एयर इंडिया विमान चालक : समझौते को लागू करवाने का संघर्ष

एयर इंडिया के काम-काज को ठप्प करने वाली 10 दिवसीय हड़ताल और 3दिनों तक एयर इंडिया मैनेजमेंट, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और विमान चालकों के बीच बातचीत के बाद, इंडियन कमर्शियल पाइलेट्स एसोसियशन (आई.सी.पी.ए.) ने 6 मई, 2011 को अपनी हड़ताल रोक ली।

आई.सी.पी.ए. ने बताया है कि विमान चालकों, मंत्रालय और एयर इंडिया मैनेजमेंट के बीच समझौते में निम्नलिखित शामिल है।

एयर इंडिया के काम-काज को ठप्प करने वाली 10 दिवसीय हड़ताल और 3दिनों तक एयर इंडिया मैनेजमेंट, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और विमान चालकों के बीच बातचीत के बाद, इंडियन कमर्शियल पाइलेट्स एसोसियशन (आई.सी.पी.ए.) ने 6 मई, 2011 को अपनी हड़ताल रोक ली।

आई.सी.पी.ए. ने बताया है कि विमान चालकों, मंत्रालय और एयर इंडिया मैनेजमेंट के बीच समझौते में निम्नलिखित शामिल है।

आई.सी.पी.ए., जिसकी विमान चालकों की हड़ताल के दौरान मैनेजमेंट ने मान्यता रद्द कर दी थी, उसे फौरन फिर से मान्यता दी जाये।

हड़ताल खत्म होने के बाद विमान चालकों को बर्खास्त 22या निलंबित करने के मैनेजमेंट के आदेशों को फौरन वापस लिया जाये।

विमान चालकों के बीच समानता और काम की हालतों से संबंधित सभी मामलों पर धर्माधिकारी समिति द्वारा विचार किया जाये।

23 फरवरी को की गयी हड़ताल की सूचना के बाद एयर इंडिया के मुख्य निदेशक अरविन्द जाधव द्वारा जारी किये गये सभी काले आदेशों को वापस लिया जाये।

27 मई, 2011 को आई.सी.पी.ए. ने नागरिक उड्डयन मंत्री को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने यह बताया कि हड़ताल के बाद के 21 दिनों के अनुभव से यह स्पष्ट होता है कि एयर इंडिया के मुख्य निदेशक समझौते की शर्तों को लागू करने में कदम-कदम पर बाधा डाल रहा है। आई.सी.पी.ए. ने मंत्री से यह आग्रह किया कि वे फौरन हस्तक्षेप करके मुख्य निदेशक को समझौते का पालन करने का आदेश दें।

आई.सी.पी.ए. ने बताया कि मैनेजमेंट ने उनके कार्यालय को फिर से खोलने से रोकने की कोशिश की और कार्यालय को खुलवाने के लिये बड़ा संघर्ष करना पड़ा। मैनेजमेंट ने यह कहने की कोशिश की कि उन्हें दूसरा स्थान दिया जायेगा, जिसमें उनका यह इरादा था कि इंडियन एयर लाइंस के विमान चालकों के यूनियन बतौर आई.सी.पी.ए. को उस कार्यालय से हटाना जहां वे इतने सालों तक काम करते रहे हैं।

मैनेजमेंट ने 9 बर्खास्त किये गये चालकों को वापस लेने पर किये गये समझौते का हनन करके विमान चालकों को निराशा में डालने और बांटने की कोशिश की। इन बर्खास्त चालकों को वापस लाने के लिये एक हफ्ते तक संघर्ष करना पड़ा। इससे पहले मैनेजमेंट ने कहा था कि आई.सी.पी.ए. के सी.ई.सी. के 6 सदस्यों को वापस लिया जायेगा परन्तु उन 3चालकों को नहीं, जो डिपुटी जनरल मैनेजर का काम कर रहे थे। इस कदम का इरादा था विमान चालकों की एकता को तोड़ना। आई.सी.पी.ए. के सी.ई.सी. के 6 सदस्यों ने अपनी बर्खास्तगी को खत्म करने का आदेश मानने से तब तक इंकार कर दिया जब तक बाकी 3 चालकों की बर्खास्तगी को खत्म नहीं की गई।

आई.सी.पी.ए. ने बताया कि समझौते के 21 दिन बाद भी धर्माधिकारी समिति के साथ कोई बैठक नहीं हुई है।

