5 जनवरी से दो लाख से भी अधिक ट्रक चालकों ने, तामिल नाडु, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान राज्यों तथा दिल्ली राजधानी क्षेत्र के बीच माल वाहन की अपनी पुरानी समस्याओं के समाधान के लिये, देशव्यापी हड़ताल शुरु की थी। हड़ताल का नेतृत्व ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (ए.आय.एम.टी.सी.) ने किया, जिसमें 4000से भी अधिक ट्रक चालकों के संगठन शामिल हैं।
5 जनवरी से दो लाख से भी अधिक ट्रक चालकों ने, तामिल नाडु, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान राज्यों तथा दिल्ली राजधानी क्षेत्र के बीच माल वाहन की अपनी पुरानी समस्याओं के समाधान के लिये, देशव्यापी हड़ताल शुरु की थी। हड़ताल का नेतृत्व ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (ए.आय.एम.टी.सी.) ने किया, जिसमें 4000से भी अधिक ट्रक चालकों के संगठन शामिल हैं।
ट्रक चालकों की मांगें थीं, वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में भारी कमी के बाद डीज़ल की कीमतों में 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती, डीज़ल पर एक समान 4 प्रतिशत वैट (वी.ए.टी.), टायर की कीमतों में 30-35 प्रतिशत कटौती, नेशनल परमिट के शुल्क में 5000 से 1500 रुपये की कटौती, नये कैरियर एक्ट के तहत पंजीकरण व दर्ज करने के आदेश को खारिज करना, जहां ट्रक मालिकों को उधार चुकाने में मुश्किल हो, वहां ऋण चुकाने की अवधि को पुन:निर्धारित करना, तथा माल वाहन एजेन्सी (जी.टी.ए.) के तहत सभी उप-ठेकों के लिये सेवा शुल्क की छूट। ट्रक माल वाहकों के प्रतिनिधियों तथा परिवहन मंत्रालय के बीच कई बार कोशिशों के बावजूद कोई नतीजा नहीं निकलने पर, ट्रक चालकों को हड़ताल पर उतरने के लिये बाध्य होना पड़ा।
दिल्ली राजधानी क्षेत्र में कई ट्रक चालकों ने विरोध बतौर अपने परमिट सरकार को लौटा दिये।
ट्रक चालकों की हड़ताल को कुचलने के लिये केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों को सेना बुलाने व आवश्यक सेवा कानून लादने की छूट दे दी, ताकि सप्लाई में कमी न आये। इस बीच 7 जनवरी को दिल्ली सरकार ने आवश्यक सेवा कानून लागू कर दिया तथा हड़ताली ट्रक चालकों पर कठोर कार्यवाई करने की धमकी दी। तब से हड़ताली ट्रक चालकों के ट्रकों को दिल्ली पुलिस ने ज़ब्त करना शुरू कर दिया। सरकार ने घोषणा कर दी कि अब वह ज़ब्त किये ट्रकों को चलाने के लिये बिना परमिट वाले नये चालकों को देश भर में माल ढोने के लिये नियुक्त करेगी। इन हालतों में ट्रक चालकों को अपनी हड़ताल वापस लेनी पड़ी परन्तु उनका संघर्ष जारी है।
मज़दूर एकता लहर ट्रक चालकों के संघर्ष का समर्थन करती है।