एयर इंडिया की हड़ताल

महोदय, 29अप्रैल, 2011को आपके वेब साईट पर एयर इंडिया के विमान चालकों की हड़ताल के मुद्दे पर लेख पढ़ कर मुझे खुशी हुई। इसमें हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी ने विमान चालकों के जायज़ संघर्ष का पूरा समर्थन किया है। इस लेख में पार्टी ने हड़ताल और उसके कारणों के बारे में बहुत सूक्ष्मता और बिना जनोत्तेजना के लिखा है।

महोदय, 29अप्रैल, 2011को आपके वेब साईट पर एयर इंडिया के विमान चालकों की हड़ताल के मुद्दे पर लेख पढ़ कर मुझे खुशी हुई। इसमें हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी ने विमान चालकों के जायज़ संघर्ष का पूरा समर्थन किया है। इस लेख में पार्टी ने हड़ताल और उसके कारणों के बारे में बहुत सूक्ष्मता और बिना जनोत्तेजना के लिखा है।

आम तौर पर सोचा जाता है कि मज़दूर हड़ताल के लिये जिम्मेदार होते हैं और उनकी वजह से जनता को तकलीफ होती है। इस हड़ताल की जांच दिखाती है कि ऐसा नहीं है; बल्कि, हड़ताल पर उतरने सेे पहले, सालों साल, मज़दूरों को असहनीय कष्ट और अन्याय सहना पड़ा और उन्हें हड़ताल पर उतरने के लिये बाध्य किया गया।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने घोषणा कर दी कि हड़ताल गैर-कानूनी है और आदेश दिया कि हड़ताली विमान चालकों को वापिस काम पर जाना चाहिये। अगर वे ऐसा नहीं करते तो उन पर न्यायालय की अवहेलना करने का मुकदमा चलाया जायेगा। उसने यह भी टिप्पणी दी है कि अगर उसके आदेश का पालन नहीं किया जायेगा तो अराजकता फैलेगी और संस्थायें बदनाम होंगी; फिर सब मनमर्जी चलायेंगे। परन्तु न्यायालय यह प्रश्न प्रबंधन, और खासतौर से एम.डी. अरविंद जाधव से क्यों नहीं पूछता है? उसका नाम तो अब सबसे बुरी तरह के भ्रष्ट कार्यवाईयों के संदर्भ में सामने आया है, जैसा कि लेख की सूची से स्पष्ट है, और जिनमें निजी कंपनियों को बहुमूल्य जमीन देना भी शामिल है।

न्यायालय ऐसा आदेश इसीलिये नहीं देते क्योंकि उनका कुछ वर्ग चरित्र होता है और आमतौर पर उनके निर्णय इसके अनुसार होते हैं। अराजकता का दावा पूंजीपतियों की लाईन है जिसके अनुसार राज्य को कानून और व्यवस्था बरकरार रखना चाहिये ताकि सरकारी तिजौरी की लूट-खसौट और करोड़ों लोगों का शोषण सुचारू रूप से चलता रहे। क्या न्यायालय यह सुनिश्चित करेंगे कि अगर कानून और व्यवस्था बरकरार है तो भूखों को भोजन मिलेगा, नंगों को कपड़ा और अशिक्षितों को शिक्षा?

अगर ऐसा नहीं है तो मेहनतकश लोगों को समझना चाहिये कि हड़ताल करने का अधिकार उनके शस्त्रागार में वर्ग संघर्ष का एक महत्वपूर्ण हथियार है। इस हथियार का प्रयोग बहुत ही सावधानी से करना चाहिये और इसका मकसद होना चाहिये कि आंदोलन को उस दिशा में ले जायें जिससे समाज को चलाने की बागडोर मेहनतकश लोग अपने हाथों में ले सकें। वर्तमान मामले ने विमान चालकों की वर्ग चेतना को जगाया है; उनमें यह चेतना जागी है कि वे दूसरे मेहनतकश लोगों से अलग नहीं हैं। ऐसे में इन घटनाओं का उत्साहपूर्वक स्वागत करना चाहिये और विमान चालकों को शुभकामना देनी चाहिये कि वे उनके द्वारा सूचीबद्ध उद्देश्यों को पाने में सफल हों। उनकी सफलता से मेहनतकश लोगों के हितों में प्रगति होगी। हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के साथ, मैं हड़ताली मज़दूरों का समर्थन करता हूं।

भवदीय,

ए. नारायण, बंगलूर

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