22 जुलाई, 2011 को वोल्टास एम्प्लाइज़ यूनियन द्वारा आयोजित क्रमिक भूख़ हड़ताल को 100 दिन पूरे हो रहे हैं। यह हड़ताल मुम्बई के चिंचपोकली में स्थित कम्पनी मुख्यालय के सामने जारी है। वोल्टास लिमिटेड, यह टाटा ग्रुप की कम्पनी है। 2009-10 में उसकी बिक्री के आंकड़े करीबन 4000करोड़ रु. थे, और कर पूर्व मुनाफ़ा 300 करोड़ रु. के ऊपर था।
मज़दूरों की चार मुख्य मांगे हैं:-
22 जुलाई, 2011 को वोल्टास एम्प्लाइज़ यूनियन द्वारा आयोजित क्रमिक भूख़ हड़ताल को 100 दिन पूरे हो रहे हैं। यह हड़ताल मुम्बई के चिंचपोकली में स्थित कम्पनी मुख्यालय के सामने जारी है। वोल्टास लिमिटेड, यह टाटा ग्रुप की कम्पनी है। 2009-10 में उसकी बिक्री के आंकड़े करीबन 4000करोड़ रु. थे, और कर पूर्व मुनाफ़ा 300 करोड़ रु. के ऊपर था।
मज़दूरों की चार मुख्य मांगे हैं:-
पहली मांगे : जनरल स्टाफ कैटेगरी के लिए भर्ती शुरू करो!
1987 में हिन्दोस्तान भर के अलग-अलग युनिटों में वोल्टास के 7000 नियमित मज़दूर हुआ करते थे। 1998 तक यह संख्या घटकर 3000हो गई। आज मुष्किल से 600 बचे हैं, जिनमें से करीबन 500 ठाणे की फैक्टरी में तथा चिंचपोकली स्थित कम्पनी के मुख्यालय में हैं। पिछले 15बरसों में नियमित मज़दूरों की भर्ती बंद कर दी गयी है। इसी दौरान बिक्री तथा मुनाफ़ा कई गुना बढ़े हैं।
हिन्दोस्तन के अलग-अलग इलाकों में स्थित वोल्टास की युनिटों में करीबन 3000 प्रबंधकीय या मैनेजमेंट स्टाफ है। इसका मतलब यही होता है कि वोल्टास में नियमित मज़दूरों की अपेक्षा प्रबंधकीय स्टाफ 5गुना ज्यादा है! कम्पनी काम कैसे करती है?
नियमित मज़दूर पहले जो काम करते थे, उसे टीम लीज़ तथा केलीज़ जैसी बाहरी एजेंसियों से करवाया जा रहा है, और बहुत सा काम ठेका मज़दूरों से भी करवाया जा रहा है। इसके अलावा, नियमित मज़दूरों से पहले जो काम करवाया जाता था, उसके लिए प्रबंधक केडर में नयी भर्ती की जा रही है। प्रबंधक कैटेगरी के मज़दूरों को नियमित मज़दूरों से 3-4 गुना वेतन देना पड़ता है। इसके बावजूद, मज़दूरों की यूनियन तथा उनकी एकता को तोड़ने के इरादे से प्रबंधन यह सब कर रहा है।
भर्ती बढ़ाने की मांग के जवाब में 8 अप्रैल, 2011 को कम्पनी के प्रबंध निदेशक ने खत में ऐसा लिखा:
“दुनिया में तकनीक किस हद तक बदली है, इसका ख्याल हममें से बहुत कम लोग रखते हैं। 30 साल पहले, स्टेनो या टाईपिस्ट खत लिखते थे। कैलकुलेटर की सहायता से क्लेरिकल या प्रबंधक स्टाफ रिपोर्ट बनाते थे। चपरासी खुद के हाथों से खत पहुंचा देते थे, टेलेक्स ऑपरेटर्स अविलंब संदेश भेजते थे, सायक्लोस्टाइलिंग ऑपरेटर्स दस्तावेज़ों की कॉपियां बनाते थे, फाइलिंग क्लर्कस कागजात को संभालते थे तथा टेलिफोन काल्स स्विचबोर्ड ऑपरेटर्स के द्वारा जाते थे।
आधुनिक तकनीक – काम्प्यूटर्स, इंटर्नेट, फोन्स, इत्यादि ने काम की परिस्थिति बदल दी है। आज (वर्ड प्रोसेसिंग के ज़रिये) हम खुद अपने खत टाइप करते हैं, (स्प्रेडषीट्स पर) रिपोर्ट बना लेते हैं, (सेकेंडों में) ईमेल्स भेजते हैं, (मात्र एक बटन को छूकर) प्रिंट करा देते हैं, और (ऑन लाइन) दस्तावेज फाइल करा देते हैं। यह सब ज्यादा आसानी से, तेजी से तथा बहुत और उत्पादकता से होता है। और इसी प्रकार के बदलाव उत्पादन, सेल्स, ऑफिसेस, सेवा केंद्र तथा प्रकल्प स्थल पर आये हैं।
