यह बयान पार्टी की सैध्दान्तिकस्पष्टता को दिखाता है। हिन्दोस्तान के राजनीतिक जीवन की लगातार बदलती जटिलताओं से जूझती हुई, पार्टी हमेशा मार्क्सवाद – लेनिनवाद के वैज्ञानिक असूलों से मार्गदर्शित रही है। वर्ग संघर्ष और भौतिक द्वंद्ववाद के आधार पर विश्लेषण करके पार्टी ने आसान तरीके से वह बात समझाई है जो इतने सारे अखबारों और इतने घंटों के टीवी कार्यक्रमों से स्पष्ट नहीं हो सका है।
संपादक महोदय,
तामिलनाडु में होने वाले चुनावों के संबंध में, 20 मार्च, 2011 को हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति द्वारा जारी बयान ''पार्टी बदलने से नहीं चलेगा, पूरी व्यवस्था बदलनी होगी!'' में प्रस्तुत किये गये स्पष्ट विचारोंकी सराहना करते हुये, मैं यह पत्र लिखता हूं। यह बयान पार्टी की सैध्दान्तिक स्पष्टता को दिखाता है। हिन्दोस्तान के राजनीतिक जीवन की लगातार बदलती जटिलताओं से जूझती हुई, पार्टी हमेशा मार्क्सवाद – लेनिनवाद के वैज्ञानिक असूलों से मार्गदर्शित रही है। वर्ग संघर्ष और भौतिक द्वंद्ववादके आधार पर विश्लेषण करके पार्टी ने आसान तरीके से वह बात समझाई है जो इतने सारे अखबारों और इतने घंटों के टीवी कार्यक्रमों से स्पष्ट नहीं हो सका है।
बयान में यह समझाया गया है कि तामिलनाडु में राजनीतिक परिस्थितियों की जड़ पूंजीवादी व्यवस्था में है, जबकि तामिल राष्ट्र के सच्चे राष्ट्रीय जज़बातों का फायदा उठाकर पूंजीवादी पार्टियों ने लोगों को वोट डालने वाली भीड़ बनाकर रखा है तथा वहां के तमाम अत्यधिक शिक्षित व प्रशिक्षित एवं अप्रशिक्षित लोगों को बड़ी-बड़ी इजारेदार पूंजीवादी कंपनियों और बहुराष्ट्रीय पूंजीनिवेशकोंके शोषण का शिकार बना दिया है। बयान में यह समझाया गया है कि हिन्दोस्तान में वर्तमान में राजनीतिक व्यवस्था, संसदीय लोकतंत्र की व्यवस्था वास्तव में राजकीय इजारेदार पूंजीवादी आर्थिक व्यवस्था है। समय-समय पर चुनाव करके एक पूंजीवादी पार्टी की जगह पर दूसरी पूंजीवादी पार्टी को लाया जाता है, ताकि शासकों के अन्दरूनी अंतर-विरोधों को हल किया जा सके और देश की वर्तमान व्यवस्था के असली चरित्र के बारे में लोगों को बुध्दू बनाकर रखा जा सके।
बयान में यह समझाया गया है कि चुनावों के दौरान कम्युनिस्टों को वर्तमान राजनीतिक व आर्थिक व्यवस्था के असली चरित्र का खुलासा करने तथा इसका विकल्प पेश करने का मौका मिलता है। यह बताया गया है कि वर्तमान व्यवस्था का तख्तापलट करना मेहनतकशों के लिये अनिवार्य है। यह भी बताया गया है कि कम्युनिस्ट छावनी में ऐसी ताकतें हैं जिन्होंने बार-बार इन मौको को गंवा दिया है और अपने तंग हितों के लिये तथा वर्तमान व्यवस्था को बचाने के लिये जनता को गुमराह किया है। सच्चे कम्युनिस्टों को इन हरकतों के दोमुंहापन का पर्दाफाश करना चाहिये।
मुझे पूरा भरोसा है कि हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के काम के जरिये वह समय अवश्य आयेगा जब यह विकल्प देश की धरती पर हकीकत बनेगा और इस विशाल देश के लोग एक सुहावने कल की ताजी हवा का आनन्द ले सकेंगे।
एस. नायर, कोच्ची