7 फरवरी, 2023 को इंडियन वर्कर्स एसोसिएशन (ग्रेट-ब्रिटेन) और ग़दर इंटरनेशनल द्वारा जारी किये गये बयान को हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं :
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7 फरवरी, 2023 को इंडियन वर्कर्स एसोसिएशन (ग्रेट-ब्रिटेन) और ग़दर इंटरनेशनल द्वारा जारी किये गये बयान को हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं :
आगे पढ़ेंस्कूल और विश्वविद्यालय के लगभग 50 हजार शिक्षकों, स्वास्थ्य कर्मियों, कई सार्वजनिक सेवाओं के मज़दूरों, रेल मज़दूरों आदि ने 1 फरवरी, 2023 को पूरे ब्रिटेन में, आपसी समन्वय के साथ, एक विशाल हड़ताल अभियान आयोजित किया।
आगे पढ़ेंपूरे फ्रांस में लाखों मज़दूरों ने एक ही महीने में दूसरी बार, 31 जनवरी को विरोध प्रदर्शन और रैलियां आयोजित कीं। मज़दूरों का यह विरोध सरकार के नए विधेयक खि़लाफ़ था जिसमें सेवानिवृत्ति की आयु को 62 वर्ष से बढ़ाकर 64 वर्ष करने का प्रस्ताव है। इससे पहले 19 जनवरी को दस लाख से अधिक मज़दूरों ने एक दिन की हड़ताल में भाग लिया था।
आगे पढ़ेंमज़दूर एकता कमेटी (एम.ई.सी.) ने 5 फरवरी को नई दिल्ली में निजीकरण पर एक सार्वजनिक चर्चा का आयोजन किया। चर्चा का विषय था “पूंजीवादी लालच बनाम समाज की ज़रूरतें”।
आगे पढ़ेंकार्यस्थल पर स्वास्थ्य, सुरक्षा और काम की हालतों पर श्रम संहिता (ओ.एच.एस.डब्ल्यू. कोड) उन चार श्रम संहिताओं में से एक है, जिसे सरकार ने श्रम क़ानूनों को सरल बनाने के नाम पर संसद में पारित किया था। लेकिन उसका असली मक़सद है पूंजीपतियों के लिए अपने धंधे को चलाना और आसान बनाने की गारंटी देना। संसद द्वारा, इसे बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया गया और 28 सितंबर, 2020 को एक क़ानून के रूप में लागू कर दिया गया था।
आगे पढ़ेंएन.पी.एस. का विरोध अब बढ़ रहा है क्योंकि हजारों सरकारी कर्मचारी जो 2004 में या उसके तुरंत बाद नौकरी में शामिल हुए थे, अभी सेवानिवृत्त हो रहे हैं और उन्हें अपनी मासिक पेंशन मिलनी शुरू हो गई है। एन.पी.एस. के तहत मिलने वाली अल्प मासिक पेंशन को लेकर वे काफी नाराज़ हैं।
आगे पढ़ेंहर साल की तरह, अब भी केंद्रीय बजट की प्रस्तुति के समय हिन्दोस्तानी और विदेशी इजारेदार पूंजीपतियों की विभिन्न लॉबियां (दबाव गुट) कॉरपोरेट टैक्स में और ज्यादा कटौती तथा सरकार से और ज्यादा रियायतों की मांग उठा रही हैं। इसके लिए वे यह तर्क पेश कर रहे हैं कि जब वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो रही है, तो हिन्दोस्तानी अर्थव्यवस्था के तेज़ गति से बढ़ते रहने के लिए पूंजीपतियों को अधिक “प्रोत्साहन“ की आवश्यकता है।
आगे पढ़ेंकिसानों का अनुभव रहा है कि जब उनकी फ़सलों को नुक़सान हो जाता है तो उनके बीमा क्लेम का पूरा भुगतान नहीं किया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया है कि बीमा कंपनियां सरकार से मिलीभगत करके किसानों के बीमा क्लेम में कटौती करती हैं। इसीलिये उन्होंने मांग की है कि क्रॉप कटिंग के आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाये और इसके आधार पर किसानों को पूरा बीमा क्लेम दिया जाये।
आगे पढ़ेंराजस्थान के लगभग आठ लाख सरकारी कर्मचारियों का आंदोलन कई महीनों से जोर पकड़ रहा है। इसे सफल बनाने के लिये राजस्थान के विभिन्न जिलों में अनेक सरकारी कर्मचारी संगठन तैयारी करते आये हैं। जैसे कि हनुमानगढ़ में 18 जनवरी को संयुक्त कर्मचारी महासंघ की ओर से विभिन्न मांगों को लेकर कलक्ट्रेट के सामने विरोध प्रदर्शन किया गया था जहां पर अपनी मांगों के संबंध में मुख्यमंत्री के नाम कलक्टर को ज्ञापन दिया गया था।
आगे पढ़ेंराष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन, पूंजीपतियों के निजीकरण के कार्यक्रम का एक प्रमुख हिस्सा है। इसका उद्देश्य है पूरे समाज की खनिज सम्पदा को, भूमि व बुनियादी ढांचे की संपत्ति को, इजारेदार पूंजीपतियों को सौंपना। इन बुनियादी ढांचे की संपत्तियों का निर्माण, मज़दूरों की अनेक पीढ़ियों के श्रम द्वारा किया गया है।
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