12-16 जनवरी के बीच ओड़िशा के बलांगीर जिले के किसान निजी बीमा कंपनियों के कलेक्टर के दफ्तर के सामने धरना प्रदर्शन आयोजित करने जा रहे हैं। ये निजी बीमा कंपनियां प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना के तहत फ़सल बीमा की स्कीम चला रही हैं और इन्होंने इस इलाके की 50 पंचायतों के किसानों को फ़सल बीमा की राशि से वंचित किया है।
इनमें से एक बीमा कंपनी ने राजस्व निरीक्षक, ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता और अन्य जिला अधिकारियों के साथ मिली भगत करके बीमा मार्गदर्शक नियमों का उल्लंघन किया है और फ़सल के नुकसान की रिपोर्ट के साथ छेड़खानी करके किसानों के साथ धोखा किया है। ऐसा करते हुए इन अधिकारियों ने 4.32 किवंटल धान की फ़सल को 29.30 किवंटल करके दिखाया जिससे किसानों को फ़सल बीम की रकम नहीं मिली।
अब सबूत सामने आने लगे हैं कि आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड और आई.एफ.एफ.सी.ओ. (ईफ्को) टोक्यो जिन्होंने मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत बीमा स्कीम बेची थी, उन्होंने अभी तक 2011-12 की खरीफ मौसम की बीमा की रकम की अदायगी किसानों को नहीं की है।
ओडिशा के बलांगीर के किसानों की तरह राजस्थान से ओड़िशा और पंजाब से तमिलनाडु के किसानों को भी फ़सल बीमा की रकम हासिल करने में धोखे का सामना करना पड़ रहा है। ये निजी बीमा कंपनियां सरकारी अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके किसानों के साथ धोखा कर रही हैं। जैसे कि तमाम ग़रीबों की भलाई और लोगों की भलाई के लिए बनाये गए अन्य कार्यक्रमों और स्कीमों की सच्चाई है, प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना भी काग़ज में कुछ और है ज़मीनी हक़ीक़त में कुछ और। इसका घोषित लक्ष्य है किसानों की फ़सल को अलग-अलग कारणों से होने वाले नुकसान से सुरक्षा देना। लेकिन ज़मीनी तौर पर सरकार इन निजी बीमा कंपनियों का प्रीमियम भरती है, जिससे इन कंपनियों को भारी मुनाफ़ा होता है जबकि फ़सल के नुकसान की मार झेल रहे किसान बीमा राशि का केवल इंतज़ार करते रह जाते हैं।