राजकीय आतंक के खिलाफ पत्रकार एकजुट

मणिपुरमणिपुर के पत्रकारों ने सनालिबक दैनिक के संपादक ए. मोबी सिंह के सशस्त्र गुटों के साथ सम्बन्ध होने के आरोप पर गिरफ्तार किये जाने के खिलाफ़ 29 दिसम्बर, 2010 को हड़ताल कर दी। ए.

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ग़दर पार्टी लाल सलाम!

महोदय, मज़दूर एकता लहर के 1-15 जनवरी, 2011 के अंक में, अपनी पार्टी की 30वीं सालगिरह को मनाने की रिपोर्ट को मैंने लगन से पढ़ा। अपनी पार्टी का जन्म माक्र्सवाद-लेनिनवाद के आधार पर संगठन बनाने और आचरण करने के मकसद से, क्रांति की कठिन परीक्षा के समय पर हुआ था जब आंदोलन माओ त्से तुंग विचार से भटका हुआ था और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी-लेनिनवादी) के टुकड़े-टुकड़े हो गये थे। अपनी पार्टी क

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अपने देश के नवनिर्माण की ओर

महोदय, ”देश के नवनिर्माण के लिये संघर्ष तेज़ करें! हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का नव वर्ष संदेश” शीर्षक के बयान के जरिये, जनवरी 1 से 15, 2011 के अंक व वेब साईट में, पार्टी की केन्द्रीय समिति की शुभकामनायें लाने के लिये शुक्रिया!

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राडिया टेप्स के पर्दाफाश : पूंजीपति वर्ग द्वारा पूंजीवादी लोकतंत्र की व्यवस्था के पर्दाफाश को सीमित रखने की कोशिश

राडिया टेप्स से फिर यह सच्चाई सामने आती है कि हमारे देश में लोकतंत्र की व्यवस्था को चलाने वाले और उससे लाभ उठाने वाले सबसे बड़े इजारेदार पूंजीपति ही हैं। इजारेदार पूंजीपति और उनकी पार्टियां राजनीतिक प्रक्रिया के हर पहलू – उम्मीदवारों का चयन, चुनाव अभियान, सरकार गठन, मंत्रियों की नियुक्ति, नीतिगत और संवैधानिक फैसले – पर अपनी हुकूमत चला सकती हैं। पूंजीपति वर्ग राज्य का इस्तेमाल करके, अधिक

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आयरलैंड घोर संकट में : एक और पूंजीवादी हीरो ढेर हुआ

यूनान के बाद आयरलैंड दूसरी यूरोपीय सरकार है जिसने दिवालियेपन की घोषणा कर दी है और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से विशेष बचाव ऋण खोज रहा है।
पिछले दो दशकों में, यूरोपीय अर्थव्यवस्था में आयरलैंड के कामकाज की बड़ी प्रशंसा की गयी थी। दूसरे यूरोपीय देशों के मुकाबले, आयरलैंड में पूंजीवादी निगमों के लिये आयकर और ब्याज की दर काफी कम थी। इसके जरिये यहां पर पूंजी को खूब आकर्षित करन

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हिन्दोस्तानी गणतंत्र का संकट और उससे निकलने का रास्ता

वर्तमान गणतंत्र की 61वीं सालगिरह होने वाली है और हमारे देश की आर्थिक तथा राजनीतिक व्यवस्था सबतरफा संकट में फंसी हुई है। यह व्यवस्था विश्वसनीयता के संकट में फंसी हुई है।
अधिकतम मजदूरों और कामकाजी बुध्दिजीवियों में इस बात पर बहुत गुस्सा है कि हमारे शासक खाद्य पदार्थों तथा अन्य आवश्यक सामग्रियों की असहनीय व लगातार बढ़ती महंगाई को रोकने में असमर्थ हैं।
खुदरा द

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ओडिसा में बढ़ते राजकीय आतंक की निंदा करें!

मजदूर एकता लहर बड़े गुस्से के साथ हिन्दोस्तानी राज्य की निंदा करती है, जो सबसे बड़े पूंजीवादी समूहों की खनन परियोजनाओं के खिलाफ़ लोगों के विरोध को कुचलने के लिए ओडिसा के विभिन्न इलाकों में कार्यकर्ताओं की सुनियोजित ढंग से हत्या करवा रहा है।

श्रीकृष्ण समिति ने तेलंगाना पर रिपोर्ट पेश की : लोगों को जानबूझकर भड़काने की कोशिश की निंदा करें!

तेलंगाना के विषय पर बिठाई गई श्रीकृष्ण समिति ने 30 दिसम्बर, 2010 को केन्द्रीय सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में समस्या को हल करने के 6 विकल्प दिये गये हैं। एक प्रस्ताव को ”सबसे पसंद प्रस्ताव” बताया गया है और दूसरे प्रस्ताव पर इसके बाद विचार किया जायेगा। बाकी चार विकल्पों के बारे में समिति ने खुद ही कहा है कि इन्हें अमल में नहीं लाया जा सकता। श्रीकृष्ण समिति को संप

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