नेशनल ट्रेड यूनियन ऑफ मीजोरम (एन.टी.यू.एम.) ने सरकार से वेतन बोर्ड की न्यूनतम वेतन सिफारिशों को लागू करने के लिये एक संघर्ष शुरू किया है। इस संघर्ष को सरकार के अलग-अलग इलाकों और विभागों का समर्थन प्राप्त है।
नेशनल ट्रेड यूनियन ऑफ मीजोरम (एन.टी.यू.एम.) ने सरकार से वेतन बोर्ड की न्यूनतम वेतन सिफारिशों को लागू करने के लिये एक संघर्ष शुरू किया है। इस संघर्ष को सरकार के अलग-अलग इलाकों और विभागों का समर्थन प्राप्त है।
प्रांत के श्रम और रोजगार मंत्री ने घोषणा कर दी है कि संशोधित न्यूनतम वेतन को लागू करने की ट्रेड यूनियनों की मांग को पूरा करना सरकार के ''बस में नहीं है''। लालरिनलिआना ने कहा है कि चाहे जो भी प्रांत स्तर के न्यूनतम वेतन बोर्ड की सिफारिशें हों, सरकार के पास संशोधित न्यूनतम वेतन देने के लिये धन नहीं है। मीजोरम की कांग्रेस सरकार ने न्यूनतम वेतनों में पिछला संशोधन 1 अप्रैल, 2009 को किया था। इसके पश्चात दो वर्षों में कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है। मज़दूरों की संशोधित वेतन लागू करने की मांग न्यायोचित है और सरकार के वेतन बोर्ड ने खुद इन्हें बढ़ाने की सिफारिश की है। अब सरकार इन्हें लागू करने से इनकार कर रही है। इन्हें लागू करने की जगह, वह मज़दूरों पर न-काम-न-वेतन से हमला कर रही है।