ए.सी.सी. (होलसिम), जो कि एक बहुराष्ट्रीय सीमेंट कंपनी है, के कांट्रेक्ट मजदूरों ने 3अप्रैल, 2011से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की है। वे मांग कर रहे हैं कि कंपनी उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करे, जिसके मुताबिक उन्हें नियमित करना है और सीमेंट वेतन बोर्ड के फैसले को अमल में लाना है।
ए.सी.सी. (होलसिम), जो कि एक बहुराष्ट्रीय सीमेंट कंपनी है, के कांट्रेक्ट मजदूरों ने 3अप्रैल, 2011से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की है। वे मांग कर रहे हैं कि कंपनी उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करे, जिसके मुताबिक उन्हें नियमित करना है और सीमेंट वेतन बोर्ड के फैसले को अमल में लाना है।
सीमेंट उद्योग में कांट्रेक्ट मजदूरों को कोई भी अधिकार नहीं है, और आमतौर पर उन्हें क़ानून द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन, प्रोविडेंट फंड, सामाजिक सुरक्षा से भी वंचित रखा जाता है। जबकि सीमेंट वेतन बोर्ड अवार्ड, जो कि सरकार, सीमेंट उत्पादक असोसिएशन और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के बीच एक समझौता है, और 1978से लागू, के मुताबिक सीमेंट उत्पादन में लोडिंग, अनलोडिंग और पैकिंग को छोड़कर किसी भी अन्य प्रक्रिया में कांट्रेक्ट मजदूरी पर प्रतिबन्ध है। यहाँ तक कि लोडिंग, अनलोडिंग और पैकिंग कांट्रेक्ट मजदूरों को नियमित मजदूरों जितना ही वेतन देना जरूरी है। लेकिन हक़ीक़त में सीमेंट उद्योग में कांट्रेक्ट मजदूरी खुलकर इस्तेमाल की जाती है। केवल छत्तीसगढ़ में ही सीमेंट प्लांटों में 3232नियमित मजदूरों की तुलना में 11,000कांट्रेक्ट मजदूर हैं।
इन सीमेंट कंपनियों का प्रबंधन सरकार की नज़र के सामने मजदूरों के अधिकारों का खुलकर हनन करती है। ऐसे हालातों में मजदूर अपने अधिकारों के लिए बड़ी बहादुरी के साथ संघर्ष चला रहे हैं।