मई दिवस की पुकार

महोदय, मैं हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी को “अधिकतम लूट-खसौट की पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ़ एकजुट हों!” शीर्षक की मई दिवस की पुकार छापने के लिये शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। जब दुनिया के दो-ध्रुवीय बंटवारे के खत्म होने के बाद, लोग अपनी भंयकर परिस्थिति से निकलने का रास्ता ढूंढ रहे हैं, इस लेख में आपने स्पष्टता से उन बिंदुओं पर ध्यान दिलाया है जो लोगों को सही रास्ता दिखाते

महोदय, मैं हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी को “अधिकतम लूट-खसौट की पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ़ एकजुट हों!” शीर्षक की मई दिवस की पुकार छापने के लिये शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। जब दुनिया के दो-ध्रुवीय बंटवारे के खत्म होने के बाद, लोग अपनी भंयकर परिस्थिति से निकलने का रास्ता ढूंढ रहे हैं, इस लेख में आपने स्पष्टता से उन बिंदुओं पर ध्यान दिलाया है जो लोगों को सही रास्ता दिखाते हैं। यह एक ऐतिहासिक समय है जब कि उत्तरी अफ्रीका में लोगों के संघर्ष से प्रस्थापित प्रबंध टूट गये हैं और बाहरेन और यमन जैसे बहुत से देशों में लोगों के संघर्षों को बेरहमी से कुचला जा रहा है। लिबिया में एक गृहयुद्ध चल रहा है जिसके पीछे सबसे भयानक साम्राज्यवादी ताकत है जो इस इलाके में पूरी तरह अस्थिरता लाना चाहती है, जो अपने साम्राज्यवादी आधिपत्य जमाने व लोगों के आंदोलनों को कुचलने के लिये, अपनी पसंद की सत्तायें स्थापित करना चाहती है और इस इलाके की तेल व खनिज सम्पत्ति को बड़े तेल कंपनियों, पश्चिमी अल्पतंत्रवादियों और वित्तीय संस्थानों के मुनाफों के लिये लूटना चाहती है। वर्तमान माहौल में दिल्ली की सड़कों पर फरवरी में लाखों लोग अर्थव्यवस्था की पूंजीवादी दिशा के विरोध में उतर आये थे। यह एक बड़ी घटना थी जिसका मीडिया ने बहिष्कार किया क्योंकि इससे हिन्दोस्तानी शासकों के वर्चस्व की अंतिम घड़ी का संकेत मिलता है।

मई दिवस पर देश और दुनिया के मेहनतकश लोग एक ऐसे दिन बतौर मनाते हैं जिस दिन उनकी वर्ग चेतना ज्वलंत और मजबूत होती है। भविष्य के हर दिन को मई दिवस बनाने के लिये मज़दूर वर्ग को अभी तक का सबसे विकसित सिद्धांत, मार्क्सवाद-लेनिनवाद से लैस होना होगा। उन्हें इसका इस्तेमाल सैन्य सूक्षमता से करना होगा। लेख में ध्यान दिलाया गया है कि आज अपने खेमे में सबसे खतरनाक दुश्मन वे हैं जो यह भ्रम फैलाते हैं कि पूंजीवाद से समझौता करना संभव है। माक्र्सवाद-लेनिनवाद हमें सिखाता है कि पूंजीपतियों और मज़दूरों के हितों में सामंजस्य नहीं लाया जा सकता है। पूंजीवाद और कम्युनिज़्म के बीच कोई अलग रास्ता संभव नहीं है। यह समझना मई दिवस के संदेश का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु होना चाहिये। मैं हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने इस मुद्दे को मंच पर रखने की भूमिका निभाई है।

भवदीय,

एस. नायर, कोची

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