मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
10 दिसम्बर, 2024 को हजारों की संख्या में आशा मज़दूरों ने आशा वर्कर्स यूनियन की अगुवाई में अपनी मांगों को लेकर हैदराबाद के जिला चिकित्सा एवम स्वास्थ्य कार्यालय का घेराव करके ज़ोरदार प्रदर्शन किया।
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10 दिसम्बर, 2024 को हजारों की संख्या में आशा मज़दूरों ने आशा वर्कर्स यूनियन की अगुवाई में अपनी मांगों को लेकर हैदराबाद के जिला चिकित्सा एवम स्वास्थ्य कार्यालय का घेराव करके ज़ोरदार प्रदर्शन किया।
आगे पढ़ेंइस आपदा से हमारे लोगों को क्या सबक लेना चाहिए? यही कि हिन्दोस्तान और विदेश में बड़े पूंजीपति हमारे लोगों का शोषण करके अधिकतम लाभ कमाने के लिए कुछ भी करने से नहीं चूकेंगे। यह कि ये पूंजीपति अपने कार्यों को सुविधाजनक बनाने और लोगों के ख़िलाफ़ अपने अपराधों को छिपाने के लिए राज्य और उसकी सभी एजेंसियों का इस्तेमाल करते हैं। पूंजीपतियों से लोगों को न्याय दिलाने के लिए राज्य के किसी भी अंग पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
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नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर, 29 नवम्बर, 2024 को हजारों की संख्या में, देशभर के अलग-अलग राज्यों से आये आशा मज़दूरों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन किया।
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3 दिसम्बर, 2024 को उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित राष्ट्रीय दलित स्मारक के अंदर किसान अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे। किसानों को उत्तर प्रदेश की पुलिस ने दोपहर को जबरन गिरफ़्तार कर लिया। धरना में शामिल बुजुर्ग महिलाओं को भी पुलिस ने गिरफ़्तार किया।
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9 दिसम्बर, 2024 को राजस्थान में बिजली के निजीकरण के खि़लाफ़ राजस्थान विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति (कर्मचारी, अधिकारी एवं अभियन्ता मंच) ने बैठक की। संघर्ष की आगे की रणनीति तैयार की। इस संयुक्त संघर्ष समिति में राजस्थान के बिजली क्षेत्र की 17 यूनियनें शामिल हैं।
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उत्तर प्रदेश में 7 दिसंबर, 2024 को बिजली के निजीकरण के विरोध में राज्यभर में ज़बरदस्त प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की अगुवाई में हुआ। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के सभी निगम मुख्यालयों, उपकेंद्रों, उत्पादन इकाइयों पर विरोध सभाएं, प्रदर्शन व जुलूस आयोजित किये गये।
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17 नवम्बर, 2024 को मज़दूर एकता कमेटी ने ‘कनाडा में हिन्दोस्तानी छात्रों का अनिश्चित भविष्य’ – इस विषय पर एक सभा का आयोजन किया। इस सभा में देश के अलग-अलग हिस्सों से छात्रों, शिक्षकों, अधिवक्ताओं, मज़दूरों, किसानों, ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं, महिला संगठनों के कार्यकर्ताओं, आदि ने हिस्सा लिया। इसके अलावा, सभा में कनाडा, इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया, आदि कई देशों से लोग शामिल हुये।
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स्कूल टीचर्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया की अगुवाई में सैकड़ों अध्यापकों ने नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर 29 नवंबर, 2024 को प्रदर्शन किया। उनकी मुख्य मांग है कि सभी को गुणवत्तापूर्ण और अनिवार्य मुफ़्त समान शिक्षा मिले।
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6 दिसम्बर, 2024 को शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर कूच कर रहे किसानों के एक जत्थे पर हरियाणा पुलिस ने हमला किया। उन पर आंसू गैस छोड़ी। इस हमले में सात किसान घायल हो गए। इसके बाद किसानों ने अपना मार्च स्थगित कर दिया।
आगे पढ़ेंहालांकि, अमरीका ने यूएनएससी का स्थायी सदस्य होने के नाते, अपनी वीटो शक्ति का प्रयोग करते हुए, प्रस्ताव को पारित होने से रोक दिया। यह बिना किसी संदेह के, इस हक़ीक़त को दर्शाता है कि इज़रायल, पूरी तरह से अमरीकी साम्राज्यवाद द्वारा प्रदान किए गए बिना शर्त समर्थन के बलबूते पर ही, फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ अपने क़त्लेआमकारी हमले को जारी रखने में सक्षम है।
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