सरकार के मजदूर वर्ग विरोधी कार्यक्रम के खिलाफ़ एकजुट संघर्ष तेज़ करें!

4 सितम्बर के मजदूर वर्ग अधिवेशन की सफलता सुनिश्चित करें!

11 जुलाई 2012 को ट्रेड यूनियन के नेताओं ने नयी दिल्ली में भामस कार्यालय पर हुई सभा में मेहनतकशों से आह्वान किया कि ''सरकार को अपनी नीतियां बदलने को मजबूर करने के लिए एकजुट संघर्ष को और तेज'' किया जाये। इस उद्देश्य से सभा में अपनाये गये प्रस्ताव में सभी ट्रेड यूनियनों से आग्रह किया गया कि वे स्थानीय और राजकी

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सिंडिकेट वाईपर के मज़दूरों और उनकी यूनियन के नेताओं पर हो रहे हमलों की कड़ी निंदा करो!

नयी मुंबई में स्थित एक कारखाने के मज़दूरों और उनकी यूनियन के नेताओं पर मालिक के भाड़े के गुंडों द्वारा हमले किये गये।

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आर्थिक सुधार कार्यक्रम पर मजदूर-मेहनतकशों के विचार

मजदूर वर्ग और मेहनतकशों की हिमायत करने वाले अखबार और संगठन बतौर, हम मेहनतकशों के नेताओं से यह सवाल कर रहे हैं कि 20 वर्ष पहले शुरू किये गये सुधारों के परिणामों के बारे में हिन्दोस्तान के मेहनतकशों का क्या विचार है। क्या उन सुधारों से मजदूर वर्ग और मेहनतकश जनसमुदाय को फायदा हुआ है या नुकसान?

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फासीवादी मेस्मा के विरोध में मज़दूर वर्ग और लोगों के संगठन एकजुट हुये

18 से अधिक मज़दूर संगठनों, महिला संगठनों तथा अन्य जन संगठन फासीवादी महाराष्ट्र इसेंशियल सर्विसेज मेंटनेंस एक्ट (एम.ई.एस.एम.ए. या मेस्मा) 2011 के लागू किये जाने के विरोध में एक साथ आये। उन्होंने एक आयोजन समिति में एक साथ आकर, 21 जुलाई के दिन मुंबई में एक आमसभा का आयोजन किया और मेस्मा को वापस लिये जाने तक लड़ने की शपथ ली।

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मारुति सुजुकी के मजदूरों पर पुलिस आतंक की कड़ी निंदा करें!

यूनियन बनाने और अति-शोषण का विरोध करने के मजदूरों के अधिकार की हिफ़ाज़त में एकजुट हों!

18 जुलाई, 2012 को मारुति सुजुकी के मानेसर स्थित प्लांट में हुई हिंसा के पश्चात, राज्य की पुलिस को आदेश दिया गया है कि गुड़गांव-मानेसर इलाके में मजदूरों के बीच आतंक फैलाया जाये। मारुति सुजुकी के सौ से अधिक मजदूरों को गिरफ्तार करके जेल में बंद कर दिया गया है। सैकड़ों मजदूर गिरफ्तार होने से बचने के ल

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असम में राज्य द्वारा आयोजित समुदायिक जनसंहार की निंदा करें!

असम के दक्षिणी भाग में, लाखों बेकसूर पुरुष, स्त्री व बच्चे भयानक समुदायिक जनसंहार के शिकार बने हैं। और अपने गांव, घर, खेत, मवेशी, सब कुछ छोड़ कर भागने को मजबूर हुये हैं। सैकड़ों गांव जला दिये गये हैं। हथियारबंद कातिलाना गुंडों ने अनगिनत लोगों का बेहरमी से कत्ल किया है। बड़े क्रोध के साथ, हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी उस इलाके में जानबूझकर समुदायिक जनसंहार आयोजित करने के लिये हिन्दोस्तानी

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मनमोहन सिंह की सरकार ने जी.ए.ए.आर. के मसौदे को ठुकराया

जुलाई 2012 में वित्त मंत्रालय संभालने का काम शुरू करने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लिये गये प्राथमिक मुख्य फैसलों में से एक था जनरल एंटी-एवोयडेंस रूल्स (जी.ए.ए.आर.) के मसौदे को खारिज़ करना और सभी ''हिस्सेदारों'' से सलाह करके एक नये मसौदे का प्रस्ताव करने के लिए एक नयी कमेटी बिठाना। जी.ए.ए.आर.

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मोटरगाड़ी उद्योग के मजदूर बढ़ते शोषण के शिकार

हिन्दोस्तान में मोटरगाड़ी उद्योग बड़ी तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र है जिसमें हमारे देश के बड़े पूंजीपति तथा विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अधिक से अधिक हद तक शामिल हो रही हैं।

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गोरखपुर : जबरदस्ती भूमि अधिग्रहण के खिलाफ़ किसानों का संघर्ष पूरी तरह जायज है!

18 जुलाई से, हरियाणा के गोरखपुर इलाके के सैकड़ों परिवारों ने अपने-अपने गांवों के तपते खेतों में तम्बू लगा लिये हैं। सरकार द्वारा वहां परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिये भूमि अधिग्रहण के खिलाफ़, महिलायें, पुरुष व बच्चे आंदोलन चला रहे हैं।

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