इसीलिए हर मैनेजर आज कल कुछ ऐसे काम करता है, जो पहले ’जनरल स्टाफ’ करते थे। लेकिन प्रबंधन के काम के और भी पहलू होते हैं, जिनमें अ) मार्केट, उत्पाद, ग्राहक, स्पर्धक, तकनीक, प्रक्रियाएं, विक्रेता, वाणिज्य, कानून, इत्यादि का ज्ञान तथा ब) निर्णय लेने के लिए उसे ज्ञान तथा डेटा का इस्तेमाल करने की विशेष कला आती हैं।”
अपने खत में प्रबंध निदेशक जो कह रहा है, वह बात तो हिन्दोस्तान का हर एक मज़दूर जानता है। लेकिन वह यह कहने के लिए राजी नहीं है कि मज़दूरों की प्रवीणता भी बढ़ गयी है। बढ़ी हुई उत्पादकता का अर्थ कम मज़दूर, यह लाजमी नहीं है। वोल्टास मुनाफ़े बना रही है, बढ़ रही है, इसका मतलब यही होता है कि मज़दूर अपना काम कर रहे हैं और उनका अतिरिक्त श्रम मुनाफ़े के रूप में निकाला जा रहा है। वोल्टास के व्यवस्थापन ने मज़दूरों को अनेक श्रेणियों में बांटा है – काम को बाहर से करवा के, ठेका मज़दूरी से तथा कइयों को “मैनेजेरियल स्टाफ” बतौर भर्ती करके।
नियमित मज़दूरों का काम जिन से करवाते हैं, ऐसे नये मज़दूरों को ’मैनेजमेंट केडर’ जैसा गौरवान्वित पद देना, यह तो मज़दूरों का संगठित प्रतिरोध तोड़ने का ही एक प्रयास है।
वोल्टास व्यवस्थापन यह सच्चाई मानने के लिए तैयार नहीं है कि मज़दूर भले कोई भी श्रेणी का क्यों न हो, यूनियनीकृत, मैनेजेरियल या ठेका मज़दूर क्यों न हो, उन सब की बढ़ती उत्पादकता ही कम्पनी के बढ़ते मुनाफ़ों का स्रोत है।
दूसरी मांग : मांग पत्र का सेटलमेंट करो!
5 बरसों का पिछला वेतन करार मार्च 2010 में खत्म हो चुका है। नया मांगपत्र सेटल करने से व्यवस्थापन इंकार कर रहा है। इसके अलावा, उस ने 2009-10 का बोनस अब तक नहीं दिया है, जबकि कम्पनी बहुत बड़े मुनाफ़े बना रही है। इसके विपरीत, मैनेजमेंट स्टाफ को इसी के दौरान ”कार्य से संबंधित बोनस” के नाम पर प्रति व्यक्ति 50,000 रु. से लेकर 10 लाख रु. दिया है!
तीसरी मांग: मज़दूर तथा उनके नेताओं के खिलाफ़ दंडात्मक कार्यवाही वापस लो!
प्रतिशोध की भावना से प्रेरित व्यवस्थापन ने मुम्बई विभाग के जनरल सेक्रेटरी सहित मज़दूरों के 3नेताओं को सस्पेंड किया है। और 10 पद धारकों को चार्जषीट दी है। 7 सितम्बर, 2010 को जो सर्व हिन्द हड़ताल हुई थी, उसमें हिस्सा लेने वाले मज़दूरों का 7 दिनों का वेतन कांटने के लिए व्यवस्थापन कोर्ट में गया है। इतना ही नहीं, भोजन के अवकाश में यूनियन ऑफिस में जाने वाले मज़दूरों का वेतन भी वह काट रहा है!
चौथी मांग : ठाणे की फैक्टरी के मज़दूरों की नौकरियां सुरक्षित रखने का वचन दो!
फोर्कलिफ्ट मषीन्स बनाने के लिए हाल ही में कम्पनी ने जर्मन बहुराष्ट्रीय ग्रूप कियॉन के साथ एक ज्वाइंट वैंचर करार किया। इसके लिए पुणे में एक नयी फैक्टरी प्रस्तावित है। यूनियन का कहना है कि इस उत्पादन के लिए ठाणे की फैक्टरी में पर्याप्त जगह उपलब्ध है। यूनियन को यह लगना उचित है कि उसकी ताकत कम करने के लिए पुणे का प्लांट बन रहा है।
उपरोक्त 4मागों के बारे में वोल्टास व्यवस्थापन की भूमिका पूर्णतः मज़दूर विरोधी है, और उसी की वजह से मज़दूरों का संघर्ष जारी है। वोल्टास व्यवस्थापन, 19 वीं सदी की सड़ी गली प्रथा को जारी रखकर मज़दूरों को सामूहिक सौदा करने के हक़ से वंचित रखना चाहता है।
अपनी यूनियन की अगुवाई में वोल्टास लिमिटेड के मज़दूरों की न्यायोचित मागों का मज़दूर एकता लहर पुरजोर समर्थन करती है।