आई.सी.पी.ए. ने यह भी बताया कि 23 फरवरी, 2011 को हड़ताल की नोटिस देने के बाद, आज तक मुख्य निदेशक द्वारा दिये गये काले आदेशों में से एक को भी वापस नहीं लिया गया है। उन्होंने मंत्री को इन आदेशों की प्रतियां दी हैं।

विमान चालकों पर चल रहे हमलों और एयर इंडिया को दिवालिया बनाने की कोशिशों पर विस्तार पूर्वक बताते हुये, आई.सी.पी.ए. ने मैनेजमेंट और नागरिक उड्डयन मंत्री के सामने निम्नलिखित मुद्दों को उठाया है।

हड़ताल को बहाना बनाकर मैनेजमेंट ने विमान चालकों को वेतन नहीं दिये। उन्होंने एयर इंडिया के दूसरे सभी कर्मचारियों को वेतन दिये हैं। यह 6 मई, 2011 के समझौते का सीधा हनन है और 30 नवम्बर, 2009 के मैनेजमेंट, आई.सी.पी.ए. और मुख्य श्रम आयुक्त (केन्द्र) के बीच समझौते के खिलाफ़ भी है। विमान चालकों ने बताया कि मार्च के महीने के वेतन भी उन्हें अभी तक नहीं मिले हैं।

मैनेजमेंट ने मौखिक रूप से आदेश दिया है कि विमान चालकों को पूरे देश में एस.ओ.एल. (छुट्टी पर गये कर्मचारियों को यातायात की सुविधा) न दी जाये। यह आदेश सिर्फ विमान चालकों के लिये ही दिया गया, बाकी कर्मचारियों के लिये नहीं। हड़ताल से पहले मैनेजमेंट ने यह आदेश भी दिया था कि हफ्ते में गुरूवार से रविवार तक एस.ओ.डी. (ड्यूटी पर कर्मचारियों को यातायात की सुविधा) और एस.ओ.एल. बंद कर दिया जाये। विमान चालकों ने उस समय इसका विरोध किया था और फिर से उन्होंने मैनेजमेंट के इस अलिखित हमले के खिलाफ़ आवाज़ उठाई है। विमान चालकों ने यह मांग की है कि सर्विस नियमों के अनुसार उन्हें यातायात की सुविधाएं दी जायें, ताकि उन्हें कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। मैनेजमेंट के इस कदम की वजह से देश और दुनिया के कई अलग-अलग भागों में विमान चालकों और उनके परिवारों को काफी मुश्किलें झेलनी पड़ी हैं क्योंकि उन्हें ड्यूटी पर वापस आने या घर वापस जाने के लिये अपनी जेब से पैसे खर्च करने पड़ते हैं।

विमान चालकों ने बताया है कि हड़ताल के समाप्त होने के बाद, 27 मुनाफेदार उड़ानों को रद्द कर दिया गया है। उन्होंने इन उड़ानों की सूची भी दी है। वह एयर इंडिया को दिवालिया कर देने का ठोस कदम है। मुख्य निदेशक ने इसकी वजह यह बताया है कि विमान के लिये ईंधन की कमी है और कंपनी के पास ईंधन खरीदने के पैसे नहीं हैं। निदेशक ने यह भी कहा है कि इन उड़ानों के लिये पर्याप्त संख्या में विमान चालक नहीं हैं! इन उड़ानों को गर्मी की छुट्टियों के समय बंद किया गया है, जब अधिक से अधिक लोग उड़ान करते हैं, जिससे इस कदम के पीछे के इरादों पर कई सवाल उठते हैं। विमान चालकों ने इन उड़ानों को फौरन फिर से शुरु करने की मांग रखी है।

हड़ताल समाप्त होने के कई दिनों बाद तक अनेक चालकों को खाली बैठे रहना पड़ा क्योंकि उन्हें कोई उड़ान नहीं करने दी गयी। यह विमान चालकों को सताने की तरकीब है। मैनेजमेंट और मंत्रालय के साथ चर्चा के दौरान मैनेजमेंट ने चालकों की उड़ान के घण्टों तथा विमानों की उड़ान के घण्टों की विमान को बढ़ाने की चालकों की मांग को स्वीकार किया था, ताकि कंपनी को नुकसानों से बचाया जाये। परन्तु अब मैनेजमेंट ठीक इसका उल्टा कर रहा है। वह उड़ानों की संख्या को घटा रहा है और कोई न कोई बहाना देकर विमानों तथा विमान चालकों को जानबूझकर खाली बिठा रहा है। विमान चालकों के वेतनों का 80 प्रतिशत उड़ान के घंटों से जुड़ा हुआ है, अतः यह उनके रोजगार पर हमला भी है।

