किसान आन्दोलन एमएसपी की मांग पर अडिग

पंजाब व हरियाणा के बीच खनौरी व शंभू बोर्डर पर 13 फरवरी, 2024 से धरने पर बैठे आंदोलित किसानों ने 30 दिसम्बर को पंजाब बंद का आह्वान किया। किसान मजदूर मोर्चा, किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब, भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धुपुर, भारतीय किसान यूनियन (क्रान्तिकारी) तथा हरियाणा के किसान संगठन, भारती किसान यूनियन-शहीद भगत सिंह ने 30 दिसंबर के पंजाब बंद को क़ामयाब करने के लिये दम लगाकर काम किया। इस बंद की सफलता के लिए 27 दिसम्बर से पंजाब के प्रत्येक जिले में अभियान चलाये गए। अनेक मज़दूर, किसान व व्यापारी संगठन इस आन्दोलन का समर्थन कर रहे हैं।

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रेल चालकों का सर्व हिन्द अधिवेशन संपन्न

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (ए.आई.एल.आर.एस.ए.) का 24वां द्विवार्षिक अधिवेशन 17-18 दिसम्बर, 2024 को पटना के गांधी मैदान के क़रीब, श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में, बहुत ही जोशपूर्ण वातावरण में हुआ। इस अधिवेशन में पूरे देश से लगभग 3,000 रेल चालक परिवार सहित गर्मजोशी के साथ शामिल हुये। इसमें महिला लोको पायलटों ने बड़ी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज़ की।

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महिलाओं के ख़िलाफ़ भेदभाव और हिंसा को ख़त्म करने के लिए पूंजीवाद को ख़त्म करना होगा

मौजूदा राज्य, पूंजीवादी व्यवस्था और पूंजीपति वर्ग के शासन की रक्षा करता है और उसे क़ायम रखता है। पूंजीपति वर्ग की राजनीतिक पार्टियां और राज्य की सभी संस्थाएं, जिनमें कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका शामिल हैं, महिलाओं के उत्पीड़न और भेदभाव को क़ायम रखती हैं।

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शंभू बार्डर पर हरियाणा पुलिस द्वारा किसानों पर किए गए हमले की निंदा करें

किसानों को दिल्ली आकर केंद्र सरकार के समक्ष अपनी मांग रखने का पूरा अधिकार है। सभी फ़सलों के लिए क़ानूनी तौर पर गारंटीकृत एमएसपी की मांग एक जायज़ मांग है जिसे हमारे देश के मज़दूर वर्ग और लोगों का समर्थन प्राप्त है। शंभू बॉर्डर पर किसानों पर हरियाणा पुलिस द्वारा किए गए हमले की कड़ी निंदा की जानी चाहिए।

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महिलाओं के उत्पीड़न के विरोध में प्रदर्शन

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

16 दिसंबर, 2024 को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर तमाम महिला संगठनों ने मिलकर, महिलाओं पर बढ़ती हिंसा और उत्पीड़न के खि़लाफ़, – ‘निर्भया से अभया तक’ स्मृति व प्रतिरोध में – इस शीर्षक पर एक संयुक्त जनसभा आयोजित की। जिसमें मेहनतकश महिलाओं व पुरुषों के साथ-साथ, बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं व नौजवानों ने भाग लिया।

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बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 32वीं बरसी पर जनसभा

विरोध प्रदर्शन का आयोजन लोक राज संगठन, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया, हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी, जमात-ए-इस्लामी-हिंद, लोक पक्ष, सिटिज़न्स फॉर डेमोक्रेसी, स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन, मज़दूर एकता कमेटी, पुरोगामी महिला संगठन, सिख फोरम, सीपीआई (एम-एल) – न्यू प्रोलेतेरियन, यूनाइटेड मुस्लिम फ्रंट ने संयुक्त रूप से किया। भाग लेने वाले संगठनों के प्रतिनिधियों ने राज्य द्वारा आयोजित सांप्रदायिक हिंसा और लोगों के सांप्रदायिक बंटवारे की राजनीति को ख़त्म करने और संघर्ष को आगे बढ़ाने पर अपने विचार रखे।

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निर्माण कार्यों की कामबंदी के मुआवजे़ को लेकर प्रदर्शन

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
पूंजीवादी व्यवस्था के चलते प्राकृतिक व सामाजिक वातावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। प्रदूषण के लिए यह पूंजीवादी व्यवस्था ज़िम्मेदार है। यह व्यवस्था अनियमित व अनियंत्रित विकास को बढ़ावा देती है, जिसका मुख्य लक्ष्य मुनाफ़ा कमाना है।

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देशभर से आये घरेलू कामगारों का जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

12 दिसंबर, 2024 को घरेलू कामगारों ने अपनी मांगों को लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन को घरेलू कामगारों के राष्ट्रीय मंच ने आयोजित किया। इस प्रदर्शन में देशभर से आये 500 से अधिक घरेलू कामगारों ने हिस्सा लिया। सभी कामगारों ने एकमत से अपने अधिकारों और कामगार के रूप में मान्यता दिए जाने की मांग को बुलंद किया।

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ASHA-workers-protest-in-Hyderabad


आशा मज़दूरों का हैदराबाद में ज़ोरदार प्रदर्शन

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

10 दिसम्बर, 2024 को हजारों की संख्या में आशा मज़दूरों ने आशा वर्कर्स यूनियन की अगुवाई में अपनी मांगों को लेकर हैदराबाद के जिला चिकित्सा एवम स्वास्थ्य कार्यालय का घेराव करके ज़ोरदार प्रदर्शन किया।

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Bhopal-survivors-2012


भोपाल गैस रिसाव की त्रासदी की 40वीं बरसी

इस आपदा से हमारे लोगों को क्या सबक लेना चाहिए? यही कि हिन्दोस्तान और विदेश में बड़े पूंजीपति हमारे लोगों का शोषण करके अधिकतम लाभ कमाने के लिए कुछ भी करने से नहीं चूकेंगे। यह कि ये पूंजीपति अपने कार्यों को सुविधाजनक बनाने और लोगों के ख़िलाफ़ अपने अपराधों को छिपाने के लिए राज्य और उसकी सभी एजेंसियों का इस्तेमाल करते हैं। पूंजीपतियों से लोगों को न्याय दिलाने के लिए राज्य के किसी भी अंग पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

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