संपादक महोदय,
तमिलनाडु विधान सभा चुनाव पर पार्टी का बयान ‘पार्टी बदलने से नहीं चलेगा, पूरी व्यवस्था बदलनी होगी!’, को मैंने बड़ी रुचि के साथ पढ़ा। यह बयान अपनी बात सीधी और साफ़ तौर से कहता है।
संपादक महोदय,
तमिलनाडु विधान सभा चुनाव पर पार्टी का बयान ‘पार्टी बदलने से नहीं चलेगा, पूरी व्यवस्था बदलनी होगी!’, को मैंने बड़ी रुचि के साथ पढ़ा। यह बयान अपनी बात सीधी और साफ़ तौर से कहता है।
मेरा खुद का अनुभव भी यह बताता है कि जो पार्टियाँ तमिल लोगों के राष्ट्रीय अधिकारों की हिफाज़त करने का दावा करते हुए सत्ता में आई हैं, आज वही पार्टियाँ मेहनतकश लोगों के नाम पर बड़े पूंजीपतियों की सेवा कर रही हैं।
राज्य के बाहर का कोई व्यक्ति अगर यह सुनता है कि सरकार गरीब लोगों के लिए मुफ्त टीवी बांटने का कार्यक्रम चला रही है, तो शायद वह यह सोच सकता है कि देश के अन्य इलाकों की तुलना में तमिलनाडु स्वर्ग जैसे होगा। वह यह भी सोच सकता है कि राज्य में सभी परिवारों की बुनियादी जरूरतें जैसे रोटी, कपड़ा, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य इत्यादि पूरी हो गयी हैं, इसीलिए अब सरकार लोगों को मुफ्त में टीवी बाँट रही है। यह सरासर झूठ है। राज्य में गरीबी और बेरोजगारी आम है। लाखों-करोड़ों मजदूर परिवार दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
डी.एम.के. सरकार द्वारा रंगीन टीवी बाटें जाना, इसका मेहनतकश परिवारों की जरूरतों से कोई भी सरोकार नहीं है। इसके पीछे व्यापारी मंसूबे हैं। टीवी के बाटें जाने से, पूंजीपतियों द्वारा बेची जाने वाली केबल टीवी जैसी अन्य सेवाओं का बाज़ार बहुत फ़ैल गया है और इस व्यवसाय में डी.एम.के. के बड़े नेता शामिल हैं।
आपका
जान थंगराज, कोयम्बटूर