खुदरा व्यापार और अन्य क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश के द्वार खोलने की कोशिश की सफाई में, प्रधान मंत्री व तथाकथित अर्थशास्त्री तर्क देते हैं कि अगर अपनी अर्थव्यवस्था को डूबने से बचाना है तो अधिक मात्रा में विदेशी पूंजी जरूरी है। वे ऐसी धारणा बनाते हैं मानो हिन्दोस्तानी अर्थव्यवस्था और उसकी वृद्धि की संभावनाओं में “पूंजी की कमी” की गंभीर समस्या है।
इस तर्क का प्रभावशाली
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