हरियाणा के फतेहाबाद जिले के गोरखपुर क्षेत्र में परमाणु संयंत्र की स्थापना के लिये सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के खिलाफ़ वहां के निवासियों के संघर्ष के 300दिन 12जून, 2011को पूरे हुये।
आंदोलनकारियों को डराने-धमकाने की प्रशासन ने तमाम कोशिशें की हैं परन्तु लोग डटे हुये हैं। वे अपनी उपजाऊ कृषि भूमि और रोजगार के परंपरागत स्रोतों को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहते हैं।
हरियाणा के फतेहाबाद जिले के गोरखपुर क्षेत्र में परमाणु संयंत्र की स्थापना के लिये सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के खिलाफ़ वहां के निवासियों के संघर्ष के 300दिन 12जून, 2011को पूरे हुये।
आंदोलनकारियों को डराने-धमकाने की प्रशासन ने तमाम कोशिशें की हैं परन्तु लोग डटे हुये हैं। वे अपनी उपजाऊ कृषि भूमि और रोजगार के परंपरागत स्रोतों को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहते हैं।
इस इलाके के निवासी खास तौर पर परमाणु संयंत्र की स्थापना करने की योजना से बहुत चिंतित हैं। उन्होंने प्रशासन को कई ज्ञापन दिये हैं जिनमें यह बताया है कि परमाणु संयंत्र से काफी दूरी तक भी खतरनाक विकिरणों का फैलाव स्वाभाविक है। अतः अगर संयंत्र के आस-पास उनका पुनर्वास किया भी जाता है तो उनकी तथा आने वाली पीढि़यों की जिंदगी हमेशा खतरे में होगी। परमाणु विकिरणों से फसलों, पानी और पर्यावरण पर भी खतरनाक असर होगा। परमाणु संयंत्र में अगर कोई दुर्घटना हो जाती है तो इसका पहला और सीधा प्रभाव यहां के निवासियों पर ही होगा।
जापान में हाल में हुई सुनामी के कारण परमाणु दुर्घटना के खतरों की खबरों से यहां के निवासी बहुत भयभीत हो गये हैं। लोगों में यह भरोसा नहीं है कि किसी दुर्घटना के होने पर सरकार और प्रशासन उनकी जान-माल की रक्षा करने को प्राथमिकता देगी। भोपाल कांड का उदाहरण यह दिखाता है कि हमारी सरकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों और पूंजीपितयों के हितों की रक्षा को प्राथमिकता देती है, न कि लोगों के हितों की रक्षा को। अपराधियों को कभी सज़ा नहीं दी जाती, यह भी लोग अच्छी तरह जान गये हैं।
इसीलिये गोरखपुर के लोग परमाणु संयंत्र के लिये भूमि अधिग्रहण के खिलाफ़़ संघर्ष को इतनी गंभीरता से आगे बढ़ा रहे हैं और इतने लम्बे समय तक, तमाम कठिनाइयों और खतरों का सामना करते हुये, इसमें डटे हुये हैं।