देशभर में मज़दूर अपने अधिकारों पर हमलों का विरोध कर रहे हैं

इस समय सरकार कोविड-19 की महामारी और लॉकडाउन के बहाने देश के श्रम कानूनों में पूंजीवादी संशोधन करके और मज़दूर वर्ग के अधिकारों को कुचलकर एक जबरदस्त बदलाव लागू करने की कोशिश कर रही है। इन हमलों के खि़लाफ़ अपना कड़ा विरोध व्यक्त करने के लिए देशभर के विभिन्न क्षेत्रों के मज़दूरों ने धरना प्रदर्शन और अन्य विरोध प्रदर्शन आयोजित किये हैं।

Defence Employees Against Corporatisation
निगमीकरण के विरोध में रक्षा क्षेत्र के मज़दूरों का प्रदर्शन
Ludhiana
लुधियाना

2 मई को मज़दूरों ने 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों जिसमें सीटू, एटक, इंटक, हिंद मज़दूर सभा, यू.टी.यू.सी., टी.यू.सी.सी., ए.आई.यू.टी.यू.सी., ए.आई.सी.सी.टी.यू. सेवा और एल.पी.एफ. शामिल हैं, उनके आह्वान पर विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया गया। पोस्टरों, प्लेकार्ड और नारों के माध्यम से मज़दूरों ने श्रम कानूनों में मज़दूर-विरोधी संशोधनों को तत्काल वापस लेने की मांग की।

“अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने” के नाम पर मज़दूर-विरोधी कार्यक्रम को बढ़ावा देने की सरकार की कोशिश की उन्होंने स्पष्ट शब्दों में निन्दा की। इनमें सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण और कृषि के निगमीकरण भी शामिल है। उन्होंने उन करोड़ों श्रमिकों के लिए तत्काल राहत के उपाय और सामाजिक सुरक्षा की मांग की जो अपनी आजीविका खो चुके हैं और बिना किसी सहारे के भूखो मरने के लिए छोड़ दिए गए हैं। दिल्ली में, राजघाट पर एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया।

इससे पहले 20 मई को भारतीय मज़दूर संघ ने 14 राज्यों में श्रम कानूनों में मज़दूर-विरोधी संशोधन के खि़लाफ़ पूरे देश में दिनभर के विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया। श्रम कानूनों में एकतरफा बदलाव और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के बेलगाम निजीकरण के कार्यक्रम को लागू करने की सरकार की कोशिशों की प्रदर्शनकारियों ने कड़ी निंदा की।

20 May Singareni Coal Mines Karmika Sangh oppose Privatisation of mines
20 मई को सींगरेनी कोयला खदान श्रमिक संघ ने निजीकरण का विरोध किया

उन्होंने सरकार के खि़लाफ़ नारे लगाए और मांग की कि उन सभी मज़दूरों को जिन्होंने रोजी-रोटी के अपने साधन खो दिए हैं, उन्हें राहत दी जाए और जो अपने गांव वापस जाना चाहते हैं, उनके लिए अपने राज्यों में लौटने के लिए उचित यात्रा की व्यवस्था की जाए।

Amritsar
अमृतसर

बड़े पैमाने पर नौकरी के नुकसान, तालाबंदी की अवधि के लिए श्रमिकों को मज़दूरी का भुगतान न करने, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और अन्य सेवा प्रदाताओं को कोविड-19 के लिए उपयुक्त सुविधाओं के प्रावधान की कमी, कारखानों में प्रति दिन काम करने की अवधि को 8 घंटे से 12 घंटे बढ़ाने और मज़दूरों के अधिकारों पर सरकार के बढ़ते हमलों के खि़लाफ़, प्रदर्शनकारियों नारे लगाये और सरकार की निन्दा की।

दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक प्रदर्शन किया गया। देश के कई अन्य हिस्सों के विभिन्न क्षेत्रों में भी विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया गया।

Bihar
बिहार

बैंकों, रक्षा, दूरसंचार, रेलवे और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों की यूनियनों और मज़दूरों के अन्य संगठनों के साथ मिलकर, मज़दूरों ने अपने-अपने कार्यस्थलों पर सरकार के विरोध में प्रदर्शन आयोजित किये। जैसे ही देश की वित्त मंत्री ने 17 मई को सार्वजनिक क्षेत्र के कई रणनीतिक उद्यमों का निजीकरण करने की सरकार की योजनाओं की घोषणा की सार्वजनिक क्षेत्र के कई उद्यमों के मज़दूरों ने इस कार्यक्रम के खि़लाफ़ विरोध प्रदर्शनों के द्वारा अपना गुस्सा प्रकट किया। कारखानों में काम करने वाले मज़दूरों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और कई अन्य क्षेत्रों के मज़दूरों ने देश के विभिन्न स्थानों पर इन विरोध प्रदर्शनों को आयोजित किया।

