महंगाई के खिलाफ़ मशाल जुलूस

9 फरवरी, 2010 को महंगाई विरोधी संयुक्त संघर्ष समिति की अगुवाई में, दक्षिणी दिल्ली के तेहखंड गांव के चैक से कालकाजी बस डिपो तक, शाम 4 बजे से महंगाई के खिलाफ़ मशाल जुलूस निकाली गयी।

9 फरवरी, 2010 को महंगाई विरोधी संयुक्त संघर्ष समिति की अगुवाई में, दक्षिणी दिल्ली के तेहखंड गांव के चैक से कालकाजी बस डिपो तक, शाम 4 बजे से महंगाई के खिलाफ़ मशाल जुलूस निकाली गयी।

इस मशाल जुलूस में, लोक राज संगठन की स्थानीय समितियों के सदस्यों तथा ट्रेड यूनियन संगठनों के मजदूरों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। यह मशाल जुलूस, ओखला औद्योगिक क्षेत्र फेस-1 तथा 2 की विभिन्न फैक्ट्रियों से होते हुए, निकाली गई। जैसे-जैसे रैली आगे बढ़ती गई, फैक्ट्रियों से निकलकर मजदूर इसमें शामिल होते गए। रैली में शामिल हुए लोग नारे लगा रहे थे -‘केन्द्र व राज्य सरकार की मजदूर-विरोधी नीति मुर्दाबाद!’, ‘दिल्ली सरकार मुर्दाबाद!’, ’पूंजीवादी हो बर्बाद’ और ‘इंकलाब जिंदाबाद!’ आदि।

जुलूस के चलने के पूर्व, आयोजित सभा को संबोधित करते हुए, लोक राज संगठन के दिल्ली सचिव ने बताया कि हिन्दोस्तान की सरकार, वित्त मंत्री और अर्थशास्त्री पिछले एक साल से घोषणा करते रहे हैं, कि देश में आर्थिक संवर्धन बढ़ रहा है। इस आर्थिक संवर्धन से इस देश की मेहनतकश आबादी की आर्थिक स्थिति में संवर्धन होना चाहिए लेकिन ऐसा न होकर, उनकी आर्थिक स्थिति और खराब होती जा रही है। उनकी खाद्य सामग्री खरीद पाने की क्षमता पहले से कहीं ज्यादा घट गई है।

इससे स्पष्ट है कि इस देश में बढ़ते आर्थिक संवर्धन का तात्पर्य देश के मुट्ठीभर अमीरों की बढ़ती अमीरी है। यही देश के आर्थिक संवर्धन की परिभाषा का सार है। इस परिभाषा के मुताबिक, अमीरों के नुकसान या घाटा को देश का नुकसान या घाटा माना जाता है। उनके संकट को देश का संकट, उनके दिवालिये को देश में दिवालिया घोषित किया जाता है। इसके विपरीत, हमारी इस राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था में इस देश के मेहनतकश लोगों के समक्ष रोजी-रोटी के संकट को देश का संकट नहीं माना जायेगा, और न ही देश की मेहनतकश अवाम की भूख को, देश में भूख माना जाता है।

सभा को संबोधित करने वालों में थे – दिल्ली लेदर कारीगर संगठन के अध्यक्ष कामरेड अतीक, सी.पी.आई.(एम.एल.) न्यू डेमोक्रेसी, दिल्ली प्रदेश से कामरेड मृगांक, इंकलाबी मजदूर केन्द्र से बलबीर तथा एटक के प्रतिनिधि।

मशाल जुलूस के कालकाजी डिपो तक पहुंचने से पहले ही, दिल्ली पुलिस ने रैली को रोकने की कोशिश की। पुलिस के इस व्यवहार से गुस्साये हुए मशाल जलूस में शामिल लोगों ने कालकाजी डिपो को कुछ देर तक जाम कर दिया। अंत में यह मशाल जुलूस कालकाजी बस डिपो के सामने संपन्न हुआ।

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