28 फरवरी, 2012 को देश के मजदूर वर्ग और उनके तमाम ट्रेड यूनियनों और संगठनों ने पूंजीपतियों की संप्रग सरकार द्वारा, पूंजीपतियों के हित में श्रम कानूनों को सुधारने के प्रस्तावों का विरोध करने, निजीकरण और उदारीकरण के कार्यक्रम को हराने तथा जनता की जेब काटकर पूंजीपतियों को राहत न देने, बैंकिंग और व्यापार का राष्ट्रीयकरण और सामाजीकरण करने, महंगाई को खत्म करने और एक सर्वव्यापी सार्वजनिक वितरण व्यवस
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