विश्वव्यापी महामारी के संकट के दौरान अमरीकी साम्राज्यवाद के आक्रामक रवैये का और भी खुलासा

इस समय जब दुनिया के सभी देश कोविड-19 महामारी के संकट की चुनौतियों से जूझ रहे हैं, अमरीकी साम्राज्यवाद लोगों के खि़लाफ़ अपने आक्रमण को बढ़ाने और अपने प्रभुत्व को जमाने के हर मौके का फ़ायदा उठा रहा है।

अमरीका चीन को अपना मुख्य प्रतिद्वंदी के रूप में देखता है और इसलिए अमरीका ने चीन के खि़लाफ़ अपना प्रचार और आर्थिक एवं राजनीतिक युद्ध और भी तेज़ कर दिया है। अमरीका ने चीन को इस कोरोना महामारी की उत्पत्ति का देश होने के नाते मुआवज़ा देने की मांग उठाई है। अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने तो यह भी दावा किया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान की एक प्रयोगशाला से लीक किया गया है, हालांकि अमरीकी खुफिया एजेंसियां स्वयं इस दावे का समर्थन नहीं करती हैं। अमरीका को इस बात का डर सता रहा है कि अमरीका के मुक़ाबले चीन अपने देश में कोरोना वायरस पर काबू पाता दिख रहा है और अमरीका के मुक़ाबले वह अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में जल्द व ज्यादा सफल हो जायेगा। वर्तमान में अमरीका में सबसे ज्यादा कोरोना वायरस संक्रमित लोग हैं और इस महामारी से मरने वालों की संख्या भी सबसे ज्यादा है। अमरीका ने संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) की भी निंदा की है क्योंकि डब्ल्यू.एच.ओ. ने इस कोरोना वायरस पर काबू पाने के लिए चीन की प्रशंसा की थी। अमरीका ने डब्ल्यू.एच.ओ. को सज़ा देने के लिए उसका बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। अमरीका ने डब्ल्यू.एच.ओ. के लिये दी जाने वाली आर्थिक सहायता रोक दी है जबकि विश्व स्तर पर इस महामारी से लड़ने के लिए इस वक्त सबसे ज्यादा धन की सख़्त ज़रूरत है।

अपने साम्राज्यवादी मंसूबों को हासिल करने में, खास तौर पर पश्चिमी एशिया और खाड़ी इलाके में, अमरीकी साम्राज्यवाद के रास्ते में एक दूसरा रोड़ा ईरान नज़र आता है। पिछले कुछ सालों से, अमरीका ने ईरान पर दबाब डालने कि लिए ईरान के खि़लाफ़ एक जबरदस्त झूठ का अभियान चलाया है। इस साल जनवरी से, जब अमरीका ने बड़ी बेशर्मी से ईरान की सेना के प्रमुख का दिन दहाड़े क़त्ल किया जब वे इराक में एक औपचारिक दौरे पर थे, तब से ईरान के खि़लाफ़ अमरीका का यह दबाव लगातार जारी है जबकि ईरान भी इस करोना महामारी का शिकार है और उस पर काबू पाने के लिए जबरदस्त कोशिश कर रहा है। अमरीका के युद्धपोत, ईरान की खाड़ी में ईरान को धमकाने के लिए भेजे जाते हैं। और अमरीका झूठा प्रचार करता है कि ईरान के जहाज अमरीका के जहाजों को परेशान करते हैं – यहां तक कि अमरीका ने “ईरानी जहाजों का विनाश” करने की भी धमकी दी है। इस कोरोना महामारी से लड़ने के लिए और अपने लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ईरान के प्रयत्नों में, ईरान के खि़लाफ़ अमरीका द्वारा लगाये गए क्रूर प्रतिबंधों ने बहुत ही ख़तरनाक समस्यायें पैदा कर दी हैं। फिर भी अमरीका इन प्रतिबंधों को थोडा सा भी कम करने के लिए तैयार नहीं है।

