चार हज़ार से अधिक भारतीय रेल के रेल चालकों ने, अपने परिजनों सहित, 18 फरवरी को नई दिल्ली के रानी झांसी रोड पर स्थित अम्बेडकर भवन से जंतर-मंतर तक विरोध प्रदर्शन किया। आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसियेशन (ए.आई.एल.आर.एस.ए.) की अगुवाई में, रेल चालकों की लंबित मांगों को लेकर यह प्रदर्शन आयोजित किया गया था।
जंतर-मंतर पर आंदोलित रेल चालकों की एक विशाल जनसभा हुई। 17 रेलवे ज़ोनांे के 68 विभागों से रेल चालकों ने जनसभा में भाग लिया।
जनसभा का उद्घाटन सीटू के महासचिव का. तपन सेन ने किया। ए.आई.एल.आर.एस.ए. के महासचिव का. एम.एन. प्रसाद, एन.एफ.आई.आर. के महासचिव श्री राघवैया, एन.एफ.पी.ई. से गिरीराज सिंह, के.सी. जेम्स, सी.के. सरकार, एम.पी. देव, के.ए.एस. मनी, रामसरन, ए.के. रूते, का. डी.एस. कोपरकर तथा अन्य नेताओं ने विशाल जनसभा को संबोधित किया।
का. एम.एन. प्रसाद तथा अन्य वक्ताओं ने आंदोलन की मुख्य मांगों पर विस्तारपूर्वक बात रखी। उन्होंने समझाया कि हालांकि सातवें वेतना आयोग के निर्देशों के अनुसार, रेलवे बोर्ड ने वेतन के 30 प्रतिशत रनिंग एलावेंस और टीए का प्रस्ताव परित कर दिया है, परन्तु वित्त विभाग इसे लागू करने में देर कर रहा है। भारतीय रेल के चालकों को बार-बार रेलवे प्रशासन के सामने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करना पड़ा है। आज भी साप्ताहिक अवकाश, लगातार 2 नाईट ड्यूटी की सीमा, ग्रेड पे, पारिवारिक और सामाजिक ज़रूरतों के लिये अवकाश, आदि की मांगों को लेकर रेल चालक दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
जनसभा में उठाई गई मुख्य मांगें थी – निर्धारित रनिंग अलावेंस दिया जाये, 2016 से पूर्व सेवानिवृत्त कर्मचारियों को वर्तमान सेवानिवृत्त कर्मचारियों के समान पेंशन दिया जाये, नई पेंशन योजना को वापस लिया जाये और पूर्व पेंशन योजना को जारी रखा जाये, एच.पी.सी. व सुरक्षा समिति की अन्य सिफारिशें लागू की जायें तथा रेलवे के निजीकरण को रोका जाये।
सभा को संबोधित करने वाले नेताओं ने ऐलान किया कि अगर 31 मार्च तक निर्धारित रनिंग अलावेंस नहीं दिया जाता है और बाकी सारी मुख्य मांगों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है तो रेल रोको आंदोलन किसी भी समय पर शुरू किया जायेगा।