हाल के दिनों में, हिन्दोस्तान से आये छात्रों को कनाडा में शिक्षा और रोज़गार के अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
आगे पढ़ेंAuthor: hindi_cgpiadmin
खाद्य पदार्थों की आसमान छूती क़ीमतें :
व्यापारिक कंपनियों को समृद्ध बनाने के लिए मेहनतकश लोगों की जिंदगी से खिलवाड़
हमारे देश में मेहनतकश लोगों और उनके परिवारों को यह सुनिश्चित करने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है कि उनके बच्चे पर्याप्त और पौष्टिक भोजन की कमी के कारण भूखे न सोएं या कुपोषण से पीड़ित न हों। उन्हें न केवल पौष्टिक भोजन, बल्कि अन्य जरूरी खर्चों में भी कटौती करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह अनाज, दालों, सब्ज़ियों, दूध, फलों, अंडों आदि की क़ीमतों में आसमान छूती वृद्धि का सीधा नतीजा है।
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बेरोज़गारी का कारण और समाधान व रोज़गार की गांरटी पर चर्चा
मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
मज़दूर एकता कमेटी ने 4 अगस्त 2024 को ‘बेरोज़गारी – कारण और समाधान – रोज़गार की गारंटी की मांग’ पर एक मीटिंग का आयोजन किया।
आगे पढ़ेंस्वतंत्रता दिवस 2024 के अवसर पर :
सिर्फ मज़दूरों और किसानों का राज्य ही सभी को सुख और सुरक्षा दिला सकता है
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का बयान, 14 अगस्त 2024
आज़ादी से हमारे समाज के सिर्फ एक छोटे तबके को ही फायदा हुआ है। इसकी वजह यह है कि 77 साल पहले राजनीतिक सत्ता सरमायदारों के हाथों में आई थी। ब्रिटिश उपनिवेशवादियों ने 1947 में हिन्दोस्तानी सरमायदार वर्ग के साथ एक समझौता किया था, ताकि उपनिवेशवाद-विरोधी संघर्ष क्रांति में तब्दील न हो जाये।
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बेंगलूरु में आईटी मज़दूरों ने लंबे कार्य दिवस के प्रस्ताव के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया
जुलाई में, कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा। इस संशोधन में आईटी कंपनियों में मौजूदा 10 घंटे के कार्य दिवस के बजाय 14 घंटे के कार्य दिवस को मानकीकृत करने की मांग की गई।
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इज़रायली जाउनवादियों द्वारा इस्माईल हनिया की आपराधिक हत्या की निंदा करें!
ईरानी राज्य और लोगों के सम्मानित अतिथि हनिया को, उनकी राजधानी में निशाना बनाकर, इज़रायल जानबूझकर ईरान और उसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय-अखंडता पर हमला कर रहा है।
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ट्रेड यूनियनों का केन्द्रीय बजट 2024 के खिलाफ़ प्रदर्शन
मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
दिल्ली में 9 अगस्त, 2024 को उपराज्यपाल के कार्यालय पर दिल्ली के ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने एक विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन केन्द्र सरकार की पूंजीपतियों के हितों को बढ़ावा देने वाली, तथा मज़दूरों, किसानों, महिलाओं, नौजवानों व पूरी मेहनतकश जनता के हितों पर हमला करने वाली बजट के खिलाफ़ था।
आगे पढ़ेंकेरल, हिमाचल और उत्तराखंड में घोर आपदायें :
पूंजीवादी मुनाफ़ों के पीछे बेलगाम दौड़ का नतीजा
इस त्रासदी से जूझ रहे लोगों के लिये सिर्फ सहानुभूति काफी नहीं है; उन्हें न्याय मिलना चाहिये और साथ-साथ आश्वासन भी कि ऐसी त्रासदियों को भविष्य में न होने के लिए जरूरी क़दम लिये जाएंगे।
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हिन्दोस्तानी हथियारों का इज़रायल को निर्यात किये जाने की निंदा करें
इस समय, इज़रायल को, हिन्दोस्तानी हथियारों का निर्यात, नरसंहार के अपराध की रोकथाम और दंड पर संयुक्त राष्ट्र के कन्वेंशन का घोर उल्लंघन है। यह आईसीजे के फ़ैसलों का प्रत्यक्ष उल्लंघन है। आईसीजे के फ़ैसले यह मानते हैं कि “सभी राज्य, कब्ज़े-वाले फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में इज़रायल की अवैध उपस्थिति से उत्पन्न हालातों को बनाए रखने में किसी प्रकार की सहायता या सहयोग प्रदान न करने के लिए बाध्य हैं।”
आगे पढ़ेंकेंद्रीय बजट 2024-25 :
पूंजीपतियों के हितों की हिफाज़त करते हुए लोगों की समस्याओं को दूर करने का दिखावा
हालांकि टैक्स में विभिन्न छोटे-मोटे बदलावों की घोषणा की गई है, लेकिन कर-संग्रह के लिए अनुमानित बजट लक्ष्य दर्शाते हैं कि सरकारी ख़र्च का बोझ, मुख्य रूप से मज़दूर वर्ग और अन्य कामकाजी लोगों पर ही पड़ेगा।
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