समझौते के अनुसार, यूनियनों समेत सभी पक्षों की बातें सुनने के बाद धर्माधिकारी समिति को विमान चालकों के काम की हालतों से संबंधित सभी मामलों को हल करना था। परन्तु मुख्य निदेशक अरविन्द जाधव ने हड़ताल के बाद, समझौते का हनन करके, भूतपूर्व एयर इंडिया के कुछ लोगों को मनमानी से प्रोमोशन दे दिया है। इसका उद्देश्य है कि एयर इंडिया के विमान चालकों के साथ पक्षपात करके और आई.सी.पी.ए. के तहत संगठित इंडियन एयर लाइंस के विमान चालकों की उपेक्षा करके उनके बीच बंटवारा पैदा करना। विदित है कि इंडियन पाइलेट्स गिल्ड, जो कि भूतपूर्व एयर इंडिया के विमान चालकों का संघ है, उसने हड़ताल के दौरान आई.सी.पी.ए. का समर्थन किया था। अतः मनमानी से किये गये इन प्रोमोशनों का उद्देश्य यह भी है कि इंडियन पाइलेट्स गिल्ड के साथ एकता तोड़ी जाये।

विमान चालकों को और उत्पीडि़त करने तथा एयर इंडिया को दिवालिया बनाने के लिये मुख्य निदेशक ने एलाइंस एयर को 15 विमान दे दिये हैं। एलाइंस एयर ने नये विमान चालकों की भर्ती की सूचना जारी की है। आई.सी.पी.ए. ने इस कदम का कारण मैनेजमेंट से पूछा है। ए-320 विमानों का इस समय बहुत कम उपयोग किया जा रहा है। उन्हें सिर्फ 55 घंटों के लिये उड़ाया जाता है। 7 मई, 2011 को मैनेजमेंट के साथ आई.सी.पी.ए. की बैठक में मैनेजमेंट ने स्वीकार किया था कि उड़ानों की संख्या बढ़ाकर सभी चालकों को कम से कम 75 घंटों की उड़ान करने दी जायेगी। परन्तु ऐसा करने के बजाय, अब एलाइंस एयर में नये विमान चालकों की भर्ती की जा रही है।

मैनेजमेंट और मंत्रालय के बीच 6 मई को किये गये समझौते में यह माना गया था कि एयर इंडिया की कुशलता को बढ़ाने के लिये मौजूदे प्रति दिन 9 घंटों की उड़ान को बढ़ाकर कम से कम प्रति दिन 12-14 घंटों की उड़ान कर दिया जायेगा, जिससे विमान चालकों के उड़ान के घंटे भी बढ़ जायेंगे। विमान चालकों ने नये चालकों को भर्ती करने की सूचना को रद्द करने की मांग की है।

आई.सी.पी.ए. के तहत संगठित विमान चालक अपने अधिकारों और सम्मान की रक्षा करने तथा कंपनी को दिवालिया बनाकर उसका निजीकरण करने से बचाने के लिये, मैनेजमेंट के साथ डटकर संघर्ष कर रहे हैं। मुख्य निदेशक अरविन्द जाधव की प्रधानता में मैनेजमेंट विमान चालकों और उनके यूनियन पर निशाना साध रहा है क्योंकि वे एयर इंडिया के 40,000 से अधिक कर्मचारियों का सबसे जागरुक और संगठित भाग हैं।

जब मैनेजमेंट ने अदालत से यह मांग की कि चूंकि हड़ताल खत्म हो चुकी है, इसलिये विमान चालकों के खिलाफ़ मामले को बंद किया जाये, तब विमान चालकों ने यह बताया कि अदालत में उन्होंने मैनेजमेंट के खिलाफ़ जो-जो बातें उठायी थीं, उन पर उचित विचार-विमर्श किया जाये। इन मुद्दों में अरविन्द जाधव की कई ऐसी हरकतें शामिल थीं, जिनका इरादा था एयर इंडिया को एक मुनाफेदार कंपनी से बदलकर नुकसान में डाल देना और उसे दिवालिया बनाकर उसका निजीकरण करने की तैयारी करना। अदालत ने मामले को अब एक जनहित याचिका में बदल दिया है और मैनेजमेंट तथा विमान चालकों से अपनी-अपनी बातें फिर से सामने रखने को कहा है।

एयर इंडिया के विमान चालकों का संघर्ष जायज़ है। हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी इसका पूरा समर्थन करती है।

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