मई दिवस, अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर वर्ग दिवस ज़िंदाबाद!

पूंजीवादी व्यवस्था के ख़िलाफ़ संघर्ष को आगे बढ़ाएं!

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का आह्वान, 1 मई, 2023

मई दिवस, अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर वर्ग दिवस के अवसर पर, कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी सभी देशों के मज़दूरों को सलाम करती है! हम उन सभी को सलाम करते हैं, जो बड़ी मुश्किल से हासिल किये गए अपने अधिकारों और जायज़ मांगों पर पूंजीपति वर्ग की सरकारों के क्रूर हमले के ख़िलाफ़़ लड़ रहे हैं।

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मई दिवस की शुरुआत

मई दिवस की शुरुआत दैनिक काम के घंटों को कम करने के संघर्ष के साथ नज़दीकी से जुड़ी हुई है। प्रतिदिन काम के घंटों को कम करना – वह मज़दूर वर्ग के लिए अत्यधिक राजनीतिक महत्व की मांग थी। वह संघर्ष ब्रिटेन, अमरीका और सभी यूरोपीय देशों में लगभग उसी समय शुरू हो गया था जब कारखानों में काम का आरम्भ हुआ था। मज़दूर 14-16-18 घंटे के लंबे काम के दिन का विरोध कर रहे थे। 1820 और 1830 के दशकों में काम के घंटों को कम करने की मांग को लेकर बहुत सारी हड़तालें हुयी थीं।

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काम के दिन को 12 घंटे करने के प्रस्ताव का भारी विरोध :
काम के घंटों को बढ़ाने वाले संशोधन पर तमिलनाडु सरकार रोक लगाने के लिए मजबूर हुई

24 अप्रैल को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कारखाना अधिनियम (1948) में किये गये संशोधन को लागू करने पर रोक लगाने के अपनी सरकार के फ़ैसले की घोषणा की। इस संशोधन के अनुसार, काम करने की अवधि को 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया जायेगा। 21 अप्रैल को राज्य विधानसभा में इस विधेयक को पारित किया गया था, जबकि विपक्षी दलों ने इसका विरोध करने के लिए विधानसभा से वॉकआउट किया था।

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उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना – इजारेदार पूंजीपतियों की अमीरी को बढ़ाने के लिए जनता के पैसों की लूट

विनिर्माण क्षेत्र के अनुसार प्रत्येक पी.एल.आई. योजना चार से छः साल की अवधि के लिए लागू होगी। मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों के निर्माण के लिए 4 से 6 प्रतिशत से लेकर, सक्रिय दवा सामग्रियों के लिए 20 प्रतिशत तक का प्रोत्साहन दिया गया है। यह प्रोत्साहन हर साल बढ़ने वाली बिक्री पर दिया जाता है।

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केरल के कोझिकूडु में बी.एस.एन.एल. के ठेका मज़दूर भूख हड़ताल पर

केरल के कोझिकूडु और वायनाड जिलों में बी.एस.एन.एल. (भारत संचार निगम लिमिटेड) के अस्थाई और ठेका मज़दूर 18 अप्रैल से क्रमिक भूख हड़ताल पर हैं। वे आउटसोर्सिंग एजेंसियों द्वारा वेतन देने में देरी और सामाजिक सुरक्षा के लाभों को देने से इनकार करने का विरोध कर रहे हैं। संघर्षरत मज़दूरों में बड़ी संख्या में महिलाएं हैं जो कार्यालयों की सफाई और प्रबंधकीय कार्यों में शामिल हैं।

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जर्मनी के मज़दूरों ने बड़ी-बड़ी हड़तालें कीं

जर्मनी में मज़दूर इस साल के मार्च और अप्रैल में, बेहतर जीवन स्तर और काम करने की बेहतर स्थिति के लिए, बड़े पैमाने पर हड़तालों का आयोजन करते रहे हैं। हड़ताल की कुछ कार्रवाइयों को कई दशकों में, अब तक की सबसे बड़ी  कार्यवाई बताया जा रहा है।

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मज़दूरों ने पूरे ब्रिटेन में अपने संघर्ष और तेज़ किये

ब्रिटेन में सभी क्षेत्रों के मज़दूर बढ़ते शोषण के ख़िलाफ़ अपने संघर्ष को और तेज़ कर रहे हैं। क़ीमतों में भारी वृद्धि और सरकारी खर्च में कटौती को देखते हुए, वे मांग कर रहे हैं कि वेतनों में वृद्धि की जाये और काम करने की बेहतर हालतें मुहैया कराई जायें।

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सरकार द्वारा थोपे जा रहे पेंशन सुधारों का फ्रांस के मज़दूरों ने विरोध किया

फ्रांस में इस साल जनवरी से ही बड़े पैमाने पर मज़दूरों के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। 19 जनवरी, 2023 को पूरे फ्रांस में हुई एक दिवसीय हड़ताल में दस लाख से अधिक मज़दूरों ने हिस्सा लिया। तब से अब तक सैकड़ों प्रदर्शन हो चुके हैं। इन विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वाले मज़दूरों की संख्या पिछले 40-50 वर्षों में देखी गई संख्या से कहीं अधिक बताई जा रही है।

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अल-अक्सा मस्जिद में इबादत करने वालों पर एक बार फिर बर्बर हिंसा :
फिलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ इस्राइली राज्य के आतंकवाद की निंदा करें!

5 और 6 अप्रैल की लगातार दो रातों को इस्राइली सेना ने पूर्वी येरुशलम के इस्राइली क़ब्जे़ वाले अल-अक्सा मस्जिद पर धावा बोल दिया। मुस्लिमों के पवित्र रमजान के महीने के दौरान ये भड़काऊ हमले जानबूझकर किए गए हैं।

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तमिलनाडु के चमड़ा उद्योग से जुड़े मज़दूरों ने एक जुझारु विरोध प्रदर्शन किया

तमिलनाडु के चमड़ा उद्योग से जुड़े मज़दूर अपने अधिकारों के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान, निर्यात में कमी आने के बाद और फिर कोविड के नाम पर बार-बार लगाए गए लॉकडाउन के परिणामस्वरूप, चमड़ा उद्योग की कई इकाइयां बंद हो गई हैं।

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