पडघा, महाराष्ट्र में मई दिवस

“संगठित हो, हुक्मरान बनो और समाज को बदल डालो!”, लोक राज संगठन की पडघा समिति के इस आह्वान का स्वागत करके, दो सौ से अधिक नागरिक 6 मई की सभा में शामिल हुए।

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रेल चालकों के प्रति रेलवे मंत्रालय के बेरुख़े बर्ताव की निंदा करो!

जैसा कि मज़दूर एकता लहर के मार्च 1 से 15 के अंक में प्रकाशित किया गया था, केन्द्रीय श्रम मंत्रालय ने रेल चालकों की शिकायतों पर विचार करने के लिये एक राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल नियुक्त किया था। सरकार को ऐसा करना पड़ा क्योंकि रेल चालकों ने 3 व 4 मई, 2010 को दो दिवसीय आंदोलन किया, जिससे मुंबई की रेल सेवायें  पूरी तरह से ठप्प हो गयी थीं। आंदोलन के और तेज़ होने के ख़तरे को टालने के लिये ट्रिब्यूनल

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सभी मजदूरों के सर्वव्यापी अधिकारों के लिये संघर्ष करें!

निजीकरण और उदारीकरण कार्यक्रम को हरायें!

मई दिवस 2012 के अवसर पर हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति का आह्वान

मजदूर साथियो!

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उत्तरी कोरिया पर साम्राज्यवादी दबाव फिर शुरू

अमरीकी साम्राज्यवादियों ने उत्तरी कोरिया पर एक बार फिर दबाव डालना और उसे धमकाना शुरू किया। इस बार उनका बहाना उत्तरी कोरिया द्वारा 13 अप्रैल को एक उपग्रह प्रक्षेपित करने की कोशिश थी। जबकि उपग्रह प्रक्षेपण पर संयुक्त राष्ट्र का या किसी और अंतर्राष्ट्रीय संधि का उल्लंघन नही होता है, फिर भी अमरीका ने उत्तरी कोरिया को जा रहे 2,40,000 टन खाद्य पदार्थों से भरे एक जहाज को रद्द कर दिया और जापान ने उत

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ईरानी आतंकवादियों का अमरीकी साम्राज्यवादी प्रशिक्षण

अमरीकी साम्राज्यवाद का विरोध करने वाले देशों और सरकारों के लिये मुसीबतें पैदा करने के लिये अमरीकी साम्राज्यवाद ने एक हथियार का इस्तेमाल करने में निपुणता हासिल की है। वह है, उन देशों के अंदर विध्वंसकारी गुटों को तैयार करना और उन्हें सहायता देना। ऐसे गुटों को तोड़-फोड़ करने, हत्यायें करने और दूसरी अपराधी हरकतें करने के लिये प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे उन देशों में अस्थिरता ला सकें।

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शिक्षा का अधिकार अधिनियम के दो साल बाद :

शिक्षा का अधिकार अभी भी एक सपना

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 1अप्रैल, 2010को लागू हुआ था। बहुत प्रचार किया गया है कि यह संप्रग सरकार की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो हमारे देश के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा सुनिश्चित कराने के प्रति सरकार की तथाकथित वचनबध्दता को दर्शाता है।

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आर्थिक सुधार कार्यक्रम पर मजदूर-मेहनतकशों के विचार

मजदूर वर्ग और मेहनतकशों की हिमायत करने वाले अखबार और संगठन बतौर, हम मेहनतकशों के नेताओं से यह सवाल कर रहे हैं कि 20 वर्ष पहले शुरू किये गये सुधारों के परिणामों के बारे में हिन्दोस्तान के मेहनतकशों का क्या विचार है। क्या उन सुधारों से मजदूर वर्ग और मेहनतकश जनसमुदाय को फायदा हुआ है या नुकसान?

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हनुमानगढ़ के अनार किसान कर्जे में डूबे :

किसानों की ओर राजस्थान व केन्द्र सरकार के बेरुखा रवैया

2005-06 से राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में अनार की पौध लगाने वाले किसानों में से सैंकड़ों दीवालिया हो गये हैं। पिछले चार वर्षों से वे मांग कर रहे हैं कि केन्द्र व राज्य सरकारों के कृषि व बागवानी विभाग, किसानों से किये अपने वादे पूरे करें। परन्तु किसानों की मांगों की कोई सुनवाई नहीं हुयी है। जैसा कि किसान बताते हैं, जिम्मेदारी क

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नई दिल्ली में हुई ब्रिक्स शिखर बैठक का ऐलान क्या दिखाता है?

ब्रिक्स देशों – ब्राज़ील, रूस, हिन्दोस्तान, चीन और दक्षिण अफ्रीका – के नेता मार्च के अंत में नई दिल्ली में मिले। ब्रिक्स एक हाल में बनाया गया देशों का समूह है (दक्षिण अफ्रीका सबसे हाल का सदस्य है) जो दुनिया के मंच पर उभर कर आ रहा है। मिलाकर इन देशों में दुनिया की आबादी का 43 प्रतिशत रहती है और पूरी दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद का 40 प्रतिशत इन देशों से है। हाल के वर्षों में इन देशों ने, अलग-अल

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