कई देश अमरीकी डॉलर के अलावा अन्य मुद्राओं का उपयोग करके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करने के तरीके़ विकसित करने में लगे हुए हैं। उसके अनुसार वे अपने विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर के अनुपात को भी कम कर रहे हैं। ऐसे सब क़दम दुनिया की आरक्षित मुद्रा बतौर अमरीकी डॉलर के प्रभुत्व को कम करने के प्रयासों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे उस प्रवृत्ति का हिस्सा हैं जिसे डी-डॉलराईजेशन कहा जाने लगा है।
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