केंद्रीय श्रम मंत्री ने यह ऐलान किया है कि आने वाले संसद सत्र में खनन क़ानून में संशोधन किया जाएगा। इस संशोधन में से एक प्रस्तावित संशोधन यह है कि किसी भी दुर्घटना के लिए खान के मालिक को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। यह प्रस्तावित संशोधन मजदूरों की मांग पर शामिल किया गया है। वर्तमान क़ानून के मुताबिक दुर्घटना की जिम्मेदारी मैनेजर और सुपरवाईजर पर डाली जाती है। दूसरा प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक गैरकान
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खनन क़ानून में संशोधन
कारवार में बंद
कारवार कर्नाटक में 21 मजदूर यूनियनों और असोसिएशन के मजदूरों ने 6 जनवरी 2011 को बी.एल.आई.टी. के मजदूरों के समर्थन में बंद आयोजित किया। बी.एल.आई.टी. के मजदूर पिछले 90 दिनों से वेतन में बढ़ोतरी की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे हैं।
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असबेस्टस के शिकार लोगों ने प्रदर्शन किया
राजस्थान में उदयपुर जिले में झाडोल के असबेस्टस खान के सैकड़ों मजदूरों ने अहमदाबाद स्थित नेशनल इंस्टिटयूट ऑॅफ़ ओक्युपेश्नल हेल्थ (एन.आई.ओ.एच) के सामने 4 जनवरी, 2011 से चार दिन का धरना दिया। विदित है कि इस संस्थान ने पिछले साल असबेस्टस खान मजदूरों के स्वास्थ्य पर एक रिपोर्ट बनाने का ऐलान किया था। राजस्थान राज्य के खान मजदूर यूनियन के मुताबिक इस रिपोर्ट में यह पाया गया है कि 164 मजदूरों में
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दिंडीगुल के हस्तकरघा मज़दूर
हमारे दिंडीगुल संवाददाता के अनुसार, नागल नगर के करीब 35,000 हस्तकरघा मज़दूरों के पास कोई नौकरी नहीं है और करीब 7,000 हस्तकरघे रुके पड़े हैं। इसका कारण, साड़ियों को बुनने के लिये सूत और रेशम के धागे जैसे कच्चे माल की कीमतों में बहुत उतार-चढ़ाव, है। यहां की बनी साड़ियां तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और ओडिसा में बेची जाती हैं और इनके व्यापार में सालाना 100 करोड़ रु.
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दवाई युनिटों में मजदूरों का संघर्ष
गोवा में दवाई बनाने वाली कंपनी के वेरना स्थित तीन युनिटों के तालाबंदी किये जाने के खिलाफ़ सैकड़ों मजदूरों ने युनिटों के गेट को बंद कर दिया और वाहनों को फैक्ट्री से बाहर जाने से रोका। इससे पहले तालाबंदी की गयी तीन युनिटों – ऑर्किड, कुअलप्रो और झेफिर के मजदूरों ने न्याय की मांग करते हुए मारगोवा के श्रम आयुक्त के दफ्तर पर प्रदर्शन आयोजित किया। मैनेजमेंट ने तालाबंदी का ऐलान तब किया जब मजदूरों
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राजकीय आतंक के खिलाफ पत्रकार एकजुट
मणिपुर — मणिपुर के पत्रकारों ने सनालिबक दैनिक के संपादक ए. मोबी सिंह के सशस्त्र गुटों के साथ सम्बन्ध होने के आरोप पर गिरफ्तार किये जाने के खिलाफ़ 29 दिसम्बर, 2010 को हड़ताल कर दी। ए.
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ग़दर पार्टी लाल सलाम!
महोदय, मज़दूर एकता लहर के 1-15 जनवरी, 2011 के अंक में, अपनी पार्टी की 30वीं सालगिरह को मनाने की रिपोर्ट को मैंने लगन से पढ़ा। अपनी पार्टी का जन्म माक्र्सवाद-लेनिनवाद के आधार पर संगठन बनाने और आचरण करने के मकसद से, क्रांति की कठिन परीक्षा के समय पर हुआ था जब आंदोलन माओ त्से तुंग विचार से भटका हुआ था और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी-लेनिनवादी) के टुकड़े-टुकड़े हो गये थे। अपनी पार्टी क
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अपने देश के नवनिर्माण की ओर
महोदय, ”देश के नवनिर्माण के लिये संघर्ष तेज़ करें! हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का नव वर्ष संदेश” शीर्षक के बयान के जरिये, जनवरी 1 से 15, 2011 के अंक व वेब साईट में, पार्टी की केन्द्रीय समिति की शुभकामनायें लाने के लिये शुक्रिया!
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सनसनी खुलासे
सी.आई.आई.
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राडिया टेप्स के पर्दाफाश : पूंजीपति वर्ग द्वारा पूंजीवादी लोकतंत्र की व्यवस्था के पर्दाफाश को सीमित रखने की कोशिश
राडिया टेप्स से फिर यह सच्चाई सामने आती है कि हमारे देश में लोकतंत्र की व्यवस्था को चलाने वाले और उससे लाभ उठाने वाले सबसे बड़े इजारेदार पूंजीपति ही हैं। इजारेदार पूंजीपति और उनकी पार्टियां राजनीतिक प्रक्रिया के हर पहलू – उम्मीदवारों का चयन, चुनाव अभियान, सरकार गठन, मंत्रियों की नियुक्ति, नीतिगत और संवैधानिक फैसले – पर अपनी हुकूमत चला सकती हैं। पूंजीपति वर्ग राज्य का इस्तेमाल करके, अधिक
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