दुनिया के लोगों के खि़लाफ़, अमरीकी सबसे ज्यादा खुल्लम-खुल्ला हमलों की मिसाल शायद वेनेजुएला है। वेनेजुएला लातीन अमरीका का वह देश है जिसने अपने इलाके में अमरीका की दादागिरी को चुनौती दी है। 3 मई को वेनेजुएला की विभिन्न संस्थानों ने, वेनजुएला के पड़ोसी देश कोलंबिया के साथ मिलकर अमरीकी साम्राज्यवादी ताक़तों द्वारा रची एक साज़िश को विफल किया। उसकी योजना थी कि अमरीकी सिल्वेर्कोर्प कंपनी के आतंकवादी गिरोह निकोलस मादुरो सहित वेनेजुएला की सरकार के नेताओं का अपहरण करेंगे या उनकी हत्या करेंगे। ये आतंकवादी एक योजनाबद्ध तरीके से वेनेजुएला के सरकारी मुख्यालय और एअरपोर्ट को तहस-नहस करके निकोलस मादुरो व अन्य का अपहरण करने के लिए कोलंबिया के रास्ते से वेनेजुएला के तट पर पहुंचे। अमरीकी विदेश सचिव ने अपनी सरकार की भूमिका का औपचारिक खंडन करने की भी ज़रूरत नहीं समझी।

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि क्यूबा की क्रांति के नेता और सरकार के प्रमुख, फिदेल कास्त्रो की हत्या करने के लिए भी, अमरीकी साम्राज्यवाद ने, इसी तरह के अनेक प्रयास किये थे, हालांकि वे सभी नाकाम रहे। जबसे वेनजुएला में चावेज सरकार बनी, और उसने अमरीकी साम्राज्यवाद के खि़लाफ़ एक स्पष्ट स्टैंड लेने का दृढ संकल्प दिखाया, अमरीकी राज्य ने उसको किसी न किसी बहाने पंगू करने और उसको गिराने की पूरी कोशिश की। इनमें पिछले वर्ष, अमरीकी साम्राज्यवादियों द्वारा वेनेजुएला में एक विद्रोह आयोजित करके, अपने चमचे जुआन गुइदो को सत्ता पर प्रस्थापित करने की नाकाम कोशिश भी शामिल है। इस तख़्तापलट के प्रयत्न की विफलता से निराश, अमरीकी साम्राज्यवाद ने अब वेनजुएला के नेता के अपहरण और हत्या जैसी गन्दी हरकतों का सहारा लिया। अमरीकी साम्राज्यवाद इस तरह के जघन्य अपराधों के लिए कुख्यात है। जैसा कि इंटरनेशनल कमेटी फॅार पीस, जस्टिस एण्ड डिगनिटी (शांति, न्याय और गरिमा के लिए अन्तर्राष्ट्रीय समिति) ने अमरीका के इस अपराध के खि़लाफ़ अपने वक्तव्य में कहा कि अमरीकी साम्राज्यवादियों को “वेनेजुएला के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के जूनून को जारी रखने के बजाय, अपने देश में उन लाखों मज़दूरों के बारे में चिंता करनी चाहिए जो या तो बेरोज़गार हो गये हैं या इस महामारी से उत्पन्न ख़तरनाक हालातों में काम करने के लिए मजबूर हैं”।

हाल की ये सब घटनाएं साफ़ दिखाती हैं कि दुनिया के लोग महामारी की हालतों में भी अमरीकी साज़िशों के प्रति अपनी जागरुकता को कम नहीं कर सकते, जब वक्त का तक़ाज़ा है कि दुनिया के सभी लोग दुनियाभर के लोगों की जान और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए एक साथ मिलकर, हर संभव प्रयत्न करें। हक़ीक़त तो यह है कि इन कठिन परिस्थितियों में जब दुनिया के सभी देश इस त्रासदी से जूझ रहे हैं, अमरीकी साम्राज्यवाद इसका फायदा उठाकर, उन सभी देशों और नेताओं जिनको वह अपना दुश्मन या प्रतिद्वंदी समझता है, उनके खि़लाफ़ वह अपनी ख़तरनाक साज़िशों और क़ातिलाना हमलों को सफल बनाने के लिए हर कोशिश करेगा।

आजकल मीडिया में बहुत चर्चा इस बात पर चलती है कि अमरीका जो एक ताक़तवर महाशक्ति था अब “कमजोर” हो रहा है और उसकी दुनिया में अपनी दादागिरी बरकरार रखने की भूख अब कम हो रही है। यह सरासर गलत और ख़तरनाक सोच है। जब भी कोई देश या कोई ताक़त उसको चुनौती देती है, तब अमरीकी साम्राज्यवाद और भी खूंखार हो जाता है। अमरीकी साम्राज्यवाद दुनिया में, विभिन्न राष्ट्रों की संप्रभुता और आज़ादी का एक नंबर का दुश्मन है। अमरीकी साम्राज्यवाद अंतरराष्ट्रीय कानून और सभ्य व्यवहार के हर सिद्धांत का सबसे बड़ा उल्लंघनकर्ता है।

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