8 मार्च, 2010 अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की घोषणा की शताब्दी होगी। अपने अधिकारों और समाज में सम्मान पाने के लिये दुनिया की महिलाओं के संघर्ष के सौ साल से अधिक पूरे होने के इस अवसर पर मज़दूर एकता लहर समाज में महिलाओं के दमन के स्रोत को स्पष्ट करती है और इस तरह, इस दमन को खत्म करने की दिशा दिखाती है।
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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की हिन्दोस्तान यात्रा
बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना ने जनवरी में हिन्दोस्तान की चार दिन की सरकारी यात्रा की।
आगे पढ़ेंदुनिया की पृष्ठभूमि में हिन्दोस्तानी पूंजीपतियों के सैनिकीकरण की झलक
जब हम हिन्दोस्तानी सैनिकीकरण पर नज़र ड़ालते हैं तब हमें याद रखना होगा कि हर तौर पर अमरीका सबसे बड़ी सैनिक शक्ति है। अमरीका के सैनिक दुनियां के कोने-कोने में तैनात हैं। अमरीका न केवल पारंपरिक व नाभिकीय, दोनों तरह के हथियारों में सबसे आगे है, उसका वार्षिक सैनिक खर्चा (51500 करोड़ अमरीकी डॉलर) उससे निचले स्तर के देशों (फ्रांस, चीन, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, रूस, इटली) से 9 से 12 गुना ज्यादा है। य
आगे पढ़ेंलोक राज संगठन ने आगामी समय के लिये कार्य निर्धारित किये
चुनी गयी नई सर्व हिन्द परिषद की पहली सभा 17 जनवरी 2010 को दिल्ली में की गयी। यह एक अहम सभा थी क्योंकि कई महत्वपूर्ण विषयों पर यहां विचार विमर्श किया गया और अहम निर्णय लिये गये।
कड़ाके की ठंड के बावजूद अच्छी संख्या में सदस्य मौजूद थे और उन्होंने निम्नलिखित चर्चाओं में सक्रियता से भाग लिया:
आगे पढ़ेंहिन्दोस्तान के सरमायदार बड़ी तेजी से सैन्य शक्ति बढ़ा रहे हैं
आज हिन्दोस्तान अपनी आर्थिक समृद्धि की दर और देश के अंदर और पूरे विश्व में आक्रामक आर्थिक निवेशों के लिये उतना ही चर्चा में है, जितना कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी बढ़ रही भूमिका के लिये चर्चा में है। यह अपने आक्रामक फौजीकरण के लिये भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
आगे पढ़ेंक्रान्ति आ सकती है तथा अवश्य आयेगी!
संपादक महोदय,
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट गद़र पार्टी के महासचिव की ओर से पार्टी के सदस्यों को नव वर्ष की शुभकामनाओं के लिये मैं आभारी हूं। हिन्दोस्तान की धरती पर क्रान्ति आ सकती है तथा अवश्य आयेगी, इस विषय पर उनके जोश और आशावादिता से मैं प्रोत्साहित हूं।
आगे पढ़ेंबैंगलोर एक अहम योगदान
संपादक महोदय,
10 जनवरी, 2010 को हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति द्वारा जारी बयान ‘इस उपनिवेशवादी प्रकार के गणतंत्र को बहुत देर तक बर्दाश्त कर लिया है! मजदूर वर्ग को हिन्दोस्तानी संघ का पुनर्गठन करना होगा!’ – यह माक्र्सवाद-लेनिनवाद के दृष्टिकोण में एक अहम योगदान है।
आगे पढ़ेंरेलवे मोटरमैन की जायज माँगों का समर्थन करें!
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी, मुंबई समिति तथा मज़दूर एकता चलवल द्वारा प्रकाशित, 22 जनवरी 2010
वर्षों से अपनी मांगों पर जोर देने के बाद मुंबई के मोटरमैनों के पास काम रोकने के सिवाय और कोई चारा नहीं बचा था। पहली बार पश्चिम रेलवे व मध्य रेलवे के मज़दूरों ने एक समन्वय समिति बना कर घोषित किया कि 26 जनवरी को वे काम रोकेंगे।
आगे पढ़ेंओडिसा के बंद खदानों के मज़दूरों ने विरोध प्रदर्शन किया
ओडिसा के केओन्झार जिले के बर्बील-जोडा-गंदमर्दन खदान क्षेत्र के 10,000 से अधिक खदान मज़दूरों को नौकरी से निकाल दिया गया है। और 10,000 खदान मज़दूरों के सर पर नौकरी से निकाल दिये जाने की तलवार इस वक्त लटक रही है।
आगे पढ़ेंगोवा में नौका सेवा के निजीकरण के खिलाफ़ धरना
भारत सरकार नौपरिवहन एम्पलाइज यूनियन (गोवा) और गोवा ए.आई.टी.यू.सी. ने 17 दिसंबर 2009 को कैपटन आफ पोर्ट के दफ्तर के सामने राज्य की नदियों में नौका सेवा के निजीकरण किये जाने के खिलाफ धरना आयोजित किया। नदी नौपरिवहन प्रभाग से छीनकर इस सेवा को निजी हाथों में दिये जाने के खिलाफ यह धरना आयोजित किया गया था।
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