महाराष्ट्र के रेजिडेंट डाक्टर्स ने 25 मार्च, 2011 के दिन महाराष्ट्र एसोसियेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (मार्ड) के झंडे तले एक-दिवसीय हड़ताल की। मार्ड के 3500 सदस्य हैं। रेजिडेंट डाक्टर्स के साथ-साथ इंटर्नस् ने भी कार्यवाई में हिस्सा लिया।
महाराष्ट्र के रेजिडेंट डाक्टर्स ने 25 मार्च, 2011 के दिन महाराष्ट्र एसोसियेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (मार्ड) के झंडे तले एक-दिवसीय हड़ताल की। मार्ड के 3500 सदस्य हैं। रेजिडेंट डाक्टर्स के साथ-साथ इंटर्नस् ने भी कार्यवाई में हिस्सा लिया।
डाक्टर इंटर्नस् की मांग है कि 2550 रु. के उनके वर्तमान मासिक वजीफे को बढ़ाया जाये। ये डाक्टर इंटर्नस को दिन में 20 घंटे तक काम करना पड़ता है ताकि बहिरंग रोगी विभाग (ओ.पी.डी.) चालू रहे। एसोसियेशन ऑफ स्टेट मेडिकल इंटर्नस् (ए.एस.एम.आई.) के अनुसार दूसरे प्रातों में इंटर्नस् के वजीफे पहले से ही बढ़ाये जा चुके हैं। महाराष्ट्र में डाक्टर इंटर्नस् की संख्या 5000 से भी अधिक है।
स्नातकोत्तर पाठयक्रम की फीस बढ़ाने की भी चिकित्सक खिलाफत कर रहे हैं। उनकी एक मांग डॉक्टर प्रोटेक्शन कानून के तहत चिकित्सकों की सुरक्षा की सुनिश्चिति भी है। सरकारी अस्पतालों में ऐसा बहुत होता आ रहा है कि किसी मरीज के नाखुश परिजन चिकित्सकों पर ही टूट पड़ते हैं। चिकित्सक अपने लिये चिकित्सा बीमे की भी मांग कर रहे हैं।
रेजिडेंट डाक्टर्स् की हड़ताल परा-चिकित्सीय (परा मेडीकल) कर्मचारियों की एक-दिवसीय हड़ताल के तुरंत बाद हुयी है। परा-चिकित्सीय कर्मचारी मांग कर रहे हैं कि उनके करार को अविराम जारी रखा जाये। उनका करार 1 फरवरी को ही समाप्त हो गया था। परा-चिकित्सीय कर्मचारियों के अनुसार परा-चिकित्सीय कर्मचारियों के लिये कम से कम 2500 रिक्त पद हैं जिन्हें राज्य ने नहीं भरा है। इसकी जगह वे मज़दूरों को ठेके पर नियुक्त करते हैं और रोजी-रोटी के लिये उन्हें लटका कर रखते हैं।