21 दिसम्बर, 2011 को मुंबई में टाटा की मालिकी की कंपनी, वोल्टास के मुख्य कार्यालय पर एक गेट मीटिंग की गई। यह मजदूरों की, अपने अधिकारों की हिफाजत में लगातार भूख हड़ताल का 200 वां दिन था।
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मजदूर वर्ग के लिये राज्य सत्ता को अपने हाथ में लेने की जरूरत
23-24 दिसम्बर, 2011 को मजदूर वर्ग गोष्ठी में प्रारंभिक दस्तावेज कामरेड लाल सिंह ने हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति की ओर से पेश किया। मजदूर वर्ग के लिये राज्य सत्ता को अपने हाथ में लेने की जरूरत शीर्षक के इस दस्तावेज को, गोष्ठी में हुई चर्चा के आधार पर, संपादित किया गया है और केन्द्रीय समिति के फैसले के अनुसार प्रकाशित किया जा रहा है।
(PDF दस्तावेज को डाउनलोड करने के लिए कवर चित्र पर क्लिक करें)
आगे पढ़ेंमानव अधिकार और इजारेदार पूंजीपतियों के “अधिकतम मुनाफों के अधिकार” के बीच टक्कर!
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का बयान, 8 दिसम्बर, 2011
इस वर्ष 10 दिसम्बर को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मानव अधिकारों के घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर के 63 वर्ष पूरे होंगे। आज से 21 वर्ष पहले, जब सोवियत संघ विघटित होने जा रहा था, तब 14नवम्बर को यूरोपीय राज्यों ने, अमरीका और कनाडा सहित, पैरिस चार्टर पर हस्ताक्षर किया था। पैरिस चार्टर में यह ऐलान कि
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मानव अधिकारों की रक्षा में जोरदार प्रदर्शन और रैली
संयुक्त राष्ट्र द्वारा अधिकारों की सार्वभौम घोषणापत्र को अपनाने की 63वीं सालगिरह पर 10 दिसंबर, 2011 को नई दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन और रैली की गई।
इस प्रदर्शन व रैली का आयोजन लोक राज संगठन ने किया था।
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कामरेड आर. शणमुगम को श्रध्दांजलि
वफादारकम्युनिस्ट, जुझारू ट्रेड यूनियन नेता, निष्ठावान सामाजिक कार्यकर्ता और मानववादी, कामरेड आर.

पाकिस्तान के खिलाफ़ नाटो के हमले की निंदा करे!
26 नवम्बर को अमरीका की अगुवाई में अफ़गानिस्तान के नज़दीक पाकिस्तान की भूमि पर मिला-जुला हवाई तथा ज़मीनी हमला हुआ, जिसमें पाकिस्तान के 24 सैनिकों की मौत हुई और उससे ज्यादा घायल हुए। पाकिस्तानी नागरिक तथा सरकार ने एक होकर गुस्से की प्रतिक्रियाएं कीं और देश भर में विरोध प्रदर्शन किये गये। इतने सारे लोगों को मौत की कगार में ढकेलने वाले अमरीका की अगुवाई में किये गये हमले का मज़दूर एकता लहर कड़ा विरोध
आगे पढ़ेंअमरीकी अगुआई में ईरान पर दबाव और ब्लैकमेल का विरोध करे!
हाल के सप्ताहों में, इजराइल, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी तथा अन्य शक्तियों सहित अमरीकी साम्राज्यवाद तथा उसके दोस्त, ईरान पर दबाव तथा उसकी घेराबंदी बेशुमार बढ़ा रहे हैं। ईरान पर प्रतिबंध बढ़ाने के ब्रिटेन के निर्णय के बाद नवम्बर 27 को ईरानी मजलिस, यानि कि संसद ने ब्रिटेन के साथ अपने संबंध खत्म करने का निर्णय लिया। ब्रिटेन के ख़िलाफ़ जन साधारण के गुस्से ने तेहरान में ब्रिटेन के दूतावास पर कई नौजवानों
आगे पढ़ेंजॉर्ज बुश तथा टोनी ब्लेयर पर युध्द अपराधी का आरोप
22 नवम्बर को, मलेशिया में स्थित कुआला लुमपुर युध्द संबंधित अपराधों के न्यायाधिकरण ने अमरीका के भूतपूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश तथा ब्रिटेन के भूतपूर्व प्रधान मंत्री टोनी ब्लेयर पर, 2003 के इराक के ख़िलाफ़ हमलों के लिए और बाद में उसके कब्ज़े के लिए युध्द संबंधित अपराधों का दोष लगाया।
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‘वॉल स्ट्रीट पर कब्ज़ा करो’ आंदोलन
विश्व पूंजीवाद के केन्द्र, अमरीका के न्यूयार्क स्थित वॉल स्ट्रीट से एक मील से भी कम दूरी पर, बीते तीन महीनों में अमरीका और सारी दुनिया को ऐसा दृश्य देखने को मिल रहा है जो लगभग चार दशकों में नहीं देखा गया है।
आगे पढ़ें”मितव्ययिता” और यूनानी लोकतंत्र का संकट
स्वरूपों का, दासता से लेकर, सबसे लंबा इतिहास है। आज, 21वीं सदी की शुरुआत में, यूनान के लोगों को एक ऐसे राज्य का सामना करना पड़ रहा है जो खुल्लम-खुल्ला तरीके से, अपने नागरिकों की बजाय विदेशी साहूकारों के प्रति ज्यादा वफादार है।
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