हमारे पाठकों से : अमरीकी साम्राज्यवादी हस्तक्षेप हमारे इलाके के लिए बहुत बड़ा ख़तरा

संपादक महोदय

मज़दूर एकता लहर के 1 जून के अंक में प्रकाशित लेख “अमरीकी साम्राज्यवादी हस्तक्षेप का पुरजोर विरोध करें” के बारे में कुछ लिखना चाहता हूँ। यह लेख बहुत ही उचित, सही और समयानुसार है। लेख बखूबी बताता है कि कैसे अमरीकी साम्राज्यवादियों ने अपने तंग हितों के लिए दुनिया के कई देशों को बर्बाद किया है और इसको अंजाम देने के लिए तमाम तरह के प्रयोग करता आया है जैसे कि शासन  परिवर्तन, लोकतंत्र की स्थापना, लोगों की आज़ादी के झूठे दावे देना, इत्यादि।

मैं आप से सहमत हूँ कि अमरीकी साम्राज्यवादियों से नाता हिन्दोस्तान को कहीं और नहीं बल्कि विनाश की तरफ ही लेकर जाने वाला है। हम बखूबी देख सकते हैं कि किस तरह से पिछले कुछ वर्षों से हमारे पड़ोसी देशों में हिन्दोस्तान के प्रति अविश्वास बढ़ता गया है। आज हमारा एक भी पड़ोसी हिन्दोस्तान के अमरीकी साम्राज्यवादियों के करीब आने से खुश नहीं है और युद्ध का ख़तरा हर वक्त उनके सर पर मंडरा रहा है। चाहे वह मुल्क नेपाल हो या चीन या पाकिस्तान, हर एक के साथ दिन प्रतिदिन तनाव बढ़ता ही जा रहा है।

हिन्दोस्तान के खुद के साम्राज्यवादी मंसूबे की वजह से वह एशिया में अकेला रह गया है और अमरीकी साम्राज्यवादियों के साथ बढ़ती नजदीकी हिन्दोस्तान को और अकेला कर देगी। अमरीका की मध्यस्तता के प्रस्ताव से अमरीकी साम्राज्यवादियों को छोड़कर  हिन्दोस्तान सहित एशिया के किसी भी देश का कुछ भी भला नहीं है। इस बात की पुष्टि इतिहास से बखूबी होती है। अमरीकी साम्राज्यवाद ने जिस भी देश का हितैषी बनने का दावा किया है उसका विनाश ही करके छोड़ा है। इन में इराक, लिबिया, अफगानिस्तान और पाकिस्तान चन्द जाने माने नाम हैं। एशिया महाद्वीप में ही उसने अफगानिस्तान और अपने सदाबहार मित्र पाकिस्तान का क्या हश्र किया है, हमें भूलना नहीं चाहिए। इन देशों को कैसे ज़रूरत निकल जाने पर बरबादी की कगार पर छोड़ दिया है।

हिन्दोस्तान और पाकिस्तान को हमेशा से एक दूसरे का दुश्मन बनाकर अमरीका अपने हथियार बेचता आया है और इसके लिए कभी आतंकवाद तो कभी कश्मीर तो कभी कुछ और बहाने का इस्तेमाल करके एक दूसरे को उकसाता रहा है। चीन के साथ युद्ध, हिन्दोस्तान के साथ पूरे एशिया के लोगों के लिए ख़तरा है और इससे पूरा एशिया महाद्वीप कमजोर होगा जिसका फायदा अमरीकी साम्राज्यवादियों को होगा। वे इस मसले को अपने एक ध्रुवीय सत्ता कायम करने के उद्देश्य से देख रहे हैं और इसी उद्देश्य के लिए हिन्दोस्तान में अपनी जड़ें बड़ी तेज़ी के साथ फैला रहे हैं।

मैं मज़दूर एकता लहर के संपादक जी को इस बहुत ही सटीक लेख के लिए धन्यवाद देता हूँ। यह लेख बेशक हिन्दोस्तान के लोगों तथा पूरे एशिया के लोगों के लिए एशिया में अमरीकी साम्राज्यवाद के हस्तक्षेप का विरोध करने लिए मार्गदर्शक साबित होगा।

रामदेव

मुंबई

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