गोरखपुर के मिल मजदूरों की जीत

गोरखपुर की दो मिलों के मजदूरों ने लम्बे संघर्ष के बाद मालिकों के खिलाफ़ अपनी लड़ाई जीती है।

गोरखपुर की दो मिलों के मजदूरों ने लम्बे संघर्ष के बाद मालिकों के खिलाफ़ अपनी लड़ाई जीती है।

जिन मजदूरों को दिल्ली में मई दिवस रैली में भाग लेने के लिए निलंबित किया गया था, उन्हें वापस लिया गया है और तालाबंद मिलों को 3जून, 2011को फिर से खोल दिया गया है। ये दो मिल 10अप्रैल से तालाबंद थे। 18निलम्बित मजदूरों में 12 मजदूर फ़ौरन काम पर लिए जायेंगे और बाकी 6मजदूरों को अंदरूनी जांच के बाद वापस लिया जाएगा। मजदूरों के दबाव के कारण मालिकों को यह भी मानना पड़ा है कि जांच समिति में मैनेजमेंट की ओर से कोई नहीं होगा; सिर्फ दो ऑफिस स्टाफ और एक मजदूरों द्वारा नामांकित व्यक्ति होगा।

गोरखपुर से 1500मजदूरों ने दिल्ली में मई दिवस रैली में भाग लिया था। फैक्टरी मालिकों ने उन्हें रोकने की खूब कोशिश की थी। सरकारी अफसरों ने भी ऐसा किया था और मजदूरों के नेताओं को “मजदूरों को भड़काने” के आरोप पर गिरफ्तार करने की धमकी दी थी।

बीते कुछ महीनों के संघर्ष के दौरान मजदूरों को मालिकों और जिला प्रशासन के मिले-जुले हमलों का सामना करना पड़ा है। मालिकों के गुंडों ने मजदूरों पर गोलियां चलाई हैं। मजदूरों पर लाठी चार्ज किया गया है और उनके नेताओं को गिरफ्तार किया गया है। मालिकों ने मजदूरों की हिम्मत को तोड़ने की पूरी कोशिश की है। परन्तु मजदूर एकजुट रहे और अंत में मालिकों को झुकना पड़ा।

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