाले दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए। हमें मांग करनी चाहिए कि जब भी लोगों के किसी भी तबके पर हमला हो तो सरकार में बैठे लोगों को ज़िम्मेदार ठहराया जाए।

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