BSNL Employees Stage Protest Across India
बी.एस.एन.एल. के मज़दूरों का देशभर में विरोध प्रदर्शन

ऑल इंडिया डिफेंस एम्पलाइज फेडरेशन के बैनर तले, देशभर में ऑर्डनेन्स फैक्ट्रियों की 41 इकाइयों के मज़दूरों ने फैक्ट्री बोर्ड के निगमीकरण के हाल ही में घोषित प्रस्ताव के खि़लाफ़ विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि फैक्ट्री बोर्ड के निगमीकरण का यह प्रस्ताव, हथियार फैक्ट्रियों के निजीकरण के कार्यक्रम को लागू करने की दिशा में पहला क़दम है।

Ghaziabad Workers’ Protest
गाजियाबाद में मज़दूरों का धरना

भारत संचार निगम लिमिटेड (बी.एस.एन.एल.) के कर्मचारियों ने प्रत्येक कार्यशील शिफ्ट को आठ घंटे से बढ़ाकर बारह घंटे करने के सरकारी आदेशों का विरोध किया। इसके अलावा, बी.एस.एन.एल. के मज़दूरों ने बी.एस.एन.एल. को 4जी सेवा प्रदान न करने की सरकार की लगातार जिद, जो बड़ी निजी दूरसंचार कंपनियों के हितों के समर्थन में है उसके खि़लाफ़ उन्होंने सरकार की निंदा करते हुए सरकार के खि़लाफ़ नारे लगाए।

उत्तराखंड के रुद्रपुर जिले में मज़दूरों ने राज्य सरकार द्वारा हाल ही में घोषित किये गये श्रम कानूनों के संशोधनों की निंदा करते हुए एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया जिसमें उन्होंने कहा कि यह सरकार “मेहनतकश मज़दूरों को गुलामों की ज़िंदगी” जीने के लिए मजबूर कर रही है।

Government Workers Protest against Privatisation
सरकारी कर्मचारियों का निजीकरण के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन

हिमाचल प्रदेश में सैकड़ों मज़दूरों ने फैक्टरी अधिनियम, ठेका मज़दूर अधिनियम, औद्योगिक विवाद अधिनियम में घोषित बदलावों और मज़दूरों के अधिकारों पर अन्य हमलों के खि़लाफ़ विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने राज्य के विभिन्न शहरों में जिला मुख्यालयों पर डिप्टी कमिश्नरों के माध्यम से मुख्यमंत्री को अपने मांगपत्र सौंपे।

1000 दिनों की अवधि के लिए लगभग सभी श्रम कानूनों से फैक्ट्री मालिकों को छूट देने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग करते हुए, उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद के कई औद्योगिक क्षेत्रों में मज़दूरों ने विरोध प्रदर्शन किये।

Himachal Pradesh
हिमाचल प्रदेश

आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता, जिनको अब कोविड-19 की स्क्रीनिंग और उसके डॉक्यूमेंटेशन की ड्यूटी भी करनी पड़ रही है। इसके विरोध में उन्होंने पंजाब और कई अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया। उन्होंने अपनी कई मांगों जैसे कि नौकरियों को स्थाई दर्ज़ा देने, पर्याप्त वेतन, नौकरी की सुरक्षा और उनके द्वारा किए जा रहे ख़तरनाक काम के लिए सुरक्षात्मक सुविधाएं (मास्क और पीपीई) देने आदि को फिर से दोहराया।

Jharkdand
झारखंड

एंटी मलेरिया कर्मचारी संघ के नेतृत्व में दिल्ली में मलेरिया-रोधी अभियान में लगे मज़दूरों ने सरकार द्वारा मज़दूरों के अधिकारों पर किये जा रहे हमले के खि़लाफ़ प्रदर्शन किया। कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान अगली श्रेणी के कार्यकर्ताओं के रूप में उन्होंने मास्क और सैनिटाइजर की भी मांग की।

पोर्ट और डॉक मज़दूरों के साथ-साथ पावर और बिजली क्षेत्र से जुड़े मज़दूरों ने अपने अधिकारों पर हो रहे हमलों के खि़लाफ़ प्रदर्शनों का आयोजन किया। हरियाणा बिजली बोर्ड के मज़दूरों ने कार्य दिवस को 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे करने के राज्य सरकार के आदेश के खि़लाफ़ 22 मई को विरोध प्रदर्शन किया।

Madhepura, Bihar
मधेपुर, बिहार

तेलंगाना, झारखंड और गुजरात में नगरपालिका मज़दूरों, बीड़ी बागान से जुड़े मज़दूरों, आदि के कई विरोध प्रदर्शन आयोजित किये गए। महाराष्ट्र में औद्योगिक मज़दूरों ने विभिन्न कारखानों में दो घंटे की हड़ताल का आयोजन कर, मज़दूर-वर्ग विरोधी संशोधनों को वापस लेने की मांग की।

