दिल्ली सरकार की जन-विरोधी नीतियों के खिलाफ़ प्रदर्शन

विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि लोगों के अधिकारों पर हो रहे हमलों तथा दिल्ली में गिरते हुए जीवन स्तर के खिलाफ़ लोगों के बीच एक लंबा आंदोलन विकसित करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। उन्होंने उपस्थित लोगों से अपील की कि दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार की इन जन विरोधी नीतियों के खिलाफ़ एकजुट हों ताकि पूंजीवादी सरकार को इन नीतियों को वापस लेने पर मजबूर किया जा सके।

16 मार्च, 2011 को बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार तथा दिल्ली के आम लोगों की तमाम ज्वलंत समस्याओं को लेकर हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी, एस.यू.सी.आई.(कम्युनिस्ट), भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (एम-एल) तथा पीपुल्स फ्रंट (दिल्ली) के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने दिल्ली सचिवालय पर संयुक्त प्रदर्शन किया।

दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों से आये कार्यकर्ता प्लेकार्डों और बैनरों के साथ आई.टी.ओ. चौराहे पर एकत्रित हुए। प्रदर्शन को दिल्ली सचिवालय की ओर आगे बढ़ने से पुलिस ने रोक दिया। पुलिस मुख्यालय पर एक विरोध सभा हुई। संयुक्त रूप से निकाले गये बयान की हजारों प्रतियां सभा स्थल से गुजरने वाले लोगों के बीच बांटी गईं। प्रदर्शन के पास से आते-जाते लोग खड़े होकर वक्ताओं की बातों को ध्यान से सुन रहे थे और अपना समर्थन जता रहे थे।

कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने हाथों में प्लेकार्ड पकड़े हुए थे उन पर लिखा हुआ था –  ''यह लोकतंत्र नहीं, इजारेदार पूंजी तंत्र है!'', ''भ्रष्ट और परजीवी पूंजीवादी राज्य मुर्दाबाद!'', ''हमें चाहिए एक आधुनिक सर्वव्यापी सार्वजनिक वितरण व्यवस्था जिसमें खाद्य और सभी जरूरी चीजें पर्याप्त मात्रा में, अच्छी गुणवत्ता के साथ और उचित दाम पर सभी को उपलब्ध हों!'', ''एपीएल, बीपीएल बंद करो, सब को राशन की गारंटी दो!'', ''खाद्य में वायदा व्यापार और सट्टेबाजी नहीं चलेगी!'' , ''खाद्य व्यापार में बिचौलियों को हटाओ!'', ''विदेशी व्यापार और थोक व्यापार में निजी खिलाड़ी नहीं!'', ''सभी रिहायशी क्षेत्रों को बिना शर्त मूलभूत सुविधायें – पानी, सड़क, सीवर, स्कूल आदि उपलब्ध कराओ!'', ''सार्वजनिक संसाधनों और सार्वजनिक सेवाओं का निजीकरण बंद करो!'', ''पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य व परिवहन के निजीकरण पर रोक लगाओ!, ''किसानों से कृषि उत्पादों की लाभदायक दाम पर खरीदी सुनिश्चित हो!'', ''जीवन की न्यूनतम जरूरत के मापदंड के आधार पर विकलांगों, बुजुर्गों व विधवाओं की पेंशन राशि में वृध्दि करो!'', ''श्रम कानूनों को लागू करो!'' इत्यादि।

इस प्रदर्शन की तैयारी के लिए इन चारों पार्टियों ने संयुक्त रूप से 15 सूत्री मांगों को लेकर दिल्ली के अलग-अलग रिहायसी तथा औद्योगिक क्षेत्रों में अभियान चलाया। इन क्षेत्रों में सार्वजनिक सभाएं करके हजारों की संख्या में संयुक्त बयान को बांटा गया। प्रदर्शन की सूचना आम जनता के बीच ले जाने के लिए पोस्टर भी चिपकाया गया।

सभा की शुरूआत क्रांतिकारी गीतों और जोरदार नारों से हुई। मंच की अध्यक्षता चारों पार्टियों के प्रतिनिधियों ने की।

विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि लोगों के अधिकारों पर हो रहे हमलों तथा दिल्ली में गिरते हुए जीवन स्तर के खिलाफ़ लोगों के बीच एक लंबा आंदोलन विकसित करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। उन्होंने उपस्थित लोगों से अपील की कि दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार की इन जन विरोधी नीतियों के खिलाफ़ एकजुट हों ताकि पूंजीवादी सरकार को इन नीतियों को वापस लेने पर मजबूर किया जा सके।

विरोध प्रदर्शन को संबोधित करने वालों में थे – हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी से का. प्रकाश राव, एस.यू.सी.आई.(सी) से का. प्रताप सामल, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (एम-एल) से का. पी.के. शाही, पीपुल्स फ्रंट से का. नरेश।

विरोध प्रदर्शन के अंत में, एक?प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली की मुख्यमंत्री को अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा।

मुख्य मांगें

  • महंगाई को कम करो। आवश्यक वस्तुओं की कीमतें लोगों की खरीद क्षमता के अंदर लाएं।
  • सभी आवश्यक वस्तुओं को सर्वव्यापी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत लाएं। इनकी समुचित तथा बिना भेदभाव के आपूर्ति सुनिश्चित करें।
  • खुदरा तथा थोक व्यापार सरकार अपने हाथ में ले और वायदा व्यापार पर रोक लगाए।
  • पीने का पानी, बिजली, शिक्षा स्वास्थ्य सेवा तथा यातायात के निजीकरण का प्रयास बंद करें। जल वितरण के निजीकरण के सारे प्रस्ताव खत्म करें।
  • बिजली, पानी, बस तथा मेट्रो के भाड़े के बढ़े हुए दाम वापस लें। रसोई गैस के बढ़े दाम वापस लें।सभी रिहायशी क्षेत्रों को बिना शर्त मूलभूत सुविधा – पानी, सड़क, सीवर, स्कूल आदि उपलब्ध कराएं।
  • सभी नियुक्तियों पर लगी रोक हटाएं, सभी ठेकेदारी तथा कैज्युअल नियुक्तियों को खत्म करके स्थाई पदों को नियमित रूप से करें।सभी को रोजगार दें तथा जब तक रोजगार न मिले समुचित बेरोजगारी भत्ता दे।
  • 15वीं आई.एल.ओ. की सिफारिशों के आधार पर न्यूनतम वेतन 15000 प्रतिमाह निश्चित करें।
  • सभी श्रम कानूनों को लागू करें। उल्लंघन करने वाले मालिक को कठोर दंड दें।

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