रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपने वेतनों में की गई कटौती का विरोध किया

बृहन मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) द्वारा चलाये जा रहे अस्पतालों से जुड़े लगभग 2000 रेजिडेंट डॉक्टरों को शुक्रवार 9 फरवरी, 2018 को उस समय झटका लगा जब उन्हें मासिक छात्रवृत्ति प्राप्त हुई। उन्होंने पाया कि उनकी आधे से अधिक मासिक छात्रवृत्ति की कटौती पहली बार टैक्स के रूप में की गई थी! महाराष्ट्र एसोसियेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (मार्ड) की केंद्रीय समिति के सदस्यों ने शनिवार 10 फरवरी, 2018 को एक पत्रकार सम्मेलन में बताया कि वे सभी रेजिडेंट डॉक्टर ऐसे छात्र हैं, जो अपने-अपने संबंधित कॉलेजों में सालाना फीस का भुगतान करते हैं और वे इन अस्पतालों में कमर-तोड़ मेहनत करते हैं जिसके बदले में उन्हें यह मासिक छात्रवृत्ति दी जाती है। आयकर अधिनियम में इसका स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि केवल वेतन और अन्य पेशेवर कमाई आदि पर ही टैक्स लगेगा। इसलिए यह केवल उन लोगों पर लागू होता है जो वेतनभोगी हैं। बीएमसी ने कटौती को उचित साबित करने के लिए उन्हें कर्मचारी का दर्ज़ा दे दिया है। लेकिन, जब वे संक्रामक बीमारियों से प्रभावित लोगों के साथ लगातार और सीधे संपर्क की वजह से बीमार होने पर छुट्टी के लिए आवेदन करते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि वे छात्र हैं और वे छुट्टी के हक़दार नहीं हैं तथा अनुपस्थिति के दिनों की उनकी मासिक छात्रवृत्ति से कटौती की जाती है।

बृहन मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) द्वारा चलाये जा रहे अस्पतालों से जुड़े लगभग 2000 रेजिडेंट डॉक्टरों को शुक्रवार 9 फरवरी, 2018 को उस समय झटका लगा जब उन्हें मासिक छात्रवृत्ति प्राप्त हुई। उन्होंने पाया कि उनकी आधे से अधिक मासिक छात्रवृत्ति की कटौती पहली बार टैक्स के रूप में की गई थी! महाराष्ट्र एसोसियेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (मार्ड) की केंद्रीय समिति के सदस्यों ने शनिवार 10 फरवरी, 2018 को एक पत्रकार सम्मेलन में बताया कि वे सभी रेजिडेंट डॉक्टर ऐसे छात्र हैं, जो अपने-अपने संबंधित कॉलेजों में सालाना फीस का भुगतान करते हैं और वे इन अस्पतालों में कमर-तोड़ मेहनत करते हैं जिसके बदले में उन्हें यह मासिक छात्रवृत्ति दी जाती है। आयकर अधिनियम में इसका स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि केवल वेतन और अन्य पेशेवर कमाई आदि पर ही टैक्स लगेगा। इसलिए यह केवल उन लोगों पर लागू होता है जो वेतनभोगी हैं। बीएमसी ने कटौती को उचित साबित करने के लिए उन्हें कर्मचारी का दर्ज़ा दे दिया है। लेकिन, जब वे संक्रामक बीमारियों से प्रभावित लोगों के साथ लगातार और सीधे संपर्क की वजह से बीमार होने पर छुट्टी के लिए आवेदन करते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि वे छात्र हैं और वे छुट्टी के हक़दार नहीं हैं तथा अनुपस्थिति के दिनों की उनकी मासिक छात्रवृत्ति से कटौती की जाती है।

यह अच्छी तरह से ज्ञात है कि ज्यादातर सरकारी अस्पताल, चाहे वे नगर निगमों या राज्य सरकारों के अधीन हों, लाखों में तैनात रेजिडेंट डाक्टरों पर ही निर्भर हैं जो संबंधित कॉलेजों में पढ़ाई करते हुए भी बहुत सारे काम का बोझ अपने कन्धों पर लेते हैं। वास्तव में रेजिडेंट डाक्टरों का प्रयोग सस्ते श्रमिकों के रूप में किया जाता है। देश के कई भागों में रेजिडेंट डाक्टरों को अपने अधिकारों के लिए हर साल लड़ना पड़ता है। उनकी मासिक छात्रवृत्ति में तब तक वृद्धि नहीं होती जब तक वे कुछ वर्षों में फिर से संघर्ष नहीं करते। उन्होंने मरीजों को बेहतर सुविधाएं दिलाने के लिए भी हड़तालें की हैं।

जब महाराष्ट्र के रेजिडेंट डॉक्टर कुछ साल पहले अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे, तब महाराष्ट्र सरकार ने वादा किया था कि वह उनकी सारी शिकायतों पर गौर करेगी। लेकिन अब तक भी बेहतर छात्रावास तथा सुविधाओं में बढ़ोतरी जैसी उनकी मांग के बारे में कुछ भी नहीं किया गया है। अब सरकार उनकी मासिक छात्रवृत्ति से आयकर की अनुचित कटौती करके उन पर जोर-जबर्दस्ती कर रही है!

मजदूर एकता लहर पूरी तरह से मार्ड का समर्थन करती है और मांग करती है कि बीएमसी रेजिडेंट डॉक्टरों की मासिक छात्रवृत्ति से अनुचित कटौती तुरंत बंद करे।

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