तमिलनाडु में हजारों विरोध प्रदर्शन आयोजित किये गए जिनमें लगभग 2 लाख मज़दूरों ने भाग लिया।

बिहार और यूपी में कई जगहों पर प्रदर्शन कर रहे मज़दूरों को पुलिस के साथ भी भिड़ना पड़ा।

Puducheri
पांडीचेरी

पश्चिम बंगाल के चाय बागानों से जुड़े हुए मज़दूर, जो कोरोनोवायरस लॉकडाउन और एम्फैन तूफान की दोहरी मार झेल रहे हैं, उन्होंने चाय बागानों के मालिकों और सरकार से इन कठिन परिस्थितियों में जीने के किये ज़रूरी राहत की मांग करते हुए, एक संयुक्त विरोध प्रदर्शन किया।

रक्षा कर्मचारी, रेलवे कर्मचारी और विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी जो निजीकरण के ख़तरे का सामना कर रहे हैं, अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में विरोध प्रदर्शनों का आयोजन कर रहे हैं।

Punjab Aanganwadi Workers demand regularisation
पंजाब में आंगनवाड़ी कर्मियों ने स्थाई होने की मांग की

राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, झारखंड और दिल्ली में कई औद्योगिक क्षेत्रों के मज़दूरों ने विरोध प्रदर्शन आयोजित किये।

कालाहांडी (ओडिशा) में निर्माण क्षेत्र से जुड़े मज़दूरों, हुबली (कर्नाटक) में बीमा क्षेत्र से जुड़े मज़दूरों, बर्नपुर (बिहार) में इस्पात कारखानों में काम करने वाले मज़दूरों, असम में चाय बागान में काम करने वाले मज़दूरों सहित देश के अन्य मज़दूरों ने भी विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया।

Railway Workers, Tamil Nadu
रेलवे मज़दूर, तामिलनाडु

जादुगुड़ा (झारखंड) में यूरेनियम की खदानों में काम करने वाले मज़दूरों ने, मूसलाधार बारिश में भी विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। मलाजखंड (मध्य प्रदेश) के तांबा खदान मज़दूर और पूर्वी भारत के पूरे कोयला क्षेत्र से जुड़े सभी मज़दूरों ने विरोध प्रदर्शन किए। केरल के समुद्री मछली क्षेत्र से जुड़े मज़दूरों ने अपने अधिकारों की हिफ़ाज़त के लिए सरकार के खि़लाफ़ विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।

उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और ओडिशा में मज़दूरों ने मज़दूर-विरोधी श्रम कानून में संशोधन के आदेशों का विरोध किया। तमिलनाडु और राजस्थान के बिजली बोर्डों के कर्मचारियों ने भी विभिन्न विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया।

Tea plantation workers in West Bengal
पश्चिम बंगाल में चाय बागान मज़दूरों का प्रदर्शन

पूरे देश में अलग-अलग क्षेत्रों के मज़दूरों द्वारा विरोध प्रदर्शन, कॉरोनोवायरस लॉकडाउन और विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए, राज्य द्वारा जारी अनेक कड़े आदेशों और बहुत से प्रतिबंधों को लागू करने के बावजूद, बेहद कठिन परिस्थितियों में आयोजित किए गए हैं। ये सभी विरोध प्रदर्शन इस हक़ीक़त को दर्शाते हैं कि हमारे देश के मज़दूर अपने अधिकारों पर सरकार के हमलों के खि़लाफ़ लड़ने के लिए एकजुट हैं और सरकार के इन मज़दूर विरोधी मंसूबों को हराने के लिए संघर्ष को तैयार हैं।

Workers protest in Guajrat
गुजरात में मज़दूरों का प्रदर्शन

सत्ताधारी पूंजीपति वर्ग और उसका राज्य, राजनीतिक संघर्षों पर प्रतिबंध लगाकर और कॉरोनोवायरस लॉकडाउन के ज़रिये, मज़दूर वर्ग के विरोध की आवाज़ को बंद करने और मज़दूर वर्ग को चुप कराने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। उनके ये ख्वाब हैं कि वे हमारे अधिकारों पर अपने इस क़ातिलाना हमले को बिना किसी विरोध के क़ामयाब बनाने में सफल हो जायेंगे। उन्हें अपने देश के मज़दूरों की ताक़त का अंदाज़ा नहीं है। हमारे देश का मज़दूर वर्ग इन हमलों का सख़्ती से विरोध कर रहा है पूंजीपतियों और उनके राज्य की योजनाओं को नाकाम कर रहा है। हम सब मिलकर पूंजीपति वर्ग की इन साज़िशों को हराने में ज़रूर क़ामयाब होंगे।

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