फ्रांस में दस लाख से अधिक कर्मचारियों ने हड़ताल की

19 जनवरी, 2023 को पूरे फ्रांस में एक दिन की हड़ताल हुई। दस लाख से अधिक की संख्या में मज़दूरों ने अपनी ट्रेड यूनियन संबद्धताओं को दरकिनार करते हुये एकजुट होकर भाग लिया। वे फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन की सेवानिवृत्ति की क़ानूनी उम्र को 62 से बढ़ाकर 64 करने की योजना का विरोध कर रहे थे। जिससे उन्हें अगले दो वर्षों के लिए उनकी देय पेंशन से वंचित कर दिया गया।

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अपनी मातृभूमि के लिए फिलिस्तीनी लोगों का बहादुर संघर्ष जारी है

वर्ष 2022 ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि किसी भी प्रकार का दमन फिलिस्तीनी लोगों की अदम्य भावना और अपनी मातृभूमि के लिए चले आ रहे उनके लंबे समय के संघर्ष को कुचल नहीं सकता।

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मज़दूर एकता कमेटी द्वारा आयोजित सभा :
जानलेवा शराब फैक्ट्री के ख़िलाफ़ पंजाब के लोगों का संघर्ष

पंजाब में ज़ीरा तहसील, फिरोजपुर के मंसूरवाल गांव और उसके आस-पास के क्षेत्रों के किसान, शराब बनाने वाली एक फैक्ट्री, मालब्रोस इंटरनेशनल लिमिटेड, के ख़िलाफ़ बीते पांच महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वहां के रहने वाले सब लोग, अपने भूजल, मिट्टी और पर्यावरण पर, शराब कारखाने से निकलने वाले गंदे पानी के द्वारा पैदा हुए ख़तरनाक प्रदूषण का विरोध कर रहे हैं।

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अमेज़न द्वारा दुनिया भर में हजारों मज़दूरों की बड़े पैमाने पर छंटनी

2022 के ख़त्म होते-होते अमेज़न ने वैश्विक स्तर पर हजारों कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी। उस विशाल कंपनी ने घाटे का हवाला देते हुए अपने विभिन्न व्यवसायों में नौकरियों में कटौती की है। अमेज़न की 15 लाख से अधिक की कुल मज़दूर संख्या का लगभग 7 प्रतिशत हिन्दोस्तान में हैं। जनवरी 2023 की शुरुआत में यह बताया गया कि हिन्दोस्तान में अमेज़न के 18,000 कर्मचारियों को सितंबर 2022 में निकाल दिया गया था।

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छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य जंगलों में कोयला खनन :
इजारेदार पूंजीपतियों की लालच को पूरा करना

हिन्दोस्तानी राज्य इजारेदार पूंजीपतियों के अधिकतम मुनाफ़े कमाने की इच्छा को पूरा करने के लिए काम करता है। राज्य के सभी अंग – केंद्र और राज्य सरकारें, न्यायपालिका, संसद और राज्य विधान सभाएं, हुक्मरान वर्ग की प्रमुख पार्टियां – इजारेदार पूंजीवादी लालच को पूरा करने के लिए वचनबद्ध हैं।

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हिन्दोस्तानी गणतंत्र की 73वीं सालगिरह  पर :
इस गणतंत्र का मक़सद है मेहनतकश लोगों को सत्ता से बाहर रखना 

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का बयान, 18 जनवरी, 2023

लोगों को क़ानूनों को प्रस्तावित करने और क़ानूनों को ख़ारिज करने का अधिकार होना चाहिए। उन्हें संविधान में संशोधन करने या उसे दोबारा लिखने का अधिकार होना चाहिए। हमें चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन करने, चुने गए लोगों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें किसी भी समय वापस बुलाने और क़ानून प्रस्तावित करने का अधिकार होना चाहिए। लोगों के नाम पर फै़सले लेने के बजाय, राजनीतिक पार्टियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कर्तव्यबद्ध होना चाहिए, कि फ़ैसले लेने की शक्ति लोगों के हाथों में रहे।

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महाराष्ट्र के बिजली क्षेत्र के मज़दूरों ने निजीकरण के खि़लाफ़ अपना संघर्ष तेज़ किया:
बिजली का निजीकरण समाज-विरोधी और मज़दूर-विरोधी है

पिछले 2 वर्षों में देशभर के बिजली क्षेत्र के मज़दूरों ने बिजली क्षेत्र के निजीकरण की पूंजीवादी योजना को बार-बार चुनौती दी है। दिसंबर 2022 और जनवरी 2023 के पहले सप्ताह में महाराष्ट्र के बिजली क्षेत्र के मज़दूरों ने पूरे महाराष्ट्र में बिजली क्षेत्र के बढ़ते निजीकरण के विरोध में अथक अभियान चलाया। इस अभियान के तहत 4 जनवरी 2023 को 72 घंटे की हड़ताल शुरू की।

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घरों से बेदख़ल किये जाने के खि़लाफ़ हल्द्वानी के लोगों का विशाल विरोध प्रदर्शन

अपने घरों से बेदख़ली के खि़लाफ़ हल्द्वानी के लोगों का संघर्ष, देशभर के लाखों मेहनतकशों के उसी संघर्ष का हिस्सा है, जिसने सिर पर विध्वंस की तलवार लटक रही है। विभिन्न शहरों में मेट्रो लाइनों के पास रहने वाले, रेलवे स्टेशनों के पास रहने वाले और रेलवे लाइनों के पास रहने वाले लोगों को विध्वंस का सामना करना पड़ता है। पूंजीपतियों को रेलवे स्टेशनों और अन्य संपत्तियों को बेचने के हिन्दोस्तानी राज्य के अभियान का लोगों को डटकर विरोध करने की ज़रूरत है।

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पेट्रोलियम और गैस मज़दूरों ने संघर्ष तेज़ किया

पेट्रोलियम और गैस मज़दूरों ने निजीकरण के समाज-विरोधी, देश-विरोधी और मज़दूर-विरोधी कार्यक्रम के ख़िलाफ़ और मज़दूर बतौर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए, संघर्ष को तेज़ करने का फ़ैसला किया है। निकट भविष्य में वे ऊर्जा क्षेत्र के मज़दूरों की सर्व हिन्द संयुक्त हड़ताल का आयोजन करने के लिए बिजली व कोयला क्षेत्र के मज़दूरों से समन्वय करेंगे। यह निर्णय दिसंबर 2022 में असम के दुलियाजान में आयोजित पांचवें त्रैवार्षिक सम्मेलन में पेट्रोलियम एंड गैस वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (पी.जी.डब्ल्यू.एफ.आई.) द्वारा लिया गया था।

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ब्रिटेन के मज़दूरों ने अपना संघर्ष तेज़ किया

ब्रिटेन में सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा सहित कई प्रमुख उद्योगों और सेवाओं में श्रमिकों के संघर्षं बढ़ते जा रहे हैं।

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