1 नवंबर, दिल्ली और देश के अन्य भागों में आयोजित सिखों के जनसंहार की 38वीं बरसी का दिन है। उस दिन पर, राज्य द्वारा आयोजित सांप्रदायिक जनसंहार के खि़लाफ़ संघर्ष करने वाले संगठनों ने कई विरोध प्रदर्शन किये।
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1 नवंबर, दिल्ली और देश के अन्य भागों में आयोजित सिखों के जनसंहार की 38वीं बरसी का दिन है। उस दिन पर, राज्य द्वारा आयोजित सांप्रदायिक जनसंहार के खि़लाफ़ संघर्ष करने वाले संगठनों ने कई विरोध प्रदर्शन किये।
आगे पढ़ेंमज़दूर एकता लहर के नवंबर, 1-15 के अंक में प्रकाशित 1984 के जनसंहार के सबक लेख को पढ़कर, मुझे महसूस हुआ कि इसके बारे में और जानकारी लेनी चाहिए।
आगे पढ़ेंमुख्यमंत्री के नाम से दिये गये इस ज्ञापन में कहा गया है कि अपराधियों को शीघ्र जेल में डालकर, मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, जिससे किसान और किसानी को बचाया जा सके। अभी तक कितना नकली उर्वरक किसानों में बिक चुका है, इसकी जांच करके किसानों को जानकारी दी जाए, ताकि सरकार किसानों की बर्बाद हुई फ़सलों का मुआवज़ा समय पर देकर, किसानों को हुए नुक़सान की भरपाई कर सके।
आगे पढ़ेंयूरोप के कई देशों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन एक बार फिर शुरू हो गए हैं। लोग बैनर लेकर बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे रहे हैं और महंगाई के ख़िलाफ़, रूस पर लगाये गये प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ और नाटो के विरोध में नारे लगा रहे हैं। इन देशों के लोग यह मांग कर रहे हैं कि उनकी सरकारें नाटो से बाहर निकल जाएं।
आगे पढ़ेंपंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और देश के अन्य भागों के किसान अपनी फ़सलों के लिये लाभकारी दामों पर सुनिश्चित सरकारी ख़रीदी के लिए अपने संघर्ष को जारी रखे हुए हैं। सभी फ़सलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, सभी कृषि की लागतों के लिए राज्य की सब्सिडी, बेहतर सिंचाई सुविधाओं, किसानों की कर्ज़माफ़ी, आदि के लिए और बिजली संशोधन विधेयक के खि़लाफ़, वे निरंतर संघर्ष में लगे हैं।
आगे पढ़ेंप्रधानमंत्री ने दावा किया था कि नोटबंदी से काले धन का पता चलेगा, भ्रष्टाचार ख़त्म होगा और आतंकवाद के लिए मिलने वाले धन पर रोक लगेगी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि इससे अमीर और ग़रीब के बीच की असमानता कम हो जायेगी। उन्होंने लोगों से “दीर्घकालिक फ़ायदे” के लिए “कुछ थोड़े समय के” दर्द को बर्दाश्त करने के लिए कहा था।
आगे पढ़ेंवर्तमान गहरे आर्थिक संकट की स्थिति में, अपने मुनाफ़ों को और भी बढ़ाने के पूंजीपतियों के प्रयासों की वजह से, दुनियाभर में बड़े पैमाने पर नौकरियों का नाश हो रहा है।
आगे पढ़ेंपेट्रोलियम निर्यातक राज्यों का 23 सदस्यीय समूह, जिसे ओपेक के नाम से जाना जाता है, इसने तेल के उत्पादन में प्रतिदिन 20 लाख बैरल की कटौती करने के लिए अक्टूबर के शुरुआत में अपनी आपसी सहमति व्यक्त कर दी। यह कटौती वर्तमान में दैनिक तेल उत्पादन का लगभग 2 प्रतिशत है।
आगे पढ़ेंमोटरगाड़ी और मोटरगाड़ी के पुर्जे बनाने वाले की पूरे उद्योग में पूंजीपतियों ने यह सुनिश्चित किया है कि मज़दूरों को स्थाई मज़दूर और ठेके पर काम करने वाले मज़दूर के आधार पर बांट कर रखा जाए।
आगे पढ़ेंहिन्दोस्तान में वर्तमान में गहराते आर्थिक संकट की स्थितिहै। इसकी वजह से बेरोज़गारी अप्रत्याशित स्तर पर पहुंच चुकी है। वेतन से प्राप्त होनी वाली आमदनी में भारी गिरावट आई है। भोजन, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। लेकिन, उत्पादक गतिविधियों में गतिहीनता और गिरावट के बावजूद, पूंजीवादी अरबपतियों के मुनाफ़े तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
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