इस वर्ष के 18 मार्च को पैरिस कम्यून की 139वीं सालगिरह होगी। मजदूर वर्ग के इतिहास में यह एक बहुत ही महान और प्रेरक घटना थी। बहादुर क्रान्तिकारी ब़गावत के जरिये, पैरिस के मेहनतकशों ने राज्य सत्ता को अपने हाथ में ले लिया और पैरिस कम्यून के रूप में अपना शासन स्थापित किया। 26 मार्च से 30 मई, 1871 तक उन्होंने अपनी राज्य सत्ता को कायम रखा, पर अंत में उन्हें बेरहमी से कुचल डाला गया। उन्होंने पूंजीवा
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शताब्दी सालगिरह पर दिल्ली में जोशीली रैली
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के सौ साल मनाने के लिये इस वर्ष 8 मार्च के दिन तकरीबन 30 संगठनों से जुड़े एक हजार से भी अधिक महिलायें व पुरुष दिल्ली के केन्द्र में, मंडी हाऊस से जंतर-मंतर तक, एक जोशीली रैली में शामिल हुये। इस प्रदर्शन का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिये गठित शताब्दी समिति ने किया था।
आगे पढ़ेंअफ्रीका में हिन्दोस्तान की बढ़ती मौजूदगी
अपने मुनाफे को निरंतर बढ़ाने के प्रयास के एक हिस्सा बतौर हिन्दोस्तानी पूंजीपति देश में और विदेशों में भी अपनी पहुंच बढ़ा रहे हैं। पूंजी के लिये लाभकारी क्षेत्रों में निवेश के साथ-साथ, वे नये बाजारों, उर्जा के स्रोतों व कच्चे माल की खोज में रहते हैं। हाल के वर्षों में ऐसे क्षेत्रों में एक क्षेत्र, जिसमें उनकी मौजूदगी तेजी से बढ़ी है, नाना संसाधन संपन्न अफ्रीका है।
आगे पढ़ेंनिजीकरण विरोधी-संघर्ष में एक मील पत्थर
संपादक महोदय,
माडर्न फूड्स संघर्ष की 10वीं सालगिरह के अवसर पर मजदूर एकता लहर की फरवरी 16-28, 2010 के अंक में लेख छापने पर मैं आपका आभारी हूं। माडर्न फूड्स का संघर्ष हमारे देश में चल रहे वर्ग संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मील पत्थर है जिसे याद करना जरूरी है।
आगे पढ़ेंसंप्रग सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ़, 5 मार्च 2010 को देश के कोने-कोने में लाखों-लाखों मजदूरों ने विरोध प्रदर्शन किये।
अलग-अलग पार्टियों के ट्रेड यूनियनों ने एकजुट होकर, खाद्य की आसमान छूती महंगाई और मेहनतकशों पर अन्य हमलों का विरोध किया। उन्होंने खाद्य की बढ़ती महंगाई को फौरन रोकने के कदम मांगे, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण का विरोध किया, श्रम कानूनों के उल्लंघन की कड़ी सज़ा मांगी, कृषि मजदूरों तथा मौजूदे श्रम कानूनों के तहत सुरक्षा से वंचित अन्य क्षेत्रों के मजदूरों के लिए सुरक्षा मांगी और एक रा
आगे पढ़ेंखाद्य पदार्थों के प्रापण और वितरण का राष्ट्रीकरण और समाजीकरण किया जाए!
आधुनिक सर्वव्यापक सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के लिये खाद्य सबसिडी बढ़ाया जाए!
हथियारों पर खर्च घटाया जाए और ब्याज भुगतान रोका जाए!
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी 26 फरवरी को केन्द्रीय बजट पेश करने जा रहे हैं, ऐसे समय पर जब मजदूर वर्ग अप्रत्याशित खाद्य पदार्थों की महंगाई के बोझ के तले कराह रहा है। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने, बजट सत्र के आरंभिक दिन पर संसद को संबोधित करते
आगे पढ़ें5 मार्च को मज़दूर वर्ग के प्रदर्शन को सफल बनायें!
भारी मंहगाई तथा मेहनतकशों व लोगों पर दूसरे हमलों का सामना करने के लिये अपने देश के ट्रेड यूनियनों व मज़दूर वर्ग संगठनों ने 5 मार्च, 2010 को सर्व हिन्द विरोध के दिन का आयोजन किया है।
आगे पढ़ेंयूरोप में आर्थिक संकट
यूरोज़ोन के चार देषों – ग्रीस, स्पेन, पुर्तगाल और इताली – की अर्थव्यवस्थायें घोर संकट में हैं। बाकी यूरोपीय देशों पर भी इस संकट का असर होने की आशंका है। यूरो का मूल्य डालर की तुलना में गिर गया है। सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों से जाना जाता है कि 2009के आखिरी तीन महीनों में इन चारों देषों की अर्थव्यवस्थाओं में षून्य या नकारात्मक संवर्धन हुआ है।
आगे पढ़ेंअमरीका द्वारा अफगानिस्तान पर नये हमले की निंदा करें!
आज दुनिया में मौजूद सबसे खतरनाक हथियारों से लैस, हजारों अमरीकी सैनिकों ने फरवरी 2010 के दूसरे सप्ताह में अफगानिस्तान में फिर से हमला शुरू किया है। इस हमले का उद्देश्य है कब्जाकारी सेनाओं का विरोध करने वाले अफ़गान योद्धाओं के केन्द्रों को मिटा देना। अमरीका और नाटो की कब्जाकारी ताकतों के मुताबिक, उनका मकसद है अफगानिस्तान के तमाम क्षेत्रों को “तालिबानी नियंत्रण” से “मुक्त&rdqu
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