हरियाणा में आशा कार्यकर्ताओं को दो महीने से अधिक के लगातार संघर्ष के बाद उनके मासिक वेतन में 2,100 रुपये की वृद्धि की घोषणा से कुछ राहत मिली।
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हरियाणा में आशा कार्यकर्ताओं को दो महीने से अधिक के लगातार संघर्ष के बाद उनके मासिक वेतन में 2,100 रुपये की वृद्धि की घोषणा से कुछ राहत मिली।
आगे पढ़ेंहरियाणा के 15 गांवों के 3,000 से अधिक किसानों ने हरियाणा राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (एच.एस.आई.आई.डी.सी.) द्वारा अधिग्रहित उनकी 1,800 एकड़ से अधिक भूमि के लिए उचित मुआवज़े की मांग करते हुए 15 अक्तूबर को रविवार के दिन गुरुग्राम-जयपुर एक्सप्रेसवे को बंद कर दिया।
आगे पढ़ेंदुनियाभर के विभिन्न शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं, हजारों लोग फ़िलिस्तीनी लोगों के समर्थन में सड़कों पर उतर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने ग़ाजा पर इज़रायल की बमबारी, बच्चों की हत्या, ग़ाजा में अस्पतालों और आवासीय क्षेत्रों पर की गई बमबारी की कड़ी निंदा की है।
आगे पढ़ेंहिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का बयान, 21 अक्तूबर, 2023
अमरीकी सरकार ने खुलेआम इज़रायल को अपना राजनीतिक और सैनिक समर्थन दिया है। अल अहली अरब अस्पताल पर बमबारी के कुछ घंटों बाद राष्ट्रपति बाइडेन ने इज़रायल का दौरा किया और यह घोषणा की कि अमरीका अंत तक इज़रायल के साथ खड़ा रहेगा।
आगे पढ़ेंहिन्दोस्तान और विदेशों में हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के सदस्यों और समर्थकों ने सितंबर व अक्तूबर महीनों के दौरान, कई स्थानों पर मीटिंगें आयोजित की, जिनमें हाल ही में प्रकाशित किताब “हिन्दोस्तान पर कौन राज करता है?” पर चर्चा हुई। इन चर्चाओं में इस विषय को सही तौर पर समझने के महत्व पर ज़ोर दिया गया, क्योंकि इसकी सच्चाई को लोगों से छुपाने के लिए, काफ़ी भ्रम फैलाया गया है।
आगे पढ़ेंमज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
संयुक्त किसान मोर्चा (एस.के.एम.) ने किसान आंदोलन पर केंद्र सरकार द्वारा लगाये गये झूठे आरोपों की सख़्त निन्दा की है। ये सभी आरोप 9 अक्तूबर, 2023 को मीडिया पोर्टल न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ सरकार द्वारा दर्ज़ की गई एफ.आई.आर. में हैं। एस.के.एम. ने इन हमलों की आलोचना करते हुए, एक कड़ा बयान जारी किया है। एस.के.एम. ने इन हमलों की निंदा करने के लिए केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की घोषणा की है। विदित रहे कि एस.के.एम. ने 2020-21 के दौरान दिल्ली की सीमाओं पर साल भर तक चले किसानों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था।
आगे पढ़ेंसच तो यह है कि मौजूदा व्यवस्था को लोगों के लिए विश्वसनीय और स्वीकार्य बनाना संभव नहीं है। श्रमजीवी लोकतंत्र एक ऐसी व्यवस्था होगी जिसमें मेहनतकश बहुसंख्यक लोग फै़सले लेने की शक्ति का प्रयोग कर सकेंगे।
आगे पढ़ेंइस मुद्दे पर कम्युनिस्ट और वामपंथी पार्टियों ने मिलकर, 10 अक्तूबर को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया। इस विरोध प्रदर्शन ने देश के सभी लोगों से एकजुट होकर, लोकतांत्रिक अधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और ज़मीर के अधिकार पर केंद्र सरकार के बेशर्म हमले का विरोध करने का ज़ोरदार आह्वान किया।
आगे पढ़ेंमज़दूर एकता लहर के संवाददाता की रिपोर्ट
अनौपचारिक क्षेत्र के मज़दूरों के लिए एक व्यापक क़ानून बनाने पर काम करने वाले एक समूह (वर्किंग ग्रुप) ने 30 सितंबर और 1 अक्तूबर को नई दिल्ली में परामर्श व योजना के लिये एक मीटिंग आयोजित की। यह मीटिंग देश के विभिन्न भागों में आयोजित की जाने वाली ऐसी तीन मीटिंगों में से दूसरी है। पहली परामर्श व योजना मीटिंग 2-3 सितंबर को बेंगलुरू में हुई थी और तीसरी 14-15 अक्तूबर को मुंबई में